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Daughters day:इन सेलिब्रिटीज बेटियों ने बताया पेरेंट्स की ये लाड़ली हैं बहुत जिम्मेदार भी 

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डॉटर्स डे पर पलक तिवारी,मदालसा शर्मा सहित इन अभिनेत्रियों ने अपने पेरेंट्स से अपने जुड़ाव और उनसे जुड़ी जिम्मेदारियों को यहां साझा किया है.

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daughters day:आज पूरी दुनिया में डॉटर्स डे मनाया जा रहा है.मम्मी पापा की लाड़ली बेटियों के लिए समर्पित इस दिन पर सेलिब्रिटीज बेटियों ने बताया कि वह अपने पेरेंट्स की ख़ुशी,सीख और सपनों को अपना मानते हुए वह उनके प्रति कितनी जिम्मेदार भी हैं.

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श्वेता की बेटी इतनी अच्छी है ये सुनना अच्छा लगता है  -पलक तिवारी 
मेरे बचपन की जहां तक बात है,तो मेरी मम्मी ने हमेशा कोशिश की है कि उनके पास जो भी रिसोर्सेज उनके बचपन में थे. उसका मेरे पास ट्रिपल रहें. उन्होने मुझे बहुत आरामदायक जिंदगी दी है. मेरे भाई को उससे भी ज्यादा आरामदायक जिंदगी मिल रही है. एक पेरेंट का यही गोल होता है और उन्होने बखूबी उस रोल को निभाया है. मुझे अपनी मम्मी की बेटी होने पर बहुत लकी महसूस होता है, क्योंकि मेरी मम्मी को सब बहुत प्यार करते हैं, इसलिए थोड़ा सबका प्यार मुझे पर भी छलक आता है. हां उस प्यार का प्रेशर भी महसूस होता है कि मैं सबकी उम्मीदों पर खरी उतरूं. हमेशा सबसे बेस्ट रहूं. अच्छी इंसान रहूं. मैं  सुनना पसंद करूंगी कि इतनी अच्छी श्वेता की बेटी कैसी है.वैसे मेरी मां की ख्वाहिश है कि मैं बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड पाऊं और वह दर्शक दीर्घा में बैठकर मेरे लिए चिल्लाये. उनके इस सपने को पूरा करने के लिए मैं बहुत मेहनत कर रही हूं. मैं उनके प्रति फिलहाल यही सबसे बड़ी मुझे जिम्मेदारी लगती है. 

मेरी पहली बेटी मेरी मां हैं -संगीता घोष  

हम एक मध्यम वर्गीय परिवार से थे, लेकिन मेरे माता-पिता ने कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि हमारे पास किसी चीज की कमी है. बेटियां हमेशा ही जिम्मेदार होती हैं, तो बड़े होने के साथ ही मैंने अपने माता पिता के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभानी शुरू कर दी  थीऔर आज तक भी पूरी कोशिश रहती है.चाहे मैं कहीं भी रहूँ, मैं दिन में 10 बार फोन करके माँ से पूछती हूँ कि वे क्या कर रही हैं. मेरे पिताजी अब इस दुनिया में नहीं हैं.उनके आखिरी दिनों में मैं हमेशा उनके साथ रही. उस समय वे बहुत बीमार थे. यदि उनकी जगह मैं बीमार होती,तो वे मुझे ठीक करने के लिए पूरी दुनिया एक कर देते, इसलिए मेरे लिए भी यह स्वाभाविक था कि मैं उनके लिए सब कुछ करूं।पापा के जाने के बाद मेरी माँ अब मेरे साथ रहती हैं और अब वह मेरी बेटी हैं. मेरी खुद की ढाई साल की बेटी है, लेकिन मेरी माँ मेरी पहली बेटी हैं. अपने माता पिता से मिली सीख को मैं अपनी बेटी में भी डालना चाहूंगी.आजकल के माता-पिता अपने बच्चों के दोस्त बनना चाहते हैं, लेकिन उनमें माता-पिता की आँखों का डर खत्म हो जाता है, जो कि बहुत जरूरी है. मुझे नहीं पता कि जब मेरी बेटी बड़ी होगी, तो मैं उसके साथ कैसे रहूँगी, लेकिन मैं हमेशा पहले उसकी माँ ही रहूँगी. मेरे माता-पिता ने इसे बहुत खूबसूरती से निभाया। उन्होंने कभी-भी मुझसे किसी भी चीज़ के बारे में सवाल नहीं किया. उन्होंने मुझे बहुत स्वतंत्रता दी। उन्होंने कभी लड़के और लड़की में फर्क नहीं किया। मेरी और मेरे भाई की परवरिश एक समान हुई है. मैं घर से बाहर लड़कों के साथ क्रिकेट और कबड्डी खेला करती थी। उन्होंने कभी मुझ पर बंदिश नहीं लगाई. रात में देर से घर आने पर भी उन्होंने कभी मुझ पर आपत्ति नहीं जताई. मुझे लगता है कि उन्होंने मुझे जो आजादी दी, उसने मुझे और अधिक जिम्मेदार बना दिया. मैं हमेशा उन्हें मुझ पर भरोसा करने के लिए धन्यवाद् देती हूँ और उन्हें पाकर धन्य हूँ.

मां के बिना ज़िंदगी सोच नहीं सकती हूं – विदिशा श्रीवास्तव
मैंने अपने पेरेंट्स के साथ हमेशा ही बहुत ही स्पेशल और खूबसूरत बॉण्ड शेयर किया है. मैं बहुत ही लकी लड़कियों में से हूं .जो अभी भी अपनी मां के साथ रहती है. पापा नहीं रहे और मैंने मां का साथ कभी नहीं छोड़ा.शादी के बाद भी .आज मैं खुद एक मां बन गई हूं, तो  मुझे अपनी मां की वैल्यू और समझ में आती है. मैं बनारस से हूं और मेरी परवरिश ऐसे हुई है कि माता-पिता का मतलब हमारे लिए भगवान के बराबर है. मैं अपनी मम्मी और पापा को वही दर्जा देता हूं. मम्मी की उम्र हो रही है.अपने पेरेंट्स को उम्रदराज़ होते देखना आसान नहीं होता है. मन में सवाल आता रहता है कि कहीं वह भी पापा की तरह मुझसे दूर तो नहीं चली जायेंगी. ऐसे बातें मेरे मन में चलती रहती हैं. इससे पहले उनको ज़िंदगी की सारी खुशियां दे दूं.जिंदगी भर उन्होंने बहुत सारा बलिदान दिया है.हमें खुशियां देने के लिए. मैं उनको हर ख़ुशी देना चाहती हूँ . वैसे उन्हें सबसे ज़्यादा ख़ुशी उनके साथ समय बिताने से मिलती है . मैं हर दिन उनके साथ समय बिताने की कोशिश करती हूँ. उनके साथ खाना खाने से लेकर छोटी- छोटी की करती हूं.अपनी जिंदगी उनके बिना सोच नहीं सकती हूं.

मां पापा की हर सलाह मानती हूं – मदालसा शर्मा

मेरे माता-पिता हमेशा मेरी प्राथमिकता रहे हैं. यह व्यक्त करने के लिए शब्द कभी भी पर्याप्त नहीं होंगे कि मैं उनकी बेटी होने के लिए कितनी आभारी हूं. उन्होंने मुझे उस इंसान के  रूप में आकार दिया है ,जो मैं आज हूं. मैं अपने जीवन के लिए उनकी ऋणी हूं. हमारे बीच दोस्ती जैसा बंधन है. मैं अपनी सभी व्यक्तिगत भावनाओं को अपनी माँ और पिताजी के साथ साझा करने में पूरी तरह से सहज महसूस करती हूँ, और मैंने अपने बढ़ते वर्षों के दौरान ऐसा ही किया है. मैं हमेशा उनकी सलाह की मानती हूं क्योंकि मैं जानती हूं कि उनके फैसले हमेशा मेरे हित में होते हैं और उन्हें इंडस्ट्री और लोगों की मुझसे ज़्यादा समझ है .जब जिम्मेदारियों की बात आती है, तो मैंने कभी भी अपने माता-पिता के लिए प्यार और देखभाल को एक दायित्व के रूप में नहीं देखा है. यह मेरे लिए स्वाभाविक रूप से आता है. उनकी बेटी होने के नाते, मैं जो कुछ भी करती हूं वह स्वाभाविक है.मैं उनकी केयर करने के साथ – साथ उनको अपना वक़्त भी देती हूं. 

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