20.1 C
Ranchi
Wednesday, February 12, 2025 | 08:49 pm
20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Gulabo Sitabo Review: गुलाबो सिताबो का यह तमाशा जमा नहीं

Advertisement

Gulabo Sitabo Review: गुलाबो सिताबो की शुरुआत इस ट्रिविया के साथ होती है कि लॉकडाउन की वजह से यह फ़िल्म पहली फ़िल्म होगी. जिसको रिलीज ओटीटी प्लेटफार्म पर किया जा रहा है. इस फ़िल्म को शायद इसी बात के लिए ही हमेशा याद भी रखा जाएगा. पीकू में अमिताभ बच्चन को और विक्की डोनर में आयुष्मान को निर्देशित करने वाले शूजित सरकार ने जब इस फ़िल्म की घोषणा की तो लगा कुछ कमाल का पर्दे पर इस तिगड़ी के साथ देखने को मिलेगा ऊपर से राइटर जूही चतुर्वेदी का नाम भी जुड़ा था लेकिन मामला जमा नहीं. गुलाबो सिताबो एंटरटेनमेंट के नाम पर एक कमज़ोर फ़िल्म साबित होती है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

फ़िल्म- गुलाबो सिताबो

निर्देशक- शूजित सरकार

कलाकार- अमिताभ बच्चन,आयुष्मान खुराना, बिजेंद्र कालरा,विजय राज,सृष्टि,फारुख जफर और अन्य

रेटिंग- दो

Gulabo Sitabo Review: गुलाबो सिताबो की शुरुआत इस ट्रिविया के साथ होती है कि लॉकडाउन की वजह से यह फ़िल्म पहली फ़िल्म होगी. जिसको रिलीज ओटीटी प्लेटफार्म पर किया जा रहा है. इस फ़िल्म को शायद इसी बात के लिए ही हमेशा याद भी रखा जाएगा. पीकू में अमिताभ बच्चन को और विक्की डोनर में आयुष्मान को निर्देशित करने वाले शूजित सरकार ने जब इस फ़िल्म की घोषणा की तो लगा कुछ कमाल का पर्दे पर इस तिगड़ी के साथ देखने को मिलेगा ऊपर से राइटर जूही चतुर्वेदी का नाम भी जुड़ा था लेकिन मामला जमा नहीं. गुलाबो सिताबो एंटरटेनमेंट के नाम पर एक कमज़ोर फ़िल्म साबित होती है.

Also Read: Gulabo Sitabo Release Live Updates : लोगों को पसन्द आ रही फिल्म में लखनऊ की तहजीब और ये नवाबी अंदाज

इस फ़िल्म की कहानी को लेकर खींचतान सुर्खियों में थी. फ़िल्म में भी मामला खींचतान वाला ही था. एक लाइन की कहानी को बस खींचा गया है. कहानी पर आए तो अरे देखो फिर लड़ै लागीं गुलाबो-सिताबो. आओ हो…देखो बच्चों शुरू हो गईं दोनों. कठपुतली के खेल के इन प्रसिद्ध किरदारों के लाइनों के ज़रिए इस फ़िल्म की कहानी का सार समझाया गया है. जो गुलाबो सिताबो से अंजान है वो टॉम एंड जेरी के रेफरेंस के साथ फ़िल्म की कहानी को समझ सकते हैं. फ़िल्म की कहानी पुरानी लखनऊ पर बेस्ड है.

78 वर्षीय मिर्ज़ा ( अमिताभ बच्चन) की जान उसकी हवेली फातिमा महल में बसती है. फातिमा महल उसकी बेगम (फारुख)की पुस्तैनी जायदाद है. वह चाहता है कि उसकी बेगम की जल्द से जल्द मौत हो ताकि वह हवेली उसकी हो जाए. इस ख्वाइश के साथ साथ मिर्ज़ा की ख्वाइश अपने किरायेदार बांके( आयुष्मान) को घर से निकालने की भी है.वह नए नए तरीके ढूंढता है. उसे बेदखल करने को.

कहानी में ट्विस्ट तब आ जाता है जब पुरातत्व विभाग की नज़र हवेली पर पड़ जाती है. वह हवेली को हेरिटेज में शामिल करना चाहती है. बांके भी इसमें शामिल है. बांके और मिर्ज़ा में से बाज़ी किसकी होगी या कुछ और ही होगा।यही फ़िल्म के आगे की कहानी है. फ़िल्म की कहानी बहुत वन लाइनर है उसे मिर्ज़ा और बांके की नोंक झोंक के ज़रिए बढ़ाया गया है लेकिन वह नोंक झोंक रोचक नहीं नीरस लगते हैं. यही फ़िल्म की सबसे बड़ी कमजोरी है. फ़िल्म की गति भी स्लो है और कमज़ोर संवाद कहानी को और कमज़ोर बना जाते हैं जबकि ऐसी फिल्मों की सबसे बड़ी जरूरत संवाद होते हैं.

कहानी से जुड़े अगर अच्छे पहलू की बात करें तो महिला किरदारों को काफी सशक्त दिखाया हैं भले ही फ़िल्म पूरी तरह से दो पुरुष किरदारों की है. बेगम का किरदार हो या फिर आयुष्मान की बहन गुड्डो या फिर प्रेमिका फौजिया का जिसका किरदार छोटा सा था लेकिन वह भी मज़ेदार है. ये महिला पात्र कहानी में एक अलग ही रंग भरती हैं. जिससे फ़िल्म थोड़ी कम बोझिल जान पड़ती हैं. हल्की फुल्की कहानी और ट्रीटमेंट बालू यह फ़िल्म बासु चटर्जी, ऋषिकेश मुखर्जी के सिनेमा से प्रभावित तो लगती है लेकिन स्क्रीन पर वैसा प्रभाव नहीं छोड़ पाती है.

अभिनय की बात करें तो भले ही फ़िल्म की कहानी कमज़ोर हैं लेकिन अभिनय के मामले में फ़िल्म बहुत सशक्त है खासकर अमिताभ बच्चन. फ़िल्म में उनके लुक को देखकर उनको पहचान पाना मुश्किल है लेकिन वह अभिनय से यह बता देते हैं कि वह महानायक क्यों हैं. खास तरह से झुककर उनके चलने की मेहनत हो यह संवाद अदायगी वह सभी को बखूबी आत्मसात कर गए हैं. यह अमिताभ बच्चन की फ़िल्म है. यह कहना गलत ना होगा. आयुष्मान खुराना भी अपने किरदार में जंचे हैं. फ़िल्म के खास आकर्षण में से एक अभिनेत्री फारुख जफर का बेगम का किरदार है. जिसे उन्होंने बहुत ही खूबी से निभाया है. स्क्रीन पर वह जब भी नज़र आयी हैं मुस्कुराहट आ जाती है. बाकी के किरदारों में बिजेंद्र कालरा, विजय राज और सृष्टि ने भी अच्छा काम किया है.

गीत संगीत की बात करें तो गाने सिचुएशनल हैं. फ़िल्म के किरदारों को कठपुतली के लोककला से लिया है तो गाने को लोकगीत से. बैकग्राउंड म्यूजिक साधारण है. फ़िल्म की सिनेमाटोग्राफी अच्छी है. पुराने लखनऊ को कैमरे में बहुत खूबी से कैद किया गया है. कुल मिलाकर गुलाबो सिताबो का यह तमाशा जमा नहीं.

Posted By: Divya Keshri

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें