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सतीश कौशिक को था इस बात का बेहद अफसोस, करीबी दोस्त रूमी जाफरी ने किया खुलासा

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सतीश कौशिक के पुराने दोस्त लेखक और निर्देशक रूमी जाफरी ने उनसे जुड़ी कुछ बातें बताई. रूमी ने कहा, सतीश और मेरी दोस्ती 38 सालों की रही है. मैं मुंबई पहली बार जब घूमने आया था तो एक कॉमन दोस्त के घर पर मुलाक़ात हुई थी.

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लोकप्रिय अभिनेता और निर्देशक सतीश कौशिक अब हमारे बीच नहीं रहें. हिंदी सिनेमा में उन्होने कई यादगार किरदारों को निभाए हैं. उनके पुराने दोस्त लेखक और निर्देशक रूमी जाफरी सतीश कौशिक से जुड़ी अपनी यादों को शेयर करते हुए बताते हैं कि कैलेंडर छोड़कर सतीश के करियर में जितने भी हिट किरदार रहे हैं. उनमें सबसे अधिक मेरे ही द्वारा ही लिखें हैं. चाहे वह बड़े मियां छोटे मियां का शराफत अली हो, हसीना मान जाएगी का कुंज बिहारी हो, साजन चले ससुराल का मुथूस्वामी हो, दीवाना मस्ताना का पप्पू पेजर हो. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.

38 सालों की थी हमारी दोस्ती

सतीश और मेरी दोस्ती 38 सालों की रही है. मैं मुंबई पहली बार जब घूमने आया था तो एक कॉमन दोस्त के घर पर मुलाक़ात हुई थी. उसके बाद जब मैं मुंबई शिफ्ट हुआ, तो बराबर मिलते रहे. हम बैठे तो घंटो गप्पे ही लगाते रहते थे. फ़ोन पर भी कभी हमारी आधे घंटे से कम बात नहीं होती थी. हर दूसरे या तीसरे दिन हम एक -दूसरे को फ़ोन करते ही थे। 17 जनवरी को जावेद साहब के जन्मदिन पर उनके घर हम सब मिले थे. कई घंटे हमने साथ में बिताएं थे. जमकर हंसी ठहाके लगे थे.

खुद का भी मजाक बनाने से पीछे नहीं रहता था

सतीश जैसा अच्छा और पॉजिटिव इंसान हमारे जिंदगी से चला गया. ये निजी क्षति है. वह बहुत अच्छा इंसान था. निजी जिंदगी की तमाम चुनौतियों के बाद वह हमेशा मुस्कुराते थे. कभी हार नहीं मानते था. वह अपना मजाक बनाने से भी पीछे नहीं रहता था. मुझे याद है रूप की रानी चोरों का राजा फ्लॉप हुई थी. उस फ़िल्म की नाकामयाबी उस फ़िल्म से जुड़े सभी लोगों के लिए बहुत मुश्किल थी. सतीश के लिए भी, लेकिन शो मस्ट गो ऑन. फ़िल्म साजन चले ससुराल की शूटिंग थी। के नीचे सोने वाला सीन था. सीन जैसे ही शुरू हुआ. उसने अचानक बोला कट कट. हमने पूछा क्या हुआ सब ठीक ना। उसने बोला पहले कन्फर्म करो कि ट्रेक्टर के ड्राइवर ने मेरी फ़िल्म रूप की रानी चोरों का राजा नहीं देखी वरना वह मुझे छोड़ेगा नहीं पक्का कुचल देगा. यह सुनकर पूरा सेट हंसने लगा था.

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महमूद और जॉनी वॉकर की कॉमेडी का था मुरीद

सतीश की कॉमेडी के सभी कायल रहे हैं, लेकिन सतीश, महमूद और जॉनी वॉकर की कॉमेडी का मुरीद था. फ़िल्म साजन चले ससुराल का मुथूस्वामी का किरदार, उनके करियर के आइकॉनिक किरदारों में से एक था. इस फ़िल्म के लिए सतीश को फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला था. जब वो किरदार दिमाग़ में लिख रहा था, तो कभी लगता कि पंजाबी रख देते हैं, कभी लगता कि नार्मल इंडियन रख देते हैं. फिर लगा अपोजिट रख देते हैं. सतीश ने भी बोला कि गोविंदा का किरदार नॉर्थ से है, तो इस किरदार को साउथ का ही कर देते हैं. परदे पर यह जुगलबंदी बहुत अच्छी लगेगी. हुआ भी यही. सतीश मुथूस्वामी का किरदार इसलिए भी बहुत पसंद आया था, क्योंकि वह महमूद की कॉमेडी से विशेष लगाव रखता था और फ़िल्म पड़ोसन का किरदार सतीश को बहुत पसंद था. मुथूस्वामी का किरदार एक तरह से उस किरदार को श्रद्धांजलि था.

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किरदारों को खास बनाने में खुद भी देता था कई इनपुट्स

सतीश एक्टर लाज़वाब था. किरदार में जान डाल देता था. स्क्रिप्ट लिखते हुए ये जेहन में होता इसके लिए कुछ जबरदस्त लाओ ये और जबरदस्त करेगा. सतीश ऐसा एक्टर था कि जो आपने दिमाग़ में सोचा है. उससे और अच्छा डिलीवर करता था. वह अपने किरदार में अपने आसपास के लोगों से प्रेरित होकर भी बहुत कुछ जोड़ता था. फ़िल्म दीवाना मस्ताना में ऐसा ही हुआ था. उसके द्वारा निभाया गया पप्पू पेजर का किरदार शायद ही कोई भूले. उस समय नया नया मोबाइल आया था और पेजर का ज़माना जा रहा था तो मैंने किरदार का नाम दिया था मुन्नू मोबाइल का भाई पप्पू पेजर. डायलॉग मेरे थे लेकिन वो जिस लहजे और स्टाइल से बात करेगा. वो पूरी तरह से सतीश का था. उसने बताया था कि फ़िल्म सागर की के स्टिल फोटोग्राफर पीके दास बहुत अलग अंदाज में बात करता था. वह उस अंदाज को पप्पू पेजर के किरदार में लाना चाहता है. उसके बाद जो जादू हुआ वो सबको पता था.

इस बात का था अफसोस

सतीश बहुत ही जिंदादिल इंसान था, लेकिन उसे एक बात का अफसोस भी था कि उसने शुरुआत में अपने हेल्थ का उस तरह से ख्याल नहीं रखा जैसे उसे रखना था. उसने अपने युवा दिनों में कभी फिटनेस पर ध्यान ही नहीं दिया. बेटी होने के बाद उसका ज्यादा फोकस फिटनेस पर हो गया था। उसने वजन भी बहुत कम कर लिया था. एक्सरसाइज, डाइट और भी कर रहे थे.

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