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100 years of Raj Kapoor: बॉबी के सेट पर लंच के बाद एक्टर्स को दो घंटे की नींद मिलती थी -अरुणा ईरानी

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राज कपूर की आज 100वीं जयंती पर अभिनेत्री अरुणा ईरानी ने उनसे जुड़ी कई बातें शेयर की. उन्होंने कहा, राज जी अपने काम के प्रति बेहद जुनूनी थे.

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100 years of Raj Kapoor: हिंदी सिनेमा के शोमैन राज कपूर की आज 100 वीं जयंती हैं. इस मौके पर राज कपूर के निर्देशन में बनी फिल्म बॉबी की शूटिंग से जुडी कई खास यादें अभिनेत्री अरुणा ईरानी ने उर्मिला कोरी से सांझा की. पेश है बातचीत के प्रमुख अंश.

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फोन पर बॉबी फिल्म का ऑफर आया था

मुझे आज भी वह दिन अच्छी तरह से याद है. एक दिन अचानक राजजी का फोन आ गया था. फोन पर उन्होंने मुझे बताया और कहा कि वह ‘बॉबी’ नाम की एक फिल्म को बनाने जा रहे हैं और उस फिल्म में एक खूबसूरत किरदार है ,जिसके लिए वह मुझे कास्ट करना चाहते हैं. मैं तो इस बात को सुनकर खुशी से उछल पड़ी थी. उन्होंने आगे की बात करने के लिए मुझे आरके स्टूडियो में बुलाया था. मैं उनसे मिलने आरके स्टूडियो गयी. राजजी ने मुझे फिल्म की कहानी पढाई. पढ़ते- पढ़ते मैं कुछ कुछ सोचने लगी. मुझे सोचता देख उन्होंने तुरंत कहा की क्या सोच रही हो?” यह कोई वैम्प का किरदार नहीं है. आपका किरदार बहुत खूबसूरत है. जिसके बाद मैंने तुरंत कहा कि किरदार कोई भी हो राजजी ,मैं सिर्फ आपके साथ काम करना चाहती हूं. आपके जैसे निर्देशक के साथ काम करना मेरी खुशकिस्मती होगी.

मन मुताबिक ड्रेस नहीं तो शूटिंग नहीं

राज जी अपने काम के प्रति बेहद जुनूनी थे. वह शूटिंग के दौरान हर चीज पर बारीकी से नजर रखते थे. शूटिंग शुरू होने से पहले एक दिन राजजी ने मुझे ड्रेस ट्रायल के लिए फिर से आरके स्टूडियो में बुलाया. फिल्म में मेरे लुक के अलावा प्रसिद्ध गाने मैं शायर सायर तो नहीं में मेरे कपड़े कैसे होंगे, मेरा हेयर स्टाइल कैसा होगा, मेरे बाल खुले होंगे या बंधे होंगे, इन सब बातों पर वह बहुत ध्यान देते थे.उस दिन मेकअप आर्टिस्ट, हेयर स्टाइलिस्ट, ड्रेस डिजाइनर सभी वहां मौजूद थे. राजजी को कॉस्ट्यूम पसंद नहीं आया. जो सबसे पहले मेरे लिए गाने मैं शायर तो नहीं के लिए ड्रेस डिजाइनर ने बनाया था. राजजी ने डिजाइनर को समझाया कि उन्हें किस तरह की ड्रेस चाहिए. इसके बाद राजजी ने डिजाइनर से कहा कि अगर ड्रेस मेरी पसंद के मुताबिक नहीं बनी, तो मैं शूटिंग शुरू नहीं करूंगा. आपको अपना बेस्ट देना होगा’. दो दिन बाद मुझे फिर से बुलाया गया. इस दिन मेरी ड्रेस फाइनल हुई थी. राज जी को ड्रेस पसंद आयी.इसके बाद उन्होंने मुझे मेकअप, हेयर स्टाइलिंग करके देखा. उन्हें सबकुछ पसंद आया, फिर मैं शायर तो नहीं गाने की शूटिंग हुई. फिल्म ‘बॉबी’ के इस गाने के दौरान मैंने जो हरे रंग की ड्रेस पहनी थी, वह राज जी के कहे अनुसार डिजाइनर ने बनाई थी. सारा इनपुट उनका ही था.मुझे उनके साथ काम करके बहुत मजा आया था.

सिर दर्द की वजह से शूटिंग हुई पैकअप

राज जी बेहतरीन निर्देशक तो थे ही इंसान के तौर पर बहुत केयरिंग थे. एक दिन शूटिंग के दौरान मेरे सिर में दर्द हो रहा था. मैं सिर पर हाथ रखकर एक कोने में बैठी हुई थी. राजजी मेरे पास आए और पूछा, ‘अरुणा क्या हुआ? तुम इतनी चुपचाप क्यों बैठी हो?मैंने कहा कि सिर में बहुत दर्द हो रहा है. राजजी ने तुरंत चिल्लाकर कहा ‘पैकअप’. मैंने कहा कि नहीं ,मैं शूटिंग जारी रखना चाहती हूं. राजजी ने मुझसे कहा कि तुम्हारा शरीर अच्छा नहीं है. आप कैसे काम कर पाएंगी. आज आप अपना 100 प्रतिशत नहीं दे पाएंगी। हम कल शूटिंग करेंगे.आप कुछ भी चिन्ता न करें. तुम आज घर जाओ दवा लो, खाना खाओ और अच्छी नींद लो. कल समय पर आ जाना. मेरे सिरदर्द के कारण उस दिन उसने सचमुच पैक कर लिया था. कौन ऐसा करेगा. केवल राजजी ही ऐसी चीजें कर सकते थे.

चिंटू बाबा के साथ सख्त थे

बॉबी उनके बेटे ऋषि कपूर की लॉन्चिंग फिल्म थी.सेट पर उन्हें बिलकुल भी स्टार वाला ट्रीटमेंट नहीं मिलता था. मैं तो कहूंगी कि वह हमारे साथ बहुत सहज थे. लेकिन चिंटू बाबा (ऋषि कपूर) के साथ ज्यादा सख्त थे. चिंटू बाबा भी एक अद्भुत, खुशमिजाज, खुले दिल वाले इंसान थे।वह सेट पर अपने निर्देशक पिता की डांट और आलोचना को बहुत ही सहज तरीके से लेते थे. उन्होंने शूटिंग के दौरान बताया था कि फिल्म मेरा नाम जोकर की शूटिंग के दौरान वह अपने पिता से इस कदर डरते थे कि दूर – दूर ही रहते थे. वह इस बात को जानते हैं कि उनके पिता उनको बेहतर एक्टर बनाने के लिए ये सब करते हैं. वैसे मैं बताना चाहूंगी कि राज जी सीन की शूटिंग से पहले एक्टर और एक्ट्रेस को उनका पूरा सीन करके दिखाते थे. एक्ट्रेस को एक्ट्रेस के अंदाज में ही समझाते थे.मुझे लगता है कि यही पर हम एक्टर्स का काम आधा हो जाता है.

खाने के बाद दो घंटे हम सभी सोने चले जाते थे

सभी को पता है कि राज जी खाने के कितने शौकीन हैं. हम लंच, डिनर और नाश्ते में क्या खाएंगे. यह सुबह से तय हो जाता था. खाने को लेकर भी राज जी का लम्बा डिस्कशन रहता था. बॉबी की फिल्म की शूटिंग के दौरान लंच में मटन, चिकन, तली हुई मछली और कई अन्य व्यंजन शामिल होते थे. उस वक्त मुझे नॉनवेज खाना बहुत पसंद था. हम सब पेट भर कर खाना खाते थे. जमकर लंच करने के बाद राज जी हम कलाकारों को दो घंटे की नींद लेने को कहते थे और वह खुद सो जाते थे. इस दौरान राजजी कैमरामैन को लॉन्ग-शॉर्ट तैयार करने के लिए कहकर जाते थे और कैमरामैन को ऐसा करने में दो घंटे लगते ही थे. वह अपने कलाकारों से उनका बेस्ट निकलवाने के साथ – साथ उनका बेहद ख्याल भी रखते थे.

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