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Exclusive : हर साल पिछले साल से बेहतर छठ गीत लाने की चुनौती होती है- नितिन चंद्रा

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राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्माता निर्देशक नितिन चंद्रा एक बार फिर अपने छठ गीत से ना सिर्फ श्रोताओं को लुभा रहे हैं बल्कि अहम संदेश भी घर घर तक पहुंचा रहे हैं. यूट्यूब चैनल बेजोड़ पर प्रसारित हो रहा उनका छठ गीत कोरोना में सुरक्षा के साथ साथ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे अहम मुद्दे पर अपनी बात रखता है.

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राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्माता निर्देशक नितिन चंद्रा एक बार फिर अपने छठ गीत से ना सिर्फ श्रोताओं को लुभा रहे हैं बल्कि अहम संदेश भी घर घर तक पहुंचा रहे हैं. यूट्यूब चैनल बेजोड़ पर प्रसारित हो रहा उनका छठ गीत कोरोना में सुरक्षा के साथ साथ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे अहम मुद्दे पर अपनी बात रखता है. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश…

छठ पूजा का यह आपका छठा गीत है. किस तरह से छह सालों की इस जर्नी को देखते हैं?

छठ पूजा का यह छठा गीत है . हमलोग इसे छठा छठ कह रहे हैं. छठा बेजोड़ छठ. 2016 में हमने इसे शुरू किया था. हमारे त्योहारों को ऑडियो विजुअल के माध्यम से दिखने वाला ऐसा कुछ इंटरनेट पर नहीं था. मैंने देखा कि मेरे जनरेशन के लोग और आगे के जेनेरेशन में भी छठ पूजा को लेकर कोई झुकाव नहीं है तो हमने सोचा कि हमें ऐसे छठ गीतों को बनाना चाहिए जो आनेवाली पीढ़ी को संदेश देते हुए छठ से जुड़ाव करें.अभी छह साल हो गए हैं.धीरे धीरे ये सीरीज बढ़ रही है. कई सारे लोग इंस्पायर्ड हुए हैं . वे भी छठ के संदेशप्रद गीत अब बना रहे हैं. बड़े बड़े कॉरपोरेट हाउस भी आ गए हैं और छठ पर कुछ अच्छा बना रहे हैं.

छठ गीत बनाते हुए पहले क्या संघर्ष था और इन सालों में क्या बदलाव आप अपने संघर्ष में पाते हैं ?

पहला छठ गीत बना रहे थे तो बहुत संघर्ष था. जब चौथे और पांचवे में आए तो मुख्य संघर्ष था वो था पैसे का कि अच्छा बनाना है तो अच्छा कैमरा. अच्छे एक्टर. अच्छे लोकेशन से लेकर कॉस्ट्यूम तक में मेहनत करनी पड़ती है. पिछले साल वाले वीडियो में प्रोडक्शन में मुश्किल था. इस साल वाला खर्च के हिसाब से काफी बड़ा था. धीरे धीरे ही सही स्पांसर मिलने लगे हैं ये . इन्वेस्टर और पब्लिक का योगदान लेकिन अभी भी नगण्य हैं. क्राउड फंडिंग करने की कोशिश की थी लेकिन लोग पैसे निकालने को राजी ही नहीं होते हैं. छठ मेरे लिए बिजनेस नहीं हैं. हम बस चाहते हैं कि पूर्वांचल के छठ का जो हम प्रतिनिधित्व करते हैं वो दुनिया देखें तो कहें कि अच्छा हुआ है तो पैसे से ज़्यादा बेहतर करने की चुनौती मेरे लिए है.

आपके इस साल के छठ गीत की शूटिंग और उससे जुड़े कलाकारों के साथ अनुभव कैसा रहा ?

इस साल का जो छठ गीत था वो काफी इंटेंस था. काफी मुश्किल भी था क्योंकि इसमें 5 सिंगर्स हैं. 5 सिंगर्स को अलग अलग स्टूडियों में रिकॉर्ड करना क्योंकि एक लड़का बलिया में रहता है. एक लड़की रांची की हैं. एक सिंगर चेन्नई में रह रही थी . वो बिहार से ही हैं. उनको मैंने मुम्बई बुलाया वहां रिकॉर्डिंग की. एक सिंगर दरभंगा से है. वो भी मुम्बई में थे तो उनकी भी रिकॉर्डिंग मुम्बई में हुई. म्यूजिक प्रोग्रामर हमारा जयपुर में था तो ऐसे मिलजुलकर काम हुआ. एक्टर्स की बात करूं तो क्रांति प्रकाश जी ,क्रिस्टीन,दीपक सिंह तो थे ही. इस बार नए चेहरों को भी शामिल किया प्रीति आनंद पटना से,निश्चल शर्मा दरभंगा से. शूटिंग भी पटना,दरभंगा,मुम्बई,रांची में हुई है. कुलमिलाकर सभी प्रोफेशनल थे तो काफी अच्छा शूटिंग के अनुभव रहा.

हमेशा छठ गीतों के साथ आप कुछ ना कुछ संदेश भी गीतों के ज़रिए बयां करते रहे हैं इस बार क्या खास है और क्यों?

इस बार छठ का कांसेप्ट छठ फ्रॉम होम का है जैसे वर्क फ्रॉम होम चल रहा था. कोविड को ध्यान में रखते हुए हमने ये छठ का कांसेप्ट लाया ताकि पूजा भी हो जाए और भीड़ भी ना जुटे. अपने घर से भी हम ये पूजा कर सकते हैं. इस बार के छठ के गीत में हमने बहुत बड़ा बदलाव किया. हमारा एक पारंपरिक गीत है जो बहुत पुराने टाइम से चला आ रहा था. इसमें लाइन है कि रुनकी झुनकी दुलारी धिया मांगी ला..पढल पण्डितवा दामाद. इस गीत में एक आग्रह है कि भाई प्यारी बेटी हमें मिले और उसके लिए अच्छा वर मिले तो ये पारंपरिक में था. मुझे इसको सुनने के बाद लगता था कि कहीं ना कहीं मां बाप लड़कीं को बोझ समझते हैं और उसकी शादी से महत्वपूर्ण लड़कीं की ज़िंदगी में और कुछ नहीं है तो हमने गाने के बोल ही बदल दिए है. हमने लड़कीं के लिए शिक्षित दूल्हे की मांग करने के बजाए लड़की के शिक्षित करने की मांग गाने में की है.

आपके छठ गीत ने किसी की ज़िंदगी या सोच में बदलाव लाया हो ऐसा कोई वाकया आपको याद आता है जब किसी श्रोता ने आपसे शेयर किया हो?

छठ गीत के छह सीरीज में खासकर जो पहला वाला आया था पहिली पहिली बार. उसके बारे में आज भी लोग मुझे बोलते रहते हैं. पिछले पांच सालों में कई लोग मुझे मिले. जिनके यहां पर छठ नहीं होता था लेकिन इस गीत के बाद उन्होंने छठ करना शुरू किया तो ये अच्छी शुरुआत है. सांस्कृतिक पुनर्जागरण है. मैं देश नहीं विदेशों की बात कर रहा हूं. रशिया,ऑस्ट्रेलिया सहित अलग अलग देशों से लोगों ने मुझे मैसेज किया. अब छठ पर विदेशों में भी परिवार एकजुट होकर इस त्योहार को मनाता है.

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