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Tapan Sinha Birth Anniversary: एक्टर्स ने किया तपन सिन्हा को याद… शेयर की खास बातें

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शत्रुघ्न सिन्हा और दीप्ति नवल ने इस बातचीत में बताया कि फिल्मकार तपन दा ने किस तरह से उन्हें अभिनय में संवाद अदाएगी की बारीकियों से और ज्यादा जोड़ा था

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Tapan Sinha Birth Anniversary: फिल्मकार तपन सिन्हा ने भारतीय सिनेमा को कई कालजयी फिल्में दी है. इस दौरान उन्होंने हिंदी सिनेमा के कई एक्टर्स को भी अपनी फिल्मों में कास्ट किया था.इन्ही चुनिंदा नामों में अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा और अभिनेत्री दीप्ती नवल का नाम भी शुमार हैं. जिन्होंने उर्मिला कोरी के साथ हुई बातचीत में फिल्मकार तपन सिन्हा के साथ अपनी शूटिंग के अनुभवों को साझा किया है

तपन दा की फिल्म एक डॉक्टर की मौत की ओरिजिनल चॉइस मैं थी : दीप्ति नवल

तपन दा हिंदी सिनेमा के बेहतरीन निर्देशकों में से एक रहे हैं. मैं खुद को खुशकिस्मत करार दूंगी कि मेरी फिल्मोग्राफी में दीदी टेलीफिल्म का नाम जुड़ा है क्योंकि उसके निर्देशक तपन दा थे. उस फिल्म के दौरान दादा को मेरा काम अच्छा लगा था, जिस वजह वह अपनी अगली फीचर फिल्म एक डॉक्टर की मौत में भी मुझे कास्ट करना चाहते थे. उस फिल्म की स्क्रिप्ट लिखते हुए नायिका किरदार के लिए उनके जेहन में मैं ही थी. उन्होंने मुझे ही सोचकर सीन्स लिखे थे.तपन दा ने यह बात मुझसे शेयर भी की थी, लेकिन दुर्भाग्य था कि उस वक़्त उस फिल्म के लिए मेरे पास डेट्स नहीं थी. तपन दा को जो डेट चाहिए था.वह डेट मैं पहले किसी और फिल्म को दे चुकी थी. जिसकी वजह से मैं वह फिल्म से जुड़ नहीं पाई थी. जिसका मुझे बहुत अफसोस हुआ था.दीदी फिल्म की बात करूं,तो उस फिल्म के लिए मुझे कोलकाता जाना पड़ा था. यह 1989 के आसपास की बात है. पूरी फिल्म की शूटिंग वहीं पर थी.बहू बाजार के रेड लाइट एरिया में भी फिल्म को शूट किया गया था. दादा को रेड लाइट एरिया वाले सीन में मेरे किरदार चपला की वास्तविकता दिखानी थी, लेकिन समय कम था क्योंकि वह एक घंटे की फिल्म थी, जिस तरह से उन्होंने कॉस्ट्यूम और मेकअप के साथ उन्होंने उसे दर्शाया था. वह उनके जैसा महान फिल्मकार ही कर सकता था.फिल्म का ट्रीटमेंट एकदम सीधा साधा है, लेकिन वह कई जटिल सवालों को सामने लेकर आती है.चपला के किरदार के लिए उन्हें मेरे इन्टरप्रेशन पर भरोसा था , लेकिन संवाद बोलते हुए किस तरह से उसे सामने लाना है. यह मुझे दादा ने एक दो जगहों पर बताया था. एक सीन जिसमें चपला का भाई रतन उससे कहता है कि मैं तुम्हे लिए बिना नहीं जाऊंगा,जवाब में वह कहती है कि तुम यहां कहां रहोगे। यह सीन दो से तीन बार हुआ ,लेकिन शॉट से हम खुश नहीं थे, तब दादा ने मुझे कहा कि डायलॉग को ऐसे बोलो। वाकई उससे सीन एक अलग ही इमोशनल लेवल चला गया और जैसा हम चाहते थे. वैसा वह सीन बन गया था.सेट पर दादा बहुत ही रिजर्व्ड रहते थे.उनका पूरा फोकस सिर्फ शूटिंग पर होता था, जिस वजह से हम सभी भी पूरी तरह से अपने काम में ही फोकस करते थे.हम भी अपने डायलॉग और फिल्म से जुड़ी दूसरी तैयारियों में जुट रहते थे.वह रिजर्व्ड रहते थे.कम बोलते थे इसका मतलब वह गुस्सैल थे. ऐसा नहीं था. वह बहुत ही सॉफ्ट स्पोकन थे.मैंने उन जैसा जेंटल फिल्मकार अपनी करियर में नहीं देखा है.

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तपन दा बोलते थे पूरी इंडस्ट्री में तू एकलौता सिन्हा एक्टर और मैं एकलौता सिन्हा डायरेक्टर हूं – शत्रुघ्न सिन्हा

तपन दा एक महान फिल्मकार थे. सत्यजीत रे, ऋतिक घटक और मृणाल सेन के साथ मिलकर उन्होंने सिनेमा को एक नई ऊंचाई तक पहुंचाया था. जिसमें भारतीय सिनेमा की धमक विदेश तक जा पहुंची थी. मैं बहुत खुशनसीब एक्टर्स में से हूं. मुझे तपन दा के साथ फिल्म सफेद हाथी करने का मौका मिला. आमतौर पर मेरी पहचान एक कमर्शियल एक्टर के तौर पर थी, लेकिन तपन दा ने मुझे शूटिंग के दौरान कभी भी नहीं कहा कि तुम सीन को ऐसे करो. ऐसे ज्यादा रियलिस्टिक लगेगा. हमेशा यह बात कहते थे कि तुम अपने तरीके से करो. तुम एक्टर हो मिमिक्री आर्टिस्ट नहीं है, जो तुम्हें दिल से फील हो रहा है. वह अपने अभिनय में लाओ हालांकि वह गाइड करते थे कि उन्हें सीन कैसे चाहिए. उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला.साउंड और एक्टिंग के बीच में जो गैप रह जाता है. उसे गैप को किस तरह से शब्द चित्र के माध्यम से एक्टिंग में भरना है. वह मुझे तपन दा ने ही सिखाया था. एक्टिंग में वॉइस माड्यूलेशन की कितनी अहमियत होती है. ये सबक उनसे ही सीखा था. उदाहरण के तौर पर कहूं तो जैसे कि मैंने किसी डायलॉग में कहा कि मुझे प्यास लगी है,तो मुझे अपनी आवाज से भी उस प्यास को किस तरह से दर्शाना है ये मैंने तपन दा से ही सीखा है. सफेद हाथी शूटिंग के दौरान अक्सर वह मेरे सरनेम को लेकर एक बात कहते थे कि पूरी फिल्म इंडस्ट्री में एक तू सिन्हा एक्टर है और पूरी फिल्म इंडस्ट्री में एक मैं सिन्हा डायरेक्टर हूं. उनके जन्म शताब्दी पर मैं उनको प्रणाम करते हुए नमन करना चाहूंगा और शुक्रिया अदा करना चाहूंगा कि मेरी जिंदगी के कई गुरुओं में से एक गुरु वह भी थे, जो मेरी जिंदगी में आए और एक्टिंग की बारीकियों से मुझे और रूबरू करा कर गए. मैं उनके योगदान को अपनी जिंदगी और सिनेमा में हमेशा याद रखूंगा.


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