26.1 C
Ranchi
Tuesday, February 11, 2025 | 07:49 pm
26.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

जन्मदिन विशेष : चार्ली चैपलिन एक भीगी मुस्कान का नाम है

Advertisement

Charlie Chaplin birthday : चार्ली चैपलिन, पूरी दुनिया के लिए एक ऐसा नाम हैं, जिसे देखते एक छोटी सी मुस्कान बहुत सारी हंसी का रास्ता तय कर लेती है. आज 16 अप्रैल के दिन ही 1889 में इस महान अभिनेता का जन्म इंग्लैंड (लंदन) में हुआ था.

Audio Book

ऑडियो सुनें

चार्ली चैपलिन, पूरी दुनिया के लिए एक ऐसा नाम हैं, जिसे देखते एक छोटी सी मुस्कान बहुत सारी हंसी का रास्ता तय कर लेती है. आज 16 अप्रैल के दिन ही 1889 में इस महान अभिनेता का जन्म इंग्लैंड (लंदन) में हुआ था. चार्ल्स स्पेंसर चैपलिन यानी चार्ली चैपलिन के पिता एक बहुमुखी गायक और अभिनेता थे. लिली हार्ले के नाम से जानीजाने वाली उनकी मां ओपेरा की ख्याति प्राप्त अभिनेत्री और गायिका थीं.

चार्ली ने दुनिया को अपने अभिनय से जितना हंसाया, उनका असली जीवन उतना ही उस हंसी से वंचित रहा. चार्ली का पूरा बचपन संघर्ष और दुख से भरा रहा, उन्हें अपनी बीमार मां और भाई के साथ अनाथालय में रहना पड़ा. लेकिन, चार्ली का मानना था कि ‘इस अजीबोगरीब दुनिया में कोई चीज स्थााई नहीं है. हमारी मुश्किलें और मुसीबतें भी नहीं.’

बचपन से ही अपनी अभिनय यात्रा शुरू कर देनेवाले अभिनेता चार्ली का जिंदगी को लेकर एक फलसफा था- ‘मेरी जिंदगी में बेशुमार दिक्कातें हैं लेकिन यह बात मेरे होंठ नहीं जानते. वो सिर्फ मुस्कुिराना जानते हैं.’ यही फलसफा उनकी फिल्मों में दिखायी देता है, जिसमें वह दुःख, दरिद्रता, अकेलापन तथा बेरोजगारी का चित्रण हास्यबोध के साथ करते हैं. लेकिन, फिल्म देखते वक्त अगर अभिनेता चार्ली की आंखों पर आप ठहर पायें, तो इस हास्य में छिपे गहरे दुख को महसूस कर सकते हैं. विनोद भट्ट ‘चार्ली चैपलिन’ किताब में लिखते हैं ‘हास्य और करुणा दोनों एक एक-दूसरे के साये हैं. अत: असली कॉमेडी में वेदना की लकीरें जरूर दिखायी देंगी.’ चाहे द किड हो या द गोल्ड रश, सिटी लाइट्स हो या द ग्रेट डिक्टेटर, चार्ली की फिल्मों में उसके हास्य के भीतर एकाध आंसू कहीं न कहीं दुबक कर बैठा रहता है. चार्ली की फिल्म देखनेवालों को हास्य और करुणा, दोनों भावों की अनुभूति एक साथ होती है.

नृत्य और संगीत की प्रतिभा चार्ली को विरासत में मिली थी. वह जब 12 साल के थे, उन्हें एक लेजिटिमेट मंच के कार्यक्रम में नाटक प्रस्तुत करने का मौका मिला और ‘शेरलॉक होम्स’ में वह ‘बिल्ली’ के रूप में उपस्थित हुए. इसके बाद 1908 में चार्ली ने वौडेविल्ले कंपनी में हास्य कलाकार के रूप में करियर की शुरुआत की और उन्हें 1910 में यूनाइटेड स्टेट्स की ‘फ्रेड कार्नो रेपेर्टिरे कंपनी’ का प्रधान अभिनेता बना दिया गया. चार्ली ने अपने जीवन के 75 साल लोगों का मनोरंजन करते हुए बिताये और अपने जीवन-काल में ही मिथ बन गये.

चार्ली चैपलिन ने अपनी आत्मकथा में लिखा है-‘ हम जिस गली में रहते थे, उसके नुक्कड़ पर कसाईघर था. हमारे घर के पास से भेड़ों का एक झुंड रोज निकलता और कसाईघर की ओर जाता. एक दिन उस झुंड में से एक भेड़ अपनी जान बचाकर भागी, तो आस-पास के लोग यह देखकर हंसने लगे, कुछ लोगों ने उस भेड़ को पकड़ने का प्रयास किया, तो कुछ उसके पैर पकड़ कर खींचने लगे. उस भेड़ की चीखें सुन कर और भागदौड़ देखकर मुझे भी हंसी आ गयी. भेड़ों का रखवाला जब उस भेड़ को पकड़ कर कसाईघर की ओर जाने लगा, तभी मुझे उस करुण वास्तविकता का एहसास हुआ. मैं चीख-चीख कर रोने लगा और अपनी मां के पास भागा. मैं मां से कहने लगा, वे लोग भेड़ को मार डालेंगे. और उसके बाद कई दिनों तक वसंत ऋतु की उस शाम के संस्मरण मेरे चित्त पर चिपके रहे. कभी-कभी मुझे लगता है कि मेरी फिल्मों के विषय का मूल शायद इसी घटना में होगा, करुणा और हास्य का सम्मिश्रण.

चार्ली को बारिश बहुत पसंद थी, वह कहते थे- ‘मुझे बारिश में चलना पसंद है क्योंकि उसमें कोई भी मेरे आंसू नहीं देख सकता.’ अपने भीतर गहरा दुख लिये चार्ली जीवन भर लोगों को हंसाते रहे. तभी तो पहले विश्व युद्ध से लेकर आज के मुश्किल समय तक, चार्ली की फिल्में अपने गहरे हास्य बोध से दर्शकों को भिगोने के लिए मौजूद हैं.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें