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Bhool Bhulaiyaa 3 Movie Review: कमजोर स्क्रीनप्ले को विद्या बालन और माधुरी दीक्षित के उम्दा अभिनय ने है संभाला

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भूल भुलैया की तीसरी फ्रेंचाइजी फिल्म ने सिनेमाघरों में दस्तक दे दिया है. इस हॉरर कॉमेडी में हॉरर और कॉमेडी का कितना रंग है जमा. जानते हैं इस रिव्यु में

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फिल्म- भूल भुलैया 3
निर्माता- टी सीरीज
निर्देशक – अनीस बज्मी
कलाकार- कार्तिक आर्यन,विद्या बालन,माधुरी दीक्षित,तृप्ति डिमरी, संजय मिश्रा, राजपाल यादव, अश्विनी, राजेश शर्मा,विजय राज, मनीष वाधवा और अन्य
प्लेटफार्म : सिनेमाघर
रेटिंग: ढाई

bhool bhulaiyaa 3 movie review :मौजूदा साल हॉरर कॉमेडी का है. शैतान, मुंज्या और स्त्री 2 की सफलता के बाद भूल भुलैया 3 ने दस्तक दे दी है.हॉरर कॉमेडी जॉनर वाली यह फिल्म इस बार मैसेज फुल हो गयी है और फिल्म को ओरिजिनल मंजुलिका यानी विद्या बालन का भी साथ मिला है. सिर्फ यही नहीं इंटरवल के बाद ही सही माधुरी दीक्षित भी फिल्म से जुड़ जाती हैं और इंटरवल से पहले तक बोझिल चल रही कहानी इंटरवल के बाद ही रोचक बन जाती है और आखिर में फिल्म का क्लाइमेक्स आपको इमोशनल करने के साथ -साथ चौंकाता भी है.इनदोनों अभिनेत्रियों के लिए यह फिल्म एक बार देखी जा सकती है.

पुनर्जन्म की है कहानी !

फिल्म की कहानी की शुरुआत बंगाल के रक्तोघाट से होती है. जहां एक महल में एक लड़की आमी जे तोमार गाने पर नृत्य कर रही है, तभी राजा और उसके सिपाही आते हैं और उस लड़की को ज़िंदा जला देते हैं और कहानी 200 साल आगे बढ़ते हुए रूह बाबा उर्फ़ रुहान (कार्तिक आर्यन )पर पहुंच जाती है. पिछली फ्रेंचाइजी की तरह यहां भी रूह बाबा भूत भगाने के नाम पर लोगों से ठगी कर रहा है.कहानी में मीरा (तृप्ति डिमरी )की एंट्री होती है, जो उसी रक्तोघाट की शाही वंशज है.वह रूहबाबा को पैसों का लालच देकर अपने साथ रक्तोघाट चलने को कहती है क्योंकि मंजुलिका की खौफनाक आत्मा से उसका परिवार परेशान है. मंजुलिका के डर से वह लोग महल छोड़कर तबेले में अभाव भरी जिंदगी में गुजर बसर कर रहे हैं.वैसे मीरा जानती हैं कि रूह बाबा फ्रॉड है,लेकिन महल में रूहबाबा को लाने का उसका मकसद कुछ और ही है.दरअसल रुहबाबा की शक्ल मंजुलिका के भाई और शाही राजकुमार देवेंद्र से मिलती है. राजपुरोहित (मनीष वाधवा ) का मानना है कि राजकुमार का पुनर्जन्म हुआ है, जिससे मंजुलिका के शापित आत्मा से मुक्ति पाया जा सकता है.वह राजकुमार का पुनर्जन्म रूह बाबा को मान रहे हैं, इसी बीच कहानी में ऐसे मोड़ आते हैं कि मल्लिका(विद्या बालन ) और इंटरवल में मंदिरा ( माधुरी दीक्षित ) की एंट्री होती है और अजीबोगरीब घटनाएं शुरू हो जाती है.बंद दरवाजे के पीछे कैद आत्मा की आवाजें भी तेज हो जाती हैं. दोनों में से कौन है मंजुलिका। इन दोनों का भी क्या कुछ आपस में है कनेक्शन. क्या 200 साल पहले रक्तोघाट के महल में जो कुछ हुआ था.उसकी वजह राजकुमार देवेंन्द्र था. इन सभी सवालों के जवाब फिल्म अपने क्लाइमेक्स में देती है.


फिल्म की खूबियां और खामियां

फिल्म का फर्स्ट हाफ कमजोर है. कहानी और किरदारों को स्थापित करने में थोड़ा ज्यादा ही समय ले लिया गया है.कई बार तो यह आपके धैर्य की भी परीक्षा भी लेने लग जाता है. सेकेंड हाफ में कहानी रफ़्तार पकड़ती है और एंटरटेनमेंट की पटरी पर लौटती है. आखिर के तीस मिनट फिल्म जुड़ा ट्विस्ट एंड ड्रामा आपके दिमाग को कुछ इस तरह हिला देता है कि आप फिल्म से आखिर में निराश नहीं होते हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है कि फिल्म कुछ सवालों के जवाब नहीं दे पायी है, लेकिन फिल्म को देखते हुए ज्यादा दिमाग ना लगाने में ही समझदारी है.फिल्म के निर्देशक अनीस बज्मी है, जो अपनी कॉमेडी फिल्मों के लिए जाने जाते हैं, लेकिन भूल भुलैया 3 में कॉमेडी का वो रंग नहीं जम पाया है. कई संवाद जबरदस्ती हँसाने की कोशिश करते दिखते हैं. फिल्म की सिनेमेटोग्राफी विषय के साथ न्याय करती हैं. वीएफएक्स हॉरर के एलिमेंट को बढ़ाते हैं.फिल्म के गीत संगीत की बात करें आमी जे तोमार और हरे राम हरे कृष्णा गीत को छोड़ दिया जाए तो फिल्म का नया गीत संगीत अपील नहीं करता है.

विद्या और माधुरी ने जमाया है रंग

कार्तिक आर्यन रूह बाबा के चित परिचित अंदाज में नजर आये हैं. फिल्म के क्लाइमेक्स में वह बेहतरीन रहे हैं. इससे इंकार नहीं किया जा सकता है. विद्या बालन एक बेहतरीन अभिनेत्री हैं. किरदारों को आत्मसात करना उनकी खूबी रही है. मंजुलिका को तो उन्होंने पहले भी निभाया है. इस बार कमजोर कहानी के बावजूद उन्होंने अपने अभिनय से फिल्म में एक अलग रंग भरा है. माधुरी दीक्षित ने भी अपने परिपक्व अभिनय से फिल्म को आधार दिया है. ग्रे शेडस में बड़े परदे पर उनको देखना एक अलग ही अनुभव है. दोनों अभिनेत्रियों का फेश ऑफ डांस फिल्म के हाई लाइट्स में से एक है.तृप्ति डिमरी पिछले कुछ समय से हीरो के साथ डांस और रोमांस करने भर के लिए फिल्मों में नजर आ रही हैं. इस फिल्म में भी उनके करने को कुछ खास नहीं था.बाकी के किरदार फिल्म के साथ न्याय जरूर करते हैं, लेकिन संजय मिश्रा , राजपाल यादव की मौजूदगी इस बार कुछ यादगार जैसा नहीं कर पायी है.


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