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mirzapur के दद्दा त्यागी उर्फ़ लिलिपुट ने कहा मिर्जापुर के बाद टेलीविज़न से भी ऑफर आना बंद हो गया.. बतायी ये वजह

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mirzapur में दद्दा त्यागी के किरदार में दर्शकों से वाहवाही बटोरने वाले लिलिपुट की मानें लोगों का प्यार मिला,लेकिन इंडस्ट्री की तरफ से काम का दूसरा कोई ऑफर नहीं आया .

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mirzapur season 3 दस्तक दे चुका है. सीरीज में एक बार फिर अभिनेता लिलिपुट दद्दा त्यागी की भूमिका को निभाते दिख रहे हैं. लिलिपुट कहते हैं कि मुझे नहीं लगा था कि यह किरदार लोगों को इतना पसंद आएगा. मैं खुद ही कई बार सरप्राइज जाता हूं, जिस तरह से भीड़ मेरे पास आती है और मुझे दद्दा त्यागी के नाम से पुकारती है. मैं चार दशक से ज्यादा समय से इंडस्ट्री में हूं, इतनी प्रशंसा मुझे कभी नहीं मिली थी. मैं इसे बहुत ही सुखद एहसास करार दूंगा.उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश 

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मिर्जापुर 2 जब ऑफर हुई तो सीजन वन के बारे में नहीं था जानता 

सबसे पहले में बताना चाहूंगा कि सीजन 2 जब मुझे ऑफर हुआ था.मैं मिर्जापुर सीजन वन के बारे में कुछ नहीं जानता था.सीजन 2 का मुझे डायरेक्ट ऑफर आया था. कॉस्टयूम ट्रायल भी हो गया और मुझे सेट पर बुला लिया गया. सीन के बारे में मुझे सेट पर जाने के बाद मालूम पड़ा. मुझे सिर्फ इतना बताया गया था कि संजीदा कैरेक्टर है. जैसा बिहार का शहाबुद्दीन था.वैसा ही कुछ यह किरदार है. थिएटर में मैंने ऐसा किरदार पहले भी बहुत किया था,लेकिन परदे पर ऐसा कुछ पहली बार कर रहा था. उसी अनुभवों को याद करके मैंने कर दिया.खुशी हुई कि लोगों को मेरा काम बहुत पसंद आया. 

शूटिंग पूरी होने के बाद सीजन वन देखा 

मिर्जापुर 2 की जब शूटिंग पूरी हो गई, तो मैंने मिर्ज़ापुर का पहला सीजन देखा. वो भी मेरे एक दोस्त ने कहा कि देख ले अच्छा है. दरअसल मिर्जापुर इतनी बड़ी फ्रेंचाइजी है.मुझे इसका पता ही नहीं था. शूटिंग करते हुए भी मुझे एहसास नहीं हुआ था.मैंने जब सीजन 2 की शूटिंग पूरी कर ली और अपने करीबी लोगों को बताया,तो उन्होंने मुझे बताया कि यह बहुत बड़ी सीरीज है.तुम्हें इसका पहला सीजन देखना चाहिए.

निजी जिंदगी में भी बिहारी हूं  

मैं हमेशा कॉमेडी करता रहा हूं. मेरे फिजिक का मूवमेंट फुर्तीला रहा है. कॉमेडी में आदमी बहुत ही चुलबुला और उठा पटक वाला होता है. दद्दा त्यागी के किरदार में थोड़ी बाउंडेशन थी कि इतना हाथ पैर नहीं चलाना है. ज्यादा लाउड एक्सप्रेशन नहीं देने हैं.दद्दा त्यागी की एक इमेज है.उसे सीरियसली करना था, तो मैंने अपने बोलने से लेकर चलने के तरीके में इस पर काम किया.दद्दा का किरदार बिहार से है और निजी जिंदगी में मैं भी बिहारी हूं. 

पंकज त्रिपाठी कमाल के को एक्टर हैं 

इस सीरीज में काम करने का बहुत ही अच्छा माहौल है. सीजन 3 में एक सीन है मेरे और पंकज त्रिपाठी के बीच. उस सीन में मैं थोड़ा अटका था. दो से तीन बार रिटेक हुए. उसे दौरान पंकज का रिस्पांस बहुत ही कॉपरेटिव था.बहुत लोग होते हैं ना,जो मुंह बनाने लगते हैं कि भाई इनकी वजह से मुझे बार-बार करना पड़ रहा है. पंकज बहुत ही अच्छे को एक्टर है. हमने जितनी बार  रीटेक करने को कहा उन्होंने पूरा सहयोग किया. डायरेक्टर के ओके कहने के बाद भी मैंने  फिर से एक शॉट और लेने को कहा था. पंकज ने कहा कि जैसा आपको सही लगे. उन्होंने मेरे शॉट को परफेक्ट करने के लिए मुझे पूरी तरह से सहयोग किया 

टीवी वाले पैसे नहीं देना चाहते

 दद्दा त्यागी का किरदार इतनी प्रसिद्ध हुआ है,लेकिन इंडस्ट्री की तरफ से मुझे काम का दूसरा कोई ऑफर नहीं आया है. मुझे सिर्फ जनता का रिस्पांस बहुत ज्यादा मिला है.इंडस्ट्री की तरफ से कोई रिस्पांस नहीं मिला है.टेलीविजन से पहले बहुत ऑफर आते थे, लेकिन आप वहां से बिल्कुल भी ऑफर नहीं आते हैं.उनको लगता है कि अब तो दद्दा त्यागी बन गया है तो बहुत पैसे मांगेगा. पैसे आजकल कोई देना नहीं चाहता है. काम भले ही नहीं है,लेकिन मैं  ज्यादा परेशान नहीं होता हूं.अभी तक अपने आप को एक बच्चा ही समझता हूं . लूडो खेलना,मोबाइल में कभी कुछ और गेम खेलना. यह सब में करता रहता हूं. खाली नहीं बैठता हूं.मुझे लगता है की मासूमियत जानी नहीं चाहिए. मासूमियत चली जाती है,तो आदमी नेगेटिव हो जाता है.

मेरी जिंदगी में पैसों की तंगी नहीं है 

मेरे आर्थिक हालत पर अक्सर खबरें बनती रहती है, लेकिन मुझे खुशी होती है कि मुझे इस काबिल समझा गया कि मेरे ऊपर न्यूज़ बना दी गई.वैसे यह दोनों ही खबरें गलत है. एक में लिखा गया था कि मेरे इतने बुरे हालात हैं कि अपनी बेटी के साथ मुझे रहना पड़ रहा है. मैं बताना चाहूंगा कि मेरी जिंदगी में पैसे की कोई मारामारी नहीं है.मैंने कमी कमाया है ,लेकिन इतना कमाया है कि आदमी खा पी सके. हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. मेरे दो फ्लैट्स हैं ,एक मुंबई के चार बंगला में और एक पुणे में हैं.एक खबर आयी थी कि मैं 300 करोड़ का आसामी हूं. उनका भी शुक्रिया अदा करता हूं कि मुझे अंबानी जैसे लोगों में शामिल कर दिया.(हंसते हुए ) शुक्र है की इनकम टैक्स वालों ने रेड नहीं मारी.

सागर फिल्म में रोल अच्छा था लेकिन सीन कट गए थे  

अपनी अब तक की जर्नी को देखता हूं ,तो मेरा साल 83 से लेकर 95 तक का दौर बहुत अच्छा रहा था. मैंने टेलीविजन में बहुत काम किया. फिल्मों में उतना काम नहीं किया. फिल्मों में मैं अपने आप को फ्लॉप मानता हूं,क्योंकि मैंने ऐसा कोई यादगार किरदार नहीं किया है. कैमियो रोल ही किया है,जिसमें ज्यादा स्कोप नहीं होता था. कुछ अच्छे रोल किया,तो वह फिल्म में एडिटिंग के भेंट चढ़ गए. सागर फिल्म में मेरा बहुत अच्छा रोल था.बहुत अच्छे-अच्छे सीन थे,लेकिन वह सारे कट गए थे.फिल्म की लंबाई बढ़ गई थी,इसलिए कैंची मेरे ही रोल पर चली. वैसे रमेश सिप्पी साहब ने मुझे सामने से बुलाकर यह कहा था कि यार लेंथ बढ़ गई है.आप पर ही चलेगी.हीरो हीरोइन पिक्चर चलेगी नहीं. वह बहुत अच्छे डायरेक्टर और अच्छे इंसान है. मैंने उनकी मजबूरी को समझा. उन्होंने कुछ भी नाजायज नहीं किया था.


यशराज ने दिया था स्टार्स वाला ट्रीटमेंट

अपने अब तक की जर्नी में एक बार यशराज की फिल्मों का भी मैं हिस्सा रहा हूं. शुरुआत में मैं बंटी बबली करना नहीं चाहता था, लेकिन निर्देशक शाद की जिद थी कि आपको करना पड़ेगा.  मेरा फिल्म में तीन ही शॉट था. मुझे लगा क्या ही करूंगा लेकिन फिर राजी हो गया. मैंने देखा जितना  बड़ा प्रोडक्शन हाउस होता है. वह आर्टिस्ट को इज्जत भी उतनी ही  देता है. उन लोगों ने काफी इज्जत दी. बिजनेस क्लास से लेकर गए थे. अमित जी जिस होटल में ठहरे थे. मुझे भी उसी होटल में ठहराया गया था. होटल का रूम भी काफी महंगा वाला बुक हुआ था. जैसे ही मैंने अपना शूट खत्म किया. मेरे हाथ में मेरी फ्लाइट का रिटर्न टिकट और मेहनताने का चेक एक साथ रख दिया था. बड़े बैनर अपने हिसाब से काम करते हैं. हां उनको मेरी फिर जरूरत महसूस नहीं हुई है. जिस दिन जरूरत महसूस होगी. उस दिन मुझे भी पूछा जाएगा.स्टार्स वाला ट्रीटमेंट दिया जाएगा. 

कमल हासन को अप्पू राजा के लिए मुझसे मिली थी प्रेरणा 

बौने का किरदार पर्दे पर अब तक दो बार आया है. मुझे शाहरुख़ खान की फिल्म जीरो दिखाई गई थी और मैंने देखते के साथ ही कह दिया था कि नहीं चलेगी. सब कोई कमल हासन नहीं हो सकता है. फिल्म सागर के सेट पर कमल हासन सबसे ज्यादा मेरे साथ बैठते थे. उसे वक्त मुझसे वह मेरी सोच पूछते थे.क्या दिमाग़ में चलता रहता है. कैसे खाते हैं. चलते हुए क्या फोकस होता है. सभी कुछ पूछते थे.अप्पू राजा में उन्होंने अपना वही ऑब्जरवेशन उतारा था.फिल्म में मोहब्बत में नाकाम होने वाला एक सीन है.वो सीन उन्होंने मेरी जिंदगी से लिया है.सागर फिल्म के दौरान मैंने उनको अपनी लव स्टोरी सुनाई थी.उन्होंने बौने के किरदार में जान डाल दी,इससे इंकार नहीं.

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