18.4 C
Ranchi
Wednesday, February 12, 2025 | 02:22 am
18.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

अदिति भगत बोली- पटना के अपनापन को मुंबई में मिस करती हूं…OTT को लेकर कही ये बात

Advertisement

टीवी अभिनेत्री अदिति भगत ने कहा कि वह पटना के अपनापन को मुंबई में काफी ज्यादा मिस करती है. मैं पटना में ही पली-बढ़ी हूं. आगे की पढाई मैंने पुणे के हॉस्टल में रहकर की थी. बता दें कि अदिति इन-दिनों धारावाहिक पुष्पा इम्पॉसिबल में नजर आ रही हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

वेब सीरीज रंगबाज और स्पाय बहू जैसे शोज का हिस्सा रही अभिनेत्री अदिति भगत इन-दिनों धारावाहिक पुष्पा इम्पॉसिबल में नजर आ रही हैं. पटना की रहने वाली अदिति भगत बताती हैं कि मेरा जो पिछला शो स्पाय बहू था. उसमें मैं बहुत शांत और प्यारी सी लड़की थी. पुष्पा में मैं बहुत बोल्ड हूं. एक बड़े बिजनेस को संभाल रही हूं, लोगों को यह पसंद आ रहा है कि मैं उन्हें अपने अभिनय के दोनों पहलू दिखा पायी. उनके इस शो, पटना से जुड़ाव सहित कई पहलुओं पर उर्मिला कोरी की हुई बातचीत…

पहले से स्थापित शोज का हिस्सा बनते हुए किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?

मैंने जो स्पाय बहु सीरियल किया था, उसमें मैंने दृष्टि के किरदार को किया था. वो मेरे से पहले दूसरी अभिनेत्री कर रही थी. वो मेरे लिए बड़ा टास्क था, क्योंकि लोग उन्हें पहले से ही दृष्टि के नाम से देख रहे थे. जब मैंने एंट्री की थी, तो मुझे इस बात को लेकर एक डर तो था कि लोग मुझे इस किरदार में पसंद करेंगे या नहीं, लेकिन सभी लोगों ने मेरे किरदार को पसंद किया. पुष्पा इम्पॉसिबल में मेरा किरदार पूरी तरह से नया है. मैं किसी की जगह नहीं आयी हूं, तो यहां पर ये दिक्कत नहीं थी कि मेरा किरदार पसंद करेंगे या नहीं. यहां परेशानी ये थी कि पुष्पा सीरियल 8 महीने से चल रहा है, तो उनके एक्टर्स के बीच एक बॉन्डिंग रहती ही है, आप नए हैं .ऐसे में शुरूआत में सेट थोड़ा हिचक होता है, लेकिन सभी प्रोफेशनल एक्टर्स हैं और हमारे डायरेक्टर बालिका वधु सीरियल के हैं, उन्हें अपनी टीम को एक करके उनसे बेस्ट परफॉर्म करवाना आता है. मैं हर दिन यहाँ कुछ सीख रही हूं. यहां पर सब एक परिवार की तरह काम करते हैं

पुष्पा इम्पॉसिबल है. अदिति की जिंदगी में क्या इम्पॉसिबल है ?

मैं जब कोई चीज ठान लेती हूं, तो मैं कर ही लेती हूं, फिर कितना भी समय लग जाए. मेरी जिन्दगी में किसी भी चीज के लिए ना नहीं है. मैं मेहनती बहुत हूं.

अब तक की जर्नी कैसे रही हैं, एक्टिंग में कैरियर बनाने का ख्याल कैसे आया?

मैं पटना में ही पली-बढ़ी हूं. आगे की पढाई मैंने पुणे के हॉस्टल में रहकर की थी. मैं इंग्लिश लिट्रेचर पढ़ रही थी. वो होते हैं ना दोस्त लोग, जो आपको कहते रहते हैं कि यार मॉडलिंग में कोशिश करो. मैंने सोचा कि चलो कोशिश करके देखते हैं और मेरा हो गया. उसके बाद एक्टिंग की ओर रुझान हुआ. मैंने जी 5की रंगबाज का पहला सीजन किया है. मैंने फिल्म श्री राजू में लीड भी किया था. चीज़ें मिलती जा रही थी, तो लगा कि मैं मुंबई में सर्वाइव कर जाउंगी. उसके बाद कोविड आ गया और मैं अपने घर पटना चली गयी. मैंने तीन साल का ब्रेक लिया. मेरे करियर में तीन साल का गैप आ गया था. वो गैप के बाद मैं वापस आयी और शुक्र था कि मुझे काम मिल गया. सबसे पहले स्पाय बहू, फिर पुष्पा इम्पॉसिबल से मैं जुड़ गयी.

आमतौर पर ओटीटी और फिल्मों में काम करने के बाद एक्टर टीवी की ओर रुख नहीं करते हैं?

आपकी जिन्दगी अनुभव होती है. मैंने शुरुआत ओटीटी में रंगबाज और फिल्म से की थी. उस वक्त मैंने टीवी का ऑप्शन बंद ही कर दिया था. जब मैं तीन साल के अंतराल के बाद आयी, तो एक परिपक्वता आ गयी थी. जिंदगी के साथ-साथ इंडस्ट्री की समझ भी हो गयी थी, जिसने ये समझाया कि आपको काम करना जरूरी है ना कि घर पर बैठकर ये सोचना कि फिल्म नहीं मिलेगी, तो मैं कुछ नहीं करूंगी. मैं हर दिन काम करने में यकीन करती हूं. मेरे लिए अच्छा किरदार चुनना महत्वपूर्ण है ना कि ये फिल्म ही होनी चाहिए, ये ओटीटी होना चाहिए. मैं अपने ऑप्शन नहीं बंद कर रही हूं. मैं सारे ऑप्शन खुले रखकर, जो अच्छा किरदार मिलेगा, उसे करना चाहूंगी.

आपकी फैमिली ग्लैमर इंडस्ट्री में आपके जुड़ने के फैसले को कितना सपोर्ट किया

मेरी फैमिली में सभी का मुझे सपोर्ट मिला है. मैं बीच वाली बच्ची हूं. आमतौर पर कहा जाता है कि मिडिल चाइल्ड बहुत विद्रोही होते हैं. मेरा हमेशा से आर्ट की तरफ झुकाव रहा है है. मैं डांसर रही हूं. मैंने चार साल तक सालसा सीखा है, मेरी लैटिन बहुत स्ट्रांग हैं. मेरे परिवार वाले हमेशा से इस बात को जानते थे कि मैं जो कुछ भी करुंगी, वो टिपिकल जॉब जैसा तो नहीं होगा. हां जब मैंने अपने परिवार को बोला तो उनके जेहन में भी था कि इसने अचानक से एक्टिंग को क्यों चुना, फिर उन्होंने मेरे सपने को समझा और उसे सपोर्ट किया. मेरे पापा ने ही मुझे कहा कि एक्टिंग करनी है, तो उसे सीखो. उन्होंने ही मुझे अनुपम खेर के एक्टिंग स्कूल में जाने को कहा था. जब भी हेक्टिक शूटिंग शेड्यूल होते हैं, तो मेरी मां आ जाती हैं, मेरा ध्यान रखने के लिए. मेरे पापा मुझे हर दिन दो बार कॉल करते ही हैं. वो मुझसे मेरे पूरे दिन की रूटीन पूछते ही हैं. जब मैं मुंबई में काम ढूंढने आयी थी, तो मेरे परिवार ने ही उस वक्त की मेरी आर्थिक जरूरतों को पूरा किया. अब मैं अपना खर्च खुद उठाती हूं और मेरी कोशिश रहती है कि अपने परिवार के लिए भी कुछ करुं भले ही छोटी -छोटी चीजें ही सही.

आपके दादाजी बलिराम भगत लोकसभा स्पीकर रह चुके थे, उन्होंने आपके एक्टिंग के फैसले को कितना सपोर्ट किया था?

जब मैंने एक्टिंग का तय किया तब तक दादाजी का देहांत हो चुका था, लेकिन इतना मैं जानती हूं कि वो मुझे कभी रोकते नहीं, वो बहुत सपोर्टिव थे. वे बहुत खुश होते ये देखकर कि मैं क्या कर रही हूं.

आपके दादाजी राजनीति से जुड़े थे, आपकी कितनी रूचि राजनीति में है?

दादाजी का राजनीतिज्ञ करियर कमाल का था. मैं उसके बारे में क्या बात करूं. सभी इसके बारे में जानते हैं. एक कहावत है कि कभी किसी चीज के लिए ना नहीं कहना चाहिए, तो मैं किसी चीज के बारे में ना तो नहीं बोलूंगी. अभी मेरा फोकस मेरा एक्टिंग कैरियर है. भविष्य का मैं नहीं बता सकती हूं. वैसे मैं अपने दादाजी के आदर्शों को जरूर अपने साथ रखना चाहूंगी, वे ऐसे इंसान थे, जो हजारों लोगों की मदद के लिए आगे रहते थे. तो मैं वैसा कुछ करना चाहूंगी. लोगों की मदद करना चाहूंगी.

क्या बोल्ड और इंटिमेट दृश्यों से आपको परहेज है?

बोल्ड और इंटीमेट की, जहां तक बात है अगर किरदार की मांग होगी, तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है. एक एक्टर के तौर पर मैं खुद को किसी दायरे में नहीं बांधना चाहती हूं, वरना मेरे आर्ट को बाहर निकालने में मुश्किल होगी.

अक्सर ये बात कहते लोग कहते हैं कि छोटे शहर के लोगों को ज़्यादा संघर्ष करना पड़ता है?

मैं इस बात को नहीं मानती हूं. हमारे फील्ड में अगर आपका क्राफ्ट अच्छा है. आप परफॉर्म कर सकते हैं, ऐसा कोई इंसान नहीं होगा, जो आपको छोटा या बड़ा शहर देखकर काम देगा. कई लोग कनाडा या दूसरे देशों से भी आते हैं, उनको भी हमारी तरह संघर्ष करना ही पड़ता है.

इंडस्ट्री का एक स्याह पक्ष कास्टिंग काउच भी है, क्या आपको ऐसे कड़वे अनुभवों से भी गुजरना पड़ा है?

हर किस्म के इंसान मिलते हैं. ऐसे लोग मिल ही जाते हैं, जो अच्छे नहीं होते हैं. मुझे भी ऐसे लोग मिले हैं. अच्छी बात ये है कि वो चॉइस आपके हाथ में होती है कि आपको हां बोलना है या ना बोलना है. जो आए जैसे आए करना ही है, वैसा वाला मामला मेरे साथ नहीं था. ये माइंड सेट बहुत जरूरी होता है. बहुत से लोग घर छोड़कर चले आते हैं, तो उनको लगता है कि जो मिल रहा है, वो कर लो. वैसे लोगों का फायदा यहां लोग उठाते हैं. मैं लकी रहूं कि मुझे ऐसी परेशानी कभी नहीं हुई.

अगले पांच सालों की क्या प्लानिंग है ?

हर कोई एक ड्रीम के साथ आता है. मैं साउथ में काम करना चाहती हूं. मुझे साउथ की फिल्मों से प्यार है. मैं साउथ ही जाना चाहती थी, लेकिन मेरे पापा नहीं माने थे. उनका कहना था कि वहां का कल्चर बिलकुल अलग है. तुम्हे वहां बहुत दिक्कत होगी. वे मुंबई के लिए राजी थे. उन्होंने कहा कि पहले वहां एक पहचान बनाओ, फिर साउथ चले जाना, तो आनेवाले साल में मेरी प्लानिंग वहां की है. मैं वहां का एक स्थापित नाम बनना चाहती हूं.

एक्टिंग के हैक्टिक शेड्यूल के बीच बिहार से कितना जुड़ाव रख पाती हैं?

जब भी मुझे दस या पंद्रह दिन की छुट्टी मिलती है या कोई त्यौहार आनेवाला होता है, तो मैं पटना अपने घर चली जाती हूं. मेरा परिवार वहां है. मेरे कुत्ते भी. सबकोई वहीं हैं, अगर मैं सुबह उठकर लिट्टी, घुघनी नहीं खा रही हूं, तो मतलब ही क्या है. ठंड में गोइठा वाली घी की लिट्टी और मटन ना खाऊं साल में एक बार तो चीजें मिसिंग लगती हैं. वो चीज यहां नहीं मिल सकती है. छोटे शहरों का जो अपनापन है, सब मिलकर रहते हैं. मुम्बई में सब मशरूफ हैं, तो उसको पाने के लिए मैं पटना पहुंच जाती हूं.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें