21.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 02:07 pm
21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Binny And Family Movie Review:दिल को छू लेने वाली इस कहानी में अंजिनी धवन ने बिखेरी है अपनी चमक

Advertisement

परिवार और रिश्तों के महत्व को दर्शाती इस फिल्म को वीकेंड में देखने का प्लान कर रहे हैं, तो इससे पहले इस रिव्यु को पढ़ लें

Audio Book

ऑडियो सुनें

फिल्म :बिन्नी एंड फैमिली
निर्माता :महावीर जैन
निर्देशक :संजय त्रिपाठी
कलाकार: पंकज कपूर,अंजिनी धवन,राजेश कुमार,चारु शंकर, नमन त्रिपाठी,हिमानी शिवपुरी और अन्य
प्लेटफार्म :सिनेमाघर
रेटिंग: तीन

- Advertisement -

binny and family movie review:हिंदी सिनेमा में समय समय पर ऐसी फिल्में आती रही हैं, जो परिवार को महत्व को दिखाती रही हैं. इसी की आगे की कड़ी आज शुक्रवार को रिलीज हुई फिल्म बिन्नी एंड फॅमिली बनी है.जेनेरेशन और कम्युनिकेशन गैप वाले दादा दादी और पोते पोतियों के बीच के रिश्तों के महत्व को यह फिल्म गहराई से दिखाते हुए दिल को छू लेने वाला मैसेज भी दे जाती है कि किसी भी जेनेरशन और कल्चरल गैप को प्यार,सम्मान और बातचीत से खत्म किया जा सकता है. इस फिल्म के विषय और ट्रीटमेंट के साथ इसके कलाकारों का शानदार परफॉरमेंस इसे पूरे परिवार के साथ देखी जानेवाली फिल्म बना देता है.

जेनेरेशन और कम्युनिकेशन गैप को खत्म करने का सन्देश लिए है कहानी
फिल्म की कहानी की बात करें तो यह बिन्नी (अंजिनी धवन )की है, जो लंदन में अपने माता पिता के साथ रहती है.वह विद्रोही स्वभाव की मौजूदा दौर की लड़की है.उसकी चॉसेज से उसके पिता (राजेश कुमार )को थोड़ी बहुत शिकायतें हैं लेकिन उनकी फैमिली में तकरार उस वक़्त बढ़ जाती है,जब बिन्नी के दादा (पंकज कपूर)और दादी (हिमानी शिवपुरी )बिहार से लंदन दो महीनों के लिए रहने को आते हैं.उस दौरान बिन्नी के पिता अपनी फैमिली को संस्कारी दिखाने के लिए अपने रहन सहन को पूरी तरह से बदल देते हैं. जिससे बिन्नी अपने दादा दादी की मौजूदगी को ज्यादा पसंद नहीं करती है. दो महीने बीत जाने के बाद जब उसके दादा दादी वापस बिहार चले जाते हैं. वहां दादी की तबियत बिगड़ जाती है. बेटा इलाज के लिए उन्हें लंदन लाने का फैसला करता है, लेकिन युवा बिन्नी इसके लिए राजी नहीं होती है.वह पटना में ही दादी के इलाज करवाने को कहती है. रिश्तों की खींचतान में उलझे बेटे को अपने पिता को झूठ बोलना पड़ता है कि डॉक्टर ने कहा है कि पटना में भी इलाज हो सकता है,लेकिन पटना में इलाज के दौरान दादी की मौत हो जाती है.यह खबर सुनने के बाद बिन्नी खुद को दोषी महसूस करती हैं.वह लंदन आये अपने दादाजी को इस दुःख से उबरने और चेहरे पर ख़ुशी लाने के लिए हर कोशिश करती है. धीरे धीरे ही सही उसकी कोशिश रंग लाने लगती है. दादा अपने दुःख से ना सिर्फ निकलते हैं बल्कि अपनी पोती के साथ एक खास बॉन्डिंग भी बना लेते हैं ,जिसमें दोनों एक दूसरे के लाइफस्टाइल से जुड़े फैसले और पसंद को अपनाने लगते हैं. सबकुछ ठीक चल रहा होता है.अचानक से दादा को मालूम पड़ता है कि उनकी बीमार पत्नी को लंदन लाने से डॉक्टर ने नहीं उनके बेटे ने मना किया था.वह बिहार वापस चले जाते हैं.क्या फैमिली के बीच यह दूरियां रह जाएंगी या फिर गलतफहमियां खत्म होकर एक बार फिर परिवार पूरा होगा। इसके लिए आपको फिल्म देखना होगी।

फिल्म की खूबियां और खामियां
यह फॅमिली ड्रामा पीढ़ियों के बीच के अंतर और संघर्ष को बहुत ही सरल तरीके से दिखाता है, जो इस फिल्म को और खूबसूरत बना गया है.फिल्म बहुत खूबसूरती से इस बात को भी दर्शाती है कि किस तरह से हर पीढ़ी एक दूसरे से सीख सकती है और जेनेरेशन गैप को कम कर सकती है.पंकज कपूर के किरदार का सोशल मीडिया से जुड़ाव वाला दृश्य हो या फिर बिन्नी का प्यार की असल परिभाषा को समझना वाला सीन.निर्देशक संजय त्रिपाठी की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने ड्रामा और दिल को छू लेने वाले पलों के मेल से इस पूरी कहानी को दिखाया है.खामियों की बात करें तो फिल्म का लेंथ थोड़ा कम किया जा सकता था.फिल्म के कुछ दृश्यों में दोहराव दिखता है.फिल्म की कहानी लन्दन पर बेस्ड है, इसलिए संवादों में अंग्रेजी शब्दों का जमकर प्रयोग किया गया है.हालाँकि सभी अंग्रेजी संवादों का हिंदी सबटाइटल्स स्क्रीन पर दिखते हैं, लेकिन कई दर्शकों को फिल्म देखते हुए स्क्रीन पर संवाद पढ़ना पसंद नहीं आ सकता है.फिल्म के गीत संगीत की बात करें तो यह फिल्म की कहानी और उससे जुड़े इमोशंस को बखूबी दर्शाता है.फिल्म की सिनेमेटोग्राफी भी कहानी के साथ न्याय करती है. संवाद अच्छे बन पड़े हैं, जो कहानी और किरदारों को मजबूती देते हैं.

अंजिनी सहित सभी कलाकारों का उम्दा परफॉरमेंस

अभिनय की बात करें तो इस फिल्म से स्टारकिड अंजिनी धवन ने अपनी शुरुआत की है. फिल्म में उन्होंने पावरफुल परफॉरमेंस दी है.उन्होंने अपने किरदार से जुड़े गुस्से ,गिल्ट,मासूमियत सभी को बखूबी जिया है.पंकज कपूर जैसे उम्दा कलाकार के साथ जिस तरह से उन्होंने स्क्रीन पर एनर्जी को मैच किया है. वह उनकी काबिलियत को दर्शाता है. पंकज कपूर हमेशा की तरह फिर बेस्ट रहे हैं.राजेश कुमार ने एक पिता और बेटे के बीच की जद्दोजहद को फिल्म में बखूबी जिया है. चारु शंकर अपनी भूमिका के साथ न्याय करती है. हिमानी शिवपुरी अपनी छोटी भूमिका में भी छाप छोड़ा है.फिल्म में नवोदित कलाकार नमन त्रिपाठी ने अपनी मौजूदगी और संवाद अदाएगी कॉमेडी का रंग भरा है.बाकी के कलाकारों ने भी अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें