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सनी देओल अपने कोएक्टर्स का भी बहुत ख्याल रखते हैं : मनीष वाधवा

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गदर 2 इस शुक्रवार सिनेमाघरों में दस्तक देने जा रही है. सनी देओल स्टारर इस फिल्म में खलनायक की भूमिका में मनीष वाधवा नजर आने वाले हैं. मनीष को उम्मीद है कि इस फिल्म से खलनायकों का दौर एक बार फिर से हिंदी सिनेमा में आनेवाला है. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत

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गदर में नेगेटिव किरदार अमरीश पुरी ने निभाया था, गदर 2 में यह जिम्मेदारी आपको मिली है, शूटिंग के वक्त कितना नर्वस थे?

हां नर्वस था और मैं डरा हुआ भी था. लेकिन मैंने यह किरदार पूरी ईमानदारी से निभाया है. सबसे अच्छी बात यह है कि यह एक अलग भूमिका है, न कि वह जो अमरीश पुरी जी ने निभाई थी. मेरा किरदार बिल्कुल अलग है. तुलना तब होनी चाहिए जब स्तर समान हो इसलिए मैं सभी से अनुरोध करूंगा कि वे अपनी तुलना न करें. अमरीश जी एक लीजेंड हैं.

इस भूमिका के लिए आपकी खास तैयारी क्या थी?

मैंने सेना के एक कर्नल से एक सैन्य अधिकारी की बॉडी लैंग्वेज पर पूरा नोट्स लिया. वे अपने सीनियर या जूनियर से कैसे बात करते हैं. कैसे चलते हैं. हर छोटी से छोटी बात पर मैंने फोकस किया. यह किरदार 70 के दशक का है, तो भाषा पर भी ध्यान देना पड़ा. अच्छी बात ये है कि मेरी भाषा पर अच्छी पकड़ है इसलिए मैं इसे अच्छी तरह से बोल सकता हूं. इसके साथ ही फिल्म के निर्देशक अनिल जी ने मुझसे कहा कि तुम यह किरदार निभा रहे हो तो इसे अपने तरीके से सोचो. उन्होंने मुझे किरदार को गढ़ने में रचनात्मक स्वतंत्रता भी दी है.

सनी देओल के साथ आपका अनुभव कैसा रहा?

वह विनम्र, मृदुभाषी और बहुत केयरिंग करने वाले इंसान हैं. शूटिंग शुरू होने से पहले जब मैं उनसे मुंबई में मिला तो सबसे पहले उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं गदर 2 में सबसे क्रूर खलनायक बन सकता हूं क्योंकि हम सभी जानते हैं कि हमारी इंडस्ट्री में एक शक्तिशाली खलनायक की कमी है. क्या तुम उसकी जगह ले पाओगे. मैंने उनसे कहा कि मैं आपके और अनिल शर्मा के मार्गदर्शन में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करूंगा. सनी सर बहुत केयरिंग हैं, फिल्म के एक हाई ऑक्टेन फाइटिंग सीन के दौरान, कट के बाद उन्होंने मुझसे धीरे से पूछा कि मुझे चोट लगी है या नहीं. बहुत कम लोग ऐसे होते हैं,जो अपने को-स्टार्स का इतना ख्याल रखते हैं.

गदर से जुड़ी आपकी क्या यादें रही हैं?

थिएटर और टीवी में यह फिल्म इतनी बार देखी है कि याद हो गयी है. अगर मैं गदर 2 का हिस्सा नहीं होता तो भी मैं यह फिल्म फर्स्ट डे फर्स्ट शो जरूर देखता. बीते 9 जून को जब यह फिल्म दोबारा रिलीज हुई तो मुझे अपनी यादें ताजा हो गईं. फिल्म में संवादों से लेकर दृश्यों तक सब कुछ बहुत खास था, निर्देशक अनिल शर्मा ने एक कमर्शियल फिल्म का निर्देशन बहुत यथार्थवादी तरीके से किया था. उसी ने ग़दर को गदर बनाया.

इस साल की सबसे सफल फिल्म पठान में भी आपने एक आर्मी ऑफिसर की भूमिका निभाई थी?

दोनों फिल्मों में मैंने पाकिस्तानी काफी आर्मी ऑफिसर का किरदार निभाया है, जहां मैंने वर्दी पहनी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि दोनों एक जैसी हैं. दोनों निर्देशक (सिद्धार्थ आनंद और अनिल शर्मा) अलग-अलग स्कूलों से आते हैं और उनका काम करने का तरीका अलग है, तो दोनों किरदार भी काफी अलग हैं.

पठान की कामयाबी का आपको कितना फायदा मिला है?

निश्चित तौर पर फायदा हुआ है. पठान के बाद मेरी पहचान बनी है क्योंकि फिल्म की शुरुआत मेरे सीन से होती है. हो सकता है कि भूमिका लंबी न हो लेकिन सशक्त थी. इस बात को कहने के साथ मैं यही भी कहूंगा ‘पठान’ के बाद भी मुझे अभी तक वह भूमिका नहीं मिली है जिसकी मैं तलाश कर रहा था. लेकिन मुझे यकीन है कि गदर 2 में एक अभिनेता के रूप में मेरे लिए काफी संभावनाएं लेकर आएगा. गदर और पठान में मैं लगभग एक समय ही चुना गया था.

इंडस्ट्री में यह धारणा है कि टीवी एक्टर्स को आसानी से फिल्मों या वेबसीरीज में कास्ट नहीं किया जाता है. इस पर आपकी क्या राय है?

ऐसी मान्यता हो सकती है क्योंकि टीवी कलाकार लगभग हर रोज टीवी पर नजर आते हैं. लेकिन मैंने कभी इसका सामना नहीं किया क्योंकि मैंने चंद्रगुप्त मौर्य में काम किया है और अनिल शर्मा ने मुझे शो में देखा और गदर 2 के लिए कास्ट किया. मुझे लगता है कि एक अभिनेता में प्रतिभा सबसे ज्यादा मायने रखनी चाहिए.

तो आपको कभी रिजेक्शन नहीं मिला है?

मुझे ऑडिशन में 100 बार रिजेक्ट किया गया होगा और मुझे इसमें कोई बुराई नहीं दिखती. क्योंकि अगर आप किसी भूमिका के लिए उपयुक्त नहीं हैं तो कोई निर्देशक आपको उस विशेष भूमिका में कैसे कास्ट करेगा.

आप हमेशा ही रील हो या रियल गंजे नजर आते हैं, इसकी कोई खास वजह है?

(हंसते हुए )सीरियल चन्द्रगुप्त के बाद 12 साल हो गए. उसके इंडस्ट्री ने मुझे बाल बढ़ाने की इजाजत नहीं दी. मुझे लगता है कि इससे मेरा किरदार और प्रभावी बनता है. मैं शायद पहला एक्टर होऊंगा जिसने कंस का किरदार गंजेपन में ही निभाया है. गंजे अवतार में कंस का किरदार निभाना मेरा दृढ़ विश्वास था. मेरी दलील थी कि क्योंकि हमने असल जिंदगी में कंस को कभी नहीं देखा है. हमने अपने अनुसार उसका रूप बनाया है, तो उसका रूप गँजे का क्यों नहीं हो सकता है.

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