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Naushad Ali Birth Anniversary: पिता से बगावत करने से हारमोनियम रिपेयर करने तक, नौशाद ऐसे बने महान संगीतकार

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Naushad Ali Birth Anniversary: प्रख्यात संगीतकार नौशाद अली का आज 105वां जन्म दिवस है. इस मौके पर हम उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ अनसुने पहलु पर एक नजर डालते हैं.

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Naushad Ali Birth Anniversary: भारतीय सिनेमा के दिग्गज संगीतकार नौशाद अली के चाहने वालों की दुनियाभर में कोई कमी नहीं है. सिनेमा जगत में उन्हें शास्त्रीय संगीत के उपयोग के लिए लोकप्रियता हासिल हुई. आज ही से 105 साल पहले 25 दिसंबर 1919 के दिन लखनऊ में मुंशी वाहिद अली के घर उनका जन्म हुआ था. उन्होंने अपने जीवन के दौरान 67 फिल्मों में ही संगीत दिया, इसके बावजूद उन्हें संगीत के इतिहास में महान और बेहतरीन संगीत निर्देशकों में से एक माना गया है. वह मुगल-ए-आजम, बैजू बावरा, शाहजहां, अंदाज, मदर इंडिया और गंगा जमुना ऐसी बेहतरीन फिल्मों में संगीत देने के लिए प्रख्यात हैं. ऐसे में आज उनकी जन्म दिवस पर हम आपको उनके कुछ दिलचस्प के सोच से रूबरू करवाएंगे.

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Naushad ali

पिता के खिलाफ जाकर किया सपनों को पूरा

नौशाद अली ने भारतीय संगीत की तालीम कई महान संगीतकारों से ली है. इनमें उस्ताद गुरबत अली, उस्ताद यूसुफ अली और उस्ताद बब्बन का नाम शामिल है. नौशाद अली बचपन में हारमोनियम रिपेयर करने का काम करते थे. इसी वजह से उनकी दिलचस्पी संगीत की ओर काफी बढ़ गई, लेकिन उनके पिता इसके खिलाफ थे. उनका मानना था कि इस्लाम में संगीत पाप है. यहां तक की उन्होंने नौशाद से संगीत और परिवार के बीच में चुन्नी तक के लिए कह दिया था. इसके बाद में नौशाद अली ने संगीत को चुना और घर छोड़कर सपनों की नगरी मुंबई आ गए.

नौशाद अली की फिल्में

नौशाद अली घरवालों के खिलाफ जाकर मुंबई तो आ गए थे, लेकिन यहां उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा शुरुआत में कई रातें तो उन्हें सड़कों पर ही गुजारनी पड़ी थी. इसके बाद उन्होंने अपने करियर की ओर पहला कदम साल 1940 में आई फिल्म ‘प्रेम नगर’ से बढ़ाया. इसके बाद उनकी फिल्म ‘शारदा’ साल 1942 में आई. इन दोनों ही फिल्मों से उन्हें प्रसिद्ध नहीं मिल पाई. शारदा के बाद साल 1944 में नौशाद अली की फिल्म ‘रतन’, जो उनके करियर में मिल का पत्थर साबित हुई.

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इस फिल्म से चमकी किस्मत

नौशाद अली की फिल्म ‘रतन’ की सफलता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि यह फिल्म सिर्फ 75 हजार रुपए की बजट पर तैयार की गई थी, लेकिन नौशाद अली के म्यूजिक की वजह से इस फिल्म के गानों ने 3 लाख रुपए की रॉयल्टी हासिल की थी. नौशाद अली 26 फिल्में सिल्वर जुबली रहीं, जबकि कई फिल्में गोल्डन और डायमंड जुबली भी रह चुकी हैं. उन्हें साल 1981 में सिनेमा जगत सबसे प्रतिष्ठित सम्मान ‘दादा साहेब फाल्के पुरस्कार’ से नवाजा गया था. इसके अलावा ऑस्कर में जाने वाली पहली भारतीय फिल्म ‘मदर इंडिया’ का संगीत भी नौशाद अली ने ही दिया था. नौशाद अली ने 5 मई, 2006 को हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह दिया था, लेकिन आज भी वह अपने संगीत के जरिए लोगों के दिलों में जिंदा हैं.

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