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Exclusive: स्टारडम के उस दौर में भी मैं एकदम अकेली थी, जानें ऐसा क्यों बोली ‘आशिकी’ फेम अनु अग्रवाल

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फिल्म आशिकी फेम अनु अग्रवाल ने बीते एक दशक से ज्यादा का समय योग और आध्यात्मिक खोज में लगाया. अनु के मुताबिक, इसी से उन्हें फिर से जीने की भरपूर ऊर्जा मिली है.

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वर्ष 1990 में आयी फिल्म आशिकी से एक्ट्रेस अनु अग्रवाल रातोरात स्टार बन गयीं. मगर 1999 में एक भीषण सड़क दुर्घटना के बाद वह स्टारडम से एकदम दूर कहीं खो गयीं. एक बार फिर से अनु अपने सामान्य जिंदगी में लौट आयी हैं और 53 की उम्र में इस ग्लैमर इंडस्ट्री से जुड़ने की ख्वाहिशमंद हैं. बीते एक दशक से ज्यादा का समय उन्होंने योग व आध्यात्मिक खोज में लगाया. अनु के मुताबिक, इसी से उन्हें फिर से जीने की भरपूर ऊर्जा मिली है. इस दौरान उनका चेहरा भले बदल गया, मगर अंदर से वह और ज्यादा मजबूत होकर लौटी हैं. उर्मिला कोरी से हुई खास बातचीत में उन्होंने कई दिलचस्प बातें बतायीं.

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आपकी फिल्म ‘आशिकी’ आज भी लोगों के जेहन में है. एक सीक्वल बन चुका है, दूसरा बनने की चर्चा है?

ऐसी खास फिल्म का हिस्सा बनकर रोमांचित हूं, जिसकी अभी भी मांग है. मैं बहुत ही खास और आभारी महसूस करती हूं कि मेरे अभिनय के चार-पांच साल के छोटे से करियर में मुझे इस शानदार फिल्म का हिस्सा बनने का मौका मिला, जिस वजह से इतने वर्षों बाद भी मेरी एक खास पहचान है.

‘आशिकी’ से मिले स्टारडम को कैसे याद करती हैं?

मैं कभी एक्ट्रेस नहीं बनना चाहती थी, मैं सोशल वर्कर बनना चाहती थी और यूनाइटेड नेशन के लिए काम करना चाहती थी. आशिकी रिलीज होते ही मैं रातोंरात स्टार बन चुकी थी. फोटोग्राफर्स मेरा पीछा करते थे और लोग मेरी एक झलक पाने के लिए बेताब रहते थे. सभी को मेरा ऑटोग्राफ चाहिए था. स्टारडम का वह पूरा दौर मैंने अकेले ही संभाला. उस दौरान हर एक्ट्रेस के साथ उनकी मां 24 घंटे साथ रहती थी, लेकिन मैं एकदम अकेले थी. मेरी फैमिली दिल्ली में रहती थी. तब मैं इंडस्ट्री की एकमात्र ऐसी एक्ट्रेस थी, जो बिना किसी परिवार के रहती थी. वैसे उस दौर ने मुझे मजबूत ही बनाया है. मैं खुद को हर तरह से ‘सेल्फ मेड’ मानती हूं.

लोग आज भी जानना चाहते हैं कि ‘आशिकी’ के बाद आप कहां गायब हो गयी थीं?

दुर्घटना के कारण मैं 29 दिनों तक कोमा में थी. आधा शरीर लकवाग्रस्त था और गंभीर चोटें आयी थीं. किसी ने नहीं सोचा था कि मैं कभी खड़ी हो पाऊंगी, लेकिन मैंने सकारात्मक रहने की कोशिश की. अब लोग सोचते हैं कि मेरी सर्जरी हुई है, क्योंकि मेरा चेहरा एक दशक पहले के चेहरे से अलग दिखता है. जबकि, दुर्घटना के बाद मेरी टूटी हड्डियों को ठीक करने के लिए कई सर्जरी हुई, लेकिन बस जिंदा रहने के लिए. हालांकि, इंडस्ट्री को छोड़ने की वजह दुर्घटना बिल्कुल नहीं है. कोमा से बाहर आने के बाद मुझे एक हॉलीवुड फिल्म मिली थी, पर मैं यह सब नहीं करना चाहती थी. मैं योग पर काम करना चाहती थी. मैं लोगों के लिए कुछ करना चाहती थी. इन सब के लिए मुझे बॉलीवुड से दूर रहने की जरूरत थी.

क्या आपको अफसोस होता है कि आपने अपने अभिनय करियर में कुछ अलग नहीं किया?

लेखक एकहार्ट टोल की तरह मैं भी ‘अभी की शक्ति’ में विश्वास करती हूं. अफसोस हारने वालों के लिए है. रैंप वॉक करने से लेकर पैसा बनाया, फिर सब कुछ छोड़कर शारीरिक ही नहीं, मानसिक तौर पर खुद का कायाकल्प किया. मैंने जिंदगी को पूरी तरह से जिया है. बहुत अच्छा वक्त भी देखा और बहुत मुश्किल वक्त भी. मैं सिर्फ 20 साल की थी, उतनी कम उम्र में मैंने कठिन निर्णय लिये. मैं उसका सम्मान करती हूं.

मतलब आप अभिनय में वापसी करेंगी?

एक अभिनेता के रूप में मैंने कभी एक्टिंग को नहीं छोड़ा. मेरे लिए अभिनय करना एक कर्म की तरह है. पिछले दो दशकों में मैंने अपनी जिंदगी एक अलग स्तर पर जीने की हिम्मत की, जो एक तपस्वी और एक साधारण भिक्षु के जीवन की तरह था. स्टारडम ने मुझे आहत किया था. मुझे आध्यात्मिक पुनर्वास की जरूरत थी. अब फिर से मैं एंटरटेनमेंट बिजनेस के लिए तैयार हूं और एक्टिंग करना पसंद करूंगी.

आप किस तरह के प्रोजेक्ट की तलाश में हैं?

अच्छी कहानियां, सशक्त निर्देशक और मजबूत महिला पात्र, जो संघर्षरत लोगों को एक सामाजिक संदेश दे. जिस तरह का भयानक एक्सीडेंट मेरा हुआ था, मेरा शरीर जगह-जगह से टूटने के साथ लकवाग्रस्त भी हो गया था. मेरा ठीक होना किसी चमत्कार से कम नहीं है, इसलिए आम लोगों की भलाई के लिए चुनौतीपूर्ण और प्रेरक भूमिकाएं करना चाहती हूं. मैं तब से अभिनय कर रही हूं जब मैं सातवीं कक्षा में थी और मैंने जिस तरह का जीवन जिया है, वह सकारात्मक, नारीवाद और सशक्तीकरण को प्रतिबिंबित करता है. मैं उस जीवन को सभी के सामने लाना चाहूंगी.

क्या आपको लगता है कि जब महिलाओं की बात आती है, तो भारतीय सिनेमा में उम्र अभी भी बहुत मायने रखता है?

उम्र, लिंगभेद महिलाओं को कमतर समझना, ये हमारी संस्कृति में इतनी गहराई से है कि हम उन्हें कभी चुनौती नहीं देते, बल्कि हम उन्हें गले लगाते हैं. मुझे लगता है कि बॉलीवुड हमारे समाज का प्रतिबिंब है, इसलिए बदलाव के लिए हमें खुद को बदलने की जरूरत है. वास्तव में, महिलाओं की उम्र सिर्फ इंडस्ट्री की नहीं, पूरी दुनिया की समस्या है. महिलाओं को हर उम्र में खूबसूरत दिखने का दबाव रहता है. इसके कारण ही बोटॉक्स इंडस्ट्री इतनी बड़ी बन चुकी है. सभी सर्जरी करवा कर खुद को जवां रख रहे हैं.

योग शिक्षक होने के साथ-साथ आप एक मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं. मुश्किल समय से गुजर रहे लोगों को क्या सलाह देंगी?

कभी हार न मानें, क्योंकि यह पल यहां रहने के लिए नहीं है. ध्यान करें, दूसरों को दोष देने की बजाय खुद को सुधारें.

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