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Aparshakti Khurana Interview : गर्लफ्रेंड से बात करने के लिए पूरे दिन के इंतजार का चार्म खत्म हो गया

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Aparshakti Khurana Interview : अपारशक्ति ने इस इंटरव्यू में माना कि यह उनके कैरियर का बेस्ट फेज है. इनदिनों वह जहां भी जाते हैं लोग उन्हें स्त्री 2 की लोरी सुनाने को कहते हैं. वह एंथम बन गया है.

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Aparshakti Khurana : अभिनेता अपारशक्ति खुराना बीते कुछ समय से लगातार अपने काम से वाहवाही बटोर रहे हैं.कॉमेडी से लेकर इंटेस हर तरह के किरदार में वह हिट और फिट हैं.इसकी गवाही जुबली,स्त्री 2 और हालिया रिलीज फिल्म बर्लिन है.उनके मौजूदा सफलता और करियर पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत 

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अपार यह आपके करियर का बेस्ट दौर है?

मन तो कहता है कि अभी और भी बैटर चीज होगी लाइफ में, लेकिन हां अभी तक का यह बेस्ट दौर है.

अपने अपने करियर में बहुत उतार -चढ़ाव देखें हैं और अभी जिस तरह से आपको तारीफें मिल रही है क्या आपको वह एक प्राउड का भी एहसास करवा रही है?

मैं इसे प्राउड नहीं कहूंगा. मैं कहूंगा कि एक तरह की संतुष्टि है. मुझे लगता है कि प्राउड से ज्यादा आपकी जिंदगी में तसल्ली होना, संतुष्ट होना और खुश होना ज्यादा जरूरी चीजें हैं. प्राउड यह शब्द मेरी शब्दावली में नहीं आता है.

सफलता को किस तरह से आप सेलिब्रेट करते हैं?

मेरा सेलिब्रेट करने का तरीका बहुत ही सिंपल है. जब मैं अच्छा काम करता हूं तो मैं खुद को ट्रीट देता हूं,लेकिन मैं खुद को कभी गुलाब जामुन खिला देता हूं, तो कभी छोले भटूरे. मैं इसी से बहुत खुश हो जाता हूं.

आपकी हालिया रिलीज बर्लिन जी 5 पर स्ट्रीम कर रही है यह फिल्म किस तरह से आप तक पहुंची थी?

अतुल सभरवाल इस फिल्म के लेखक निर्देशक हैं. उनसे मेरी काफी समय से बातचीत चल रही थी. वेब सीरीज जुबली भी उन्होंने ही लिखी थी. जुबली बनना शुरू भी नहीं हुआ था. उसी वक्त मेरी सर से बात हुई थी. उन्होंने बर्लिन की कहानी मुझे बतायी .मैंने पढ़ा तो मजा आ गया. मुझे लगता है कि वह बहुत ही अद्भुत लिखते हैं. मैंने तुरंत थी फिल्म को हां कह दिया था.

इस फिल्म के लिए आपका आपकी तैयारी क्या थी?

सबसे पहले मैंने साइन लैंग्वेज सीखना शुरू किया. जिसमें 2 महीने गए थे. लैंग्वेज को सीखने का भी अपना एक मजा था. साइन लेवल बहुत ही अलग तरीका है कम्युनिकेट करने का.इससे पहले ना मैंने देखा था ना सीखा था.

क्या इस फिल्म ने दिव्यांग लोगों से आपको और अधिक जोड़ दिया है?

मेरा पहले से ही उन लोगों को लेकर बहुत ही इंडिपेंडेट नजरिया रहा है. मुझे वह अपनी तरह ही लगते हैं. वह खुद साइन लैंग्वेज बनाते हैं और हमेशा वह बदलता रहता है. उसमें नए-नए शब्द जुड़ते रहते हैं. जहां तक नजरिया की बात है तो हां मुझे इस फिल्म से यह समझ में आया कि साइन लैंग्वेज जो है.वह इन लोगों की मदर टंग है. इससे पहले मैं यह बात महसूस नहीं कर सकता था. इस फिल्म को करने का और साइन लैंग्वेज सीखने का यह अनुभव में हमेशा याद रखूंगा.

फिल्म में आपके को एक्टर इश्वाक और आपकी साइन लैंग्वेज की  ट्रेनिंग एक साथ ही हुई थी ?

हमारी अलग-अलग भी क्लासेस हुई है.एक साथ भी हुई है. दोनों तरह से हुई है. इस बात पर निर्भर करता था कि कौन किस समय पर मौजूद है क्योंकि दिन में 4 से 5 घंटे देने पड़ते थे. पहले अगर आपको जेनेरिक चीज सीखनी है,जैसे बाल्टी, आम, पेड़ से तो आप अकेले सीख सकते हैं,लेकिन अगर डायलॉग पर काम करना है तो हमको साथ में ट्रेनिंग लेनी पड़ती थी.

फिल्म में इश्वाक और आप बॉन्डिंग काफी अच्छे से उभरकरके सामने आई है क्या ऑफ स्क्रीन भी इसके लिए आपको काम करना पड़ा था?

फिल्म के अंदर जो एक सीन है. जिसमें वह अपने फाइनल स्टेटमेंट दे रहे होते हैं और मैं उसको साइन लैंग्वेज में सुन रहा होता हूं और बोल रहा होता हूं राहुल बोस को. मुझे लगता है कि उस दिन के बाद हमारी दोस्ती और ज्यादा बढ़ गई थी.वह  बहुत ही इमोशनल सीन था. वह सीन सबसे मुश्किल भी था.

फिल्म बर्लिन 90 के दशक पर आधारित है. अगर 90 की बात की जाए तो आपको सबसे अच्छी बात उस दौर की क्या लगती है?

सबसे अच्छी बात यह लगती थी कि जो उस वक्त आपका पहला क्रश हुआ करता था. उसको देखने के लिए, उससे बात करने के लिए आपके पूरे 1 दिन का इंतजार करना पड़ता था. अगले दिन वह स्कूल आएगी, तो बात हो पाएगी. वरना नहीं हो पाएगी. लैंडलाइन नंबर लेने में हिचकिचाहट होती थी क्योंकि वह लैंडलाइन नंबर घर में 10 लोग इस्तेमाल करते थे. मुझे लगता है कि वह दिन बहुत ही स्पेशल और बहुत ही अलग दिन थे. अब तो 2 सेकंड में आप अपनी बीवी को फोन कर सकते हैं. अपनी गर्लफ्रेंड को फोन कर सकते हैं. वो इंतजार का जो चार्म था. वह खत्म हो चुका है. अब सोशल मीडिया और टेक्नोलॉजी ने पूरी तरह से हमारी जिंदगी को काबू में कर लिया है.

सोशल मीडिया का आप कितना प्रेशर लेते हैं?

कुछ दिनों पर यह देता है.इसके बावजूद मैं  यह भी कहूंगा कि मैं ज्यादा सोशल मीडिया को समय नहीं देता हूं. कुछ महत्वपूर्ण है तो ही मैं सोशल मीडिया पर पोस्ट करता हूं या वहां पर अपनी बात रखता हूं.

आपके कैरियर की बात करें तो मल्टीस्टारर प्रोजेक्ट्स आप सबसे ज्यादा कर रहे हैं, क्या मंझे हुए एक्टर्स का साथ आपको प्रेशर भी देता है?

नहीं,मुझे प्रेशर नहीं लगता है बल्कि मुझे लगता है कि यह सहायता करता है. अगर आपका सामने वाला एक्टर अच्छी लाइन बोल रहा है. अच्छे से क्यू  दे रहा है, तो आप भी अपना बेस्ट ही देंगे.

कंपटीशन में आप यकीन नहीं करते हैं?

मुझे लगता है कि यह आपके दिमाग के ऊपर निर्भर है कि आप इसे  कंपटीशन माने या फिर सहायता. मैं एक्टिंग में बिल्कुल भी कॉम्पिटिटिव नहीं हूं. फुटबॉल फील्ड पर ज्यादा कॉम्पिटेटिव हूं. वह भी अपोजिट टीम के खिलाफ ना कि अपनी टीम के लिए .फिल्म पूरी टीम एक होती है,तो मैं कंपटीशन कैसे महसूस कर सकता हूं. अपनी टीम के साथ तो एक साथ चलने वाली बात होती है.

स्त्री 2 के बिना बातचीत अधूरी रहेगी, फिल्म की सफलता का श्रेय आप किसको देना चाहेंगे?

इसका श्रेय मैं  फिल्म की राइटिंग को देना चाहूंगा. कहानी इतनी अच्छी थी कि वह लोगों को कनेक्ट कर गयी, इसके साथ ही फिल्म में राजकुमार, अभिषेक बनर्जी और मेरी हम तीनों की मजबूत दोस्ती से भी लोग  कनेक्ट कर रहे हैं.फिल्म में मेरी जो लोरी है. सॉफ्ट चिट्टी वह एंथम बन गया. मैं आजकर जहां भी जाता हूं ,लोग मुझे वह सुनाने को जरूर कहते हैं.

सफलता के इस दौर में अब आपकी कैरियर को लेकर क्या स्ट्रेटजी रहेगी ?  

जिंदगी है, जहां पर काफी सारी चीजें आपके हाथ में नहीं होती है.मैं इतना जानता हूं कि बढ़िया काम करना है. बढ़िया लोगों के साथ काम करना है.अच्छे रिलेशन सभी के साथ बनाने है.वैसे हर तरह के ऑफर आ रहे हैं.

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आपके आनेवाले प्रोजेक्ट्स 

मैंने हाल ही में फिल्म  बदतमीज गिल पूरी की है. डिस्फंक्शनल पंजाबी गिल फैमिली की कहानी है. बरेली से लंदन तक का सफर करती है. इस फिल्म में मेरे साथ परेश रावल, शीबा चड्ढा ,वाणी कपूर है.कॉमेडी से भरपूर फिल्म है.इस साल के अंत तक रिलीज हो जायेगी.

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