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RSS के अनुशासन पर बोले मिलिंद सोमन, कहा- इस बात से होती थी चिढ़…

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हाल ही में एक्टर और मॉडल मिलिंद सोमन की किताब मेड इन इंडिया पब्लिश हुई है. इस किताब में मिलिंद ने अपनी पर्सनल लाइफ से जुड़ी कई बातों के बारे में बताया है.

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मुंबई: हाल ही में एक्टर और मॉडल मिलिंद सोमन (Milind Soman) की किताब ‘मेड इन इंडिया’ पब्लिश हुई है. इस किताब में मिलिंद ने अपनी पर्सनल लाइफ से जुड़ी कई बातों के बारे में बताया है. इसमें मिलिंद का आरएसएस से जुड़ाव का भी जिक्र है. इस किताब को मिलिंद ने रूपा राय के साथ मिलकर लिखा है.

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मिलिंद सोमन ने किताब में लिखा, ‘एक और चीज जो उस दौर में हुई थी वो थी मेरी आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) में ज्वॉइनिंग. एक बार फिर से सारी चीजें लोकल थी. लोकल शाखा, या शिवाजी पार्क का ट्रेनिंग सेंटर और बाबा को इस बात में बहुत ज्यादा यकीन था कि इससे एक युवा लड़के में अनुशासन, जीने के तरीके, फिटनेस और सोचने के ढंग में बड़े बदलाव आते हैं. ये कुछ ऐसा था जो उन दिनों हमारे आसपास के अधिकतर युवा किया करते थे. शिवाजी पार्क की एक रूटीन चीज.’

उन्होंने आगे लिखा, ‘इसे ज्वॉइन करने के बाद काफी वक्त तक मैं साइडलाइन पर रहा, प्रतिभावान लोगों के पीछे छिपा रहा. मुझे इस बात से बहुत चिढ़ होती थी कि मेरे माता-पिता ने मुझ जैसे अकेले खुश रहने वाले बच्चे को बिना मुझसे पूछे दमखम वाली चीजों में धकेल दिया है, और मैं इसका हिस्सा बिल्कुल भी नहीं बनना चाहता था.’

किताब में उन्होंने बताया, ‘मेरे लिए रोज शाम को वॉक पर जाना एक आदत सी बन गई थी. मैंने ये हमेशा किया, मेरी पूरी जिंदगी. आज जब मैं मीडिया द्वारा आरएसएस को कम्युनल और नुकसानदेह प्रोपैगैंडा वाला कहते देखता हूं तो मैं सच में बहुत ज्यादा परेशान हो जाता हूं. हर हफ्ते शाम 6 से 7 बजे के बीच शाखा के बारे में मेरी यादें पूरी तरह अलग हैं. हम अपनी खाकी शॉर्ट्स में मार्च करते थे और कुछ योग करते थे, आउटडोर जिम में कुछ फैन्सी इक्विपमेंट के साथ थोड़ा वर्कआउट करते थे. हम गाने गाते थे, संस्कृत मंत्र पढ़ते थे जिनका हमें मतलब भी नहीं पता होता था और अपने साथियों के साथ गेम्स खेलते थे जिसमें बहुत मजा आता था.’

मिलिंद ने लिखा, ‘मैं नहीं जानता कि मेरे शाखा से जुड़े नेता हिंदू के बारे में क्या सोच रखते थे. उन्होंने हमपर कभी भी अपने विचार नहीं थोपे. अगर ऐसा होता तो मैं उसपर अमल नहीं करता.’

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