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मिर्जापुर फेम रसिका दुग्गल की ज़िन्दगी का ये है सबसे बड़ा डर… अभिनेत्री ने खुद किया खुलासा

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मिर्जापुर फेम रसिका दुग्गल ने खुलासा किया, उन्हें अकेले कमरे में रहने से डर लगता है. उन्होंने कहा, मैं तो अधूरा की शूटिंग से पहले भी अगर कमरे में अकेली होती थी, तो मैं डर जाती थी, क्योंकि मैं बहुत बड़ी वाली डरपोक हूं.

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ओटीटी प्लेटफार्म के लोकप्रिय चेहरों में शुमार रसिका दुग्गल इनदिनों अमेजॉन प्राइम वीडियो की वेब सीरीज अधूरा में नज़र आ रही हैं. यह पहला मौका है जब अभिनेत्री रसिका दुग्गल हॉरर जॉनर के प्रोजेक्ट का हिस्सा बनी हैं. उनकी इस वेब सीरीज, उनकी निजी ज़िन्दगी के डर सहित कई पहलुओं पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश…

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आपके लिए सबसे अपीलिंग इस वेब सीरीज में क्या था?

यह एक ऐसा जॉनर था, जिसके साथ मैंने पहले कभी एक्सपेरिमेंट नहीं किया था. ये एक वजह था. दूसरा मुझे लगा था कि ये ऐसा कहानी है और अनन्या ने जिस तरह से इसके लिखा है. आप इसके हॉरर और थ्रिलर पक्ष को निकाल भी दें, तो भी ये बहुत सवेदनशील और एंगेजिंग है. ये सब पहलू ध्यान में रखने के बाद मुझे लगा कि इस किरदार को करने में मजा आएगा. कहानी के अलावा मेरे किरदार सुप्रिया में भी बहुत लेयर्स हैं. वो स्कूल में काउंसलर है, जिन्हे देखने के बाद आपको लगता है कि इनकी लाइफ में सबकुछ ठीक है. सबकी ज़िंदगी में कुछ ना कुछ ऐसा होता है, जो उन्हें असहज करता है. सुप्रिया भी इससे अलग नहीं है.

हॉरर जॉनर में एक्टिंग करते हुए इमेजिनेशन और बैकग्राउंड म्यूजिक की अहमियत होती है, इस सीरीज को करते हुए आपने क्या ऐसा महसूस किया?

एक्टिंग के पहलू से यह किसी भी दूसरे जॉनर से बहुत अलग नहीं है. दूसरे जॉनर में भी कई बार शूटिंग करते हुए जो आप देख रहे होते हैं, वो आपके सामने नहीं होता है, तो इमेजिनेशन हमारी एक्टिंग प्रोसेस का हिस्सा ही है. कोई नयी बात नहीं है. हां साउंड डिजाइन की इस जॉनर में बहुत अहमियत है. अधूरा में हॉरर इफेक्ट के लिए बस म्यूजिक नहीं डाले गए हैं, बल्कि वो कहानी और सीन का अहम हिस्सा हैं. आपको उदहारण दूँ तो स्कूल में ये कहानी सेट है. कहानी में ये बात शुरुआत में ही बता दी गयी है कि स्कूल के पास एक जगह कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है. .कई बार जो आपको ठक-ठक की आवाज शो में आती है, वो उस वजह से है. बस डरने के डरा रही है. यह उस तरह की सीरीज है. इसमें बहुत सॉलिड कहानी है और हर पहलू को एक दूसरे से अच्छे से बांधा गया है.

क्या आप एक्टिंग करते हुए मॉनिटर को चेक करती हैं?

असल में मैं विश्वास करती हूं कि मॉनिटर चेक ना करूँ, लेकिन कई बार जिज्ञासावश मैं देख लेती हूँ. अगर मैं खुद के नियम को मानूं ,तो एक अच्छे परफॉरमेंस के लिए सबसे बेस्ट रहेगा अगर आप मॉनिटर ना देखें, क्योंकि उसमें बहुत कुछ जोड़ा जाना बाकी रहता है. आप जो देख रहे हैं. उसके आगे कुछ आएगा ,पीछे कुछ आएगा. उसमें कुछ जोड़ा जाएगा. उसमें जब डीआई लगेगा, तो वह डार्क होगा या ब्राइट होगा. उसमें जब साउंड लगेगा तो वह डरावना हो जायेगा या लाइट हर्टेड हो जाएगा. ये सारी चीज़ें होती हैं. जो आप देख रहे हो, वो वैसा रहेगा नहीं क्योंकि उसमें बहुत बदलाव आने वाला है. वैसे अगर मॉनिटर देखती भी हूँ , तो सीन के बीच में तो बिलकुल नहीं देखती हूं. अगर एक सीन हो गया उत्सुकता बढ़ जाती है कि मैंने एक नयी चीज करने की कोशिश की है देखूं ये काम कर रहा है या नहीं. सीन होने के बाद एक बार बस देख लेती हूं.

इस सीरीज के लांच के साथ ही ऐसी खबरें आ रही हैं कि अधूरा की शूटिंग के बाद आप अपने कमरे में अकेले जाने से डरने लगी हैं?

मैं तो अधूरा की शूटिंग से पहले भी अगर कमरे में अकेली होती थी, तो मैं डर जाती थी, क्योंकि मैं बहुत बड़ी वाली डरपोक हूं. मुझे डरने में ज़्यादा कुछ लगता नहीं है. अधूरा की शूटिंग के वक़्त डर नहीं लगा था , क्योंकि सेट पर लोग होते थे. हां स्क्रिप्ट को पढ़ते हुए ज़रूर डर लगा था. अधूरा को स्क्रीन देखने के बाद भी लगा था. मैंने हॉरर फ़िल्में नहीं देखी है. अब तक सिर्फ एक ही हॉरर फिल्म देखी है. 10 साल की थी तो फॅमिली के साथ छुट्टियों पर नैनीताल गयी थी. वहां हम बच्चों ने मिलकर 100 डेज फिल्म देखी थी. मेरी तो हालत हो गयी थी. उसके बाद मैंने कभी कोई हॉरर फिल्म नहीं देखी. फिल्म स्कूल में भी क्लासिक हॉरर फिल्मों को मैंने नहीं देखा. आप हॉस्टल में अकेले रहते हो ,तो हॉरर फिल्म देखने के बाद और डर लगता है.

इस सीरीज की शूटिंग कहाँ हुई है और अनुभव कैसा था?

इस सीरीज की शूटिंग ऊटी के नीलगिरि में हुई है. वहां पर मैंने आउट ऑफ़ लव के दोनों सीजंस की भी शूटिंग की है. वो जगह ऐसी है, जहां आपको अपने साथ भी वक़्त बिताने का मौका मिलता है, इसलिए वहां शूटिंग करने में हमेशा ही मज़ा आता है.

बाल कलाकार श्रेणिक इस सीरीज का अहम हिस्सा है, कहते हैं कि बच्चों के साथ शूटिंग आसान नहीं होती है?

हां ,बच्चों के साथ काम करना मुश्किल हो सकता है. उनके साथ शूटिंग करते हुए बहुत संवेदनशील होना पड़ता है. वैसे श्रेणिक बहुत ही इंटेलीजेंट बच्चा है. उसको आपको एंटरटेन करने की ज़रूरत नहीं है. सेट पर उसके पास हमेशा किताबें होती थी. वह एक दिन में एक किताब खत्म कर देता था. सेट पर शूटिंग करता और किताबें पढ़ते हुए मस्त रहता था. मुझे तो लगा नहीं कि मैं बच्चे साथ शूटिंग कर रही हूं.

यह सीरीज हॉरर जॉनर की है, असल ज़िन्दगी में आपका सबसे बड़ा डर क्या है ?

हर साल एक नया डर होता है. वैसे एक डर जो हमेशा रहता है वो ये कि एकदिन मैं सुबह उठूंगी और एक्टिंग भूल जाउंगी.

अपकमिंग प्रोजेक्ट्स

मिरजौर 3, स्पाइक है. लिटिल थॉमस, लार्ड कर्जन की हवेली और अप्प्लॉज के साथ एक नयी सीरीज की भी शूटिंग शुरू की है.

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