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MTV Hustle फाइनलिस्ट श्लोक- ये तय कर लिया था पापा की तरह डिलीवरी बॉय नहीं बनना

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दरभंगा के छोटे से गांव खराजपुर के श्लोक ‘एमटीवी’ के रियलिटी शो ‘हसल’ में टॉप फाइव में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे हैं. श्लोक की मानें, तो भले ही वह विनर नहीं हुए लेकिन डेढ़ लाख प्रतियोगियों में से यहां तक पहुंच पाना गर्व की बात है. वो यह भी कहना नहीं भूलते कि […]

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दरभंगा के छोटे से गांव खराजपुर के श्लोक ‘एमटीवी’ के रियलिटी शो ‘हसल’ में टॉप फाइव में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे हैं. श्लोक की मानें, तो भले ही वह विनर नहीं हुए लेकिन डेढ़ लाख प्रतियोगियों में से यहां तक पहुंच पाना गर्व की बात है. वो यह भी कहना नहीं भूलते कि यह तो सिर्फ शुरुआत है, आनेवाले समय में अपने राज्य का नाम और रोशन करने की उनकी तैयारी है. पेश है उभरते रैपर श्लोक से उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के अंश –

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आपने कब रैपर बनने का सपना देखा?
मुझे लिखने का बचपन से शौक था. मैं बहुत सारी कविताएं, लघु कहानियां, कहानियां लिखता रहता था. रैप सुनने का शौक मुझे सातवीं कक्षा से हो गया था. उस वक्त से सुन रहा था लेकिन रैप लिखूं ये मन में नहीं आया था. एक दिन ऐसे ही मैं एक बीट बजा रहा था. उस पर अपना लिखा हुआ मैंने पढ़ा. वो बहुत सही बैठ गया. वहां पर मेरे जितने भी दोस्त बैठे हुए थे, उन्होंने सुना और कहा कि बहुत सही साउंड कर रहा है. भारत में ऐसा कुछ हुआ नहीं है. वहां से मैंने शुरू किया. शुुरुआत में मैं फोन पर रिकॉर्ड करके यूट्यूब पर डालता था. ये २०१५ की बात है.

किस तरह से रैप से जुड़ना हुआ? बिहार में आपके घर के आसपास क्या रैपिंग का माहौल था?
मैं शहर में नहीं रहता हूं. मैं गांव से हूं. सात किलोमीटर मेरे घर से बाजार दूर है. कुछ भी लाना होता तो वहां जाना पड़ता है. मैं मूल रूप से दरंभगा के खराजपुर से हूं. पढ़ाई के लिए साइकिल से जाना पड़ता था. मैं बताना चाहूंगा कि मेरे घर में बिजली दस साल पहले आयी है ।ऐसे में रैपिंग का माहौल कहाँ से मिलता लेकिन मैं बहुत ही जुगाड़ू टाइप हूं. ऐसे बैठता नहीं था. अपने रैपिंग के लिए मैं कभी बुआ के घर तो कभी नानी के घर जाता था. जहां पर मुझे इंटरनेट की सुविधा मिल सके. टीवी मिल सके तो मैं आता जाता रहता था. भले ही पूरा दिन चला जाए आने जाने में ,लेकिन मैं जाता था और खुद में देख देखकर सुधार करने लगा

आप हिंदी में रैप करते हैं,क्या डर नहीं था कि लोग आपको नकार ना दें?
हिंदी मेरा बैकग्राऊंड है. पढ़ाई भी हिंदी में पूरी हुई है. लिखता और सोचता हिंदी में ही हूं. प्रेमचंद, नागार्जुन जैसे बड़े लेखक हमारे क्षेत्र के ही हैं. मुझे अपने एरिया का मॉर्डन पोएट बनना था. रैपिंग में बहुत ज्यादा इंग्लिश इंग्लिश हो गया था. देशीकरण के नाम पर हे ब्रो-हे ब्रो ही बज रहा है. मेरी मंशा थी कि हिंदी आये और जोरदार आये. साहित्य के ज्ञान ने अपनी बातों को रखने में मेरी बहुत मदद की. हां जब मैंने हिंदी में रैप करना शुरु किया था तो बहुत से लोगों ने कहा था कि ये नहीं चलेगा . लोगों को समझ नहीं आएगा लेकिन लोगों को मेरा अंदाज भा गया.लोगों ने जब सुना तो सभी को यही लगा कि बात सही कर रहा है बंदा.

बिहार के छोटे से गांव से निकलकर एमटीवी के शो हसल में टॉप फाइव में जगह बनाना कितना मुश्किल था?
बहुत मुश्किल था, खासकर जब आप किसान परिवार से आते हैं. हमारा लोअर मीडिल क्लास वाला सीन है. पापा एक दुकान में काम करते हैं. वहां डिलिवरी बॉय वाला उनका काम होता है. इतने बड़े सपने देखने की सोच भी नहीं सकता था. हां यह जरूर है कि मुझे ये तय था कि मुझे अपने पिता की तरह पैकिंग उठाने के लिए हर दिन नहीं जाना है. ये तय था. यही वजह है कि मैंने पढ़ाई करके अच्छी नौकरी करने का शुरुआत में सोचा था. मैंने रेलवे का एग्जाम पास कर लिया था लेकिन मुझे मन नहीं लगता था उस काम में. दिल से सौ प्रतिशत नहीं दे पाता था. मुझे समझ आने लगा था कि रैपिंग के लिए ही मैं बना हूं।नौकरी छोडने के बाद घर में अनबन बढ़ गयी. रिश्तेदार ताने मारते थे बोलते थे इतना गरीब है और क्या अमीरों वाले शौक पा लिए हैं. मुझे घर छोड़ना पड़ा अपने सपनों के लिए. घर से निकलना आसान नहीं था. बहुत मुश्किल हुई. पटना आ गया. वहां पर पार्ट टाइम जॉब करता और रैपिंग करता था. साइफर की शुरुआत बिहार में मैंने करवाया. पिछले साल आठ अप्रैल को. जहां पर बिहार के सारे रैपर मिले. हमने एक ग्रुप बनाया तीन चार बंदों का. हमलोग फिर एक साथ रहने लगे. गाने बनाने लगें. हर गाने से लोगों को प्यार बढ़ता जा रहा था. इसी बीच एमटीवी हसल आया और मैं यहां आ गया.

दारू, लड़की यही रैपिंग गानों की पहचान बन गयी है आपका क्या कहना है?
मैं उस चीज पर कमेंट नहीं करूंगा. सबकी अपनी अपनी सोच है. मेरे अंदर का कलाकार नहीं मानता है. मैं वो बात करूं. हिप हॉप एक ऐसा मीडियम है.जिसने बहुत सारे जगहों की दशा दिशा बदली है. मैं इस म्यूजिक कल्चर से मेरे राज्य में जितनी भु कुरितियां है. मैं उन्हें खत्म करना चाहता हूं. एक लड़का जो इतना कुछ सह कर यहां तक पहुंचा हैं अगर वही आवाज नहीं उठाएगा. दारु, लड़की यही की बात करेगा तो फिर मेरे कलाकार होने का कोई फायदा नहीं है. अगर मेरे पास आवाज है तो मैं उसका सही इस्तेमाल करूंगा. मैं भारत के सारे बड़े रैपर से यही गुजारिश करूंगा आप 20 गाने एंटरटेनमेंट के नाम पर ऐसे भले बनाइए लेकिन दो मुद्दों वाले गाने भी लाइए. आपकी बात लोग ज्यादा से ज्यादा सुनेंगे.

बिहार से जुड़े कौन से मुद्दे आपके दिल के करीब हैं?
अशिक्षा, बेरोगजगारी, युवाओं का जो दूसरे राज्य में पलायन है. मैंने ये सभी मुद्दे हसल में अपने गाने में उठाए थे. कोई कंपनी हमारे राज्य में आना नहीं चाहती है क्योंकि बहुत ज्यादा क्राइम है. सरकार के साथ साथ हम भी दोषी हैं. सब बुराइयों की जड़ अशिक्षा है. अगर आपके पास सही शिक्षा है तो आप सही सरकार चुनोगे. सही तरीके से आप चीजों के बारे में सोचेंगे. मैं आखिरी सांस तक अपने राज्य के लिए कुछ न कुछ करता रहूंगा. मैं चाहता हूं कि अगले साल भी बिहार से ऐसा ही कोई तगड़ा रैपर रियलिटी शो हसल में आए। मैं तो फाइनल को प्रेशर को हैंडल ना कर पाने की वजह से जीत नहीं पाया लेकिन वो जीत कर जाए. बिहार के एक दो बन्दे हैं, जिन पर मेरी नजर है. मैं उनको तैयार करूंगा. कोशिश करूंगा. बिहार में हिप हाॅप के सीन को बढ़ाकर वहां भी पंजाब की तरह एक इंडस्ट्री बनाने की ख्वाहिश है.

आपकी फैमिली क्या अब खुश है?
हां बहुत, अभी तो मेरी खोयी हुई फैमिली हसल रियलिटी शो की वजह से मिल गयी है. मेरे पापा से पहले सात आठ महीने बीत जाते थे बात हुए. अब हर दो दिन पर होती है.

क्या अब आप मुम्बई में ही रहने वाले हैं?
नहीं, मुझे अपनी मिट्टी में ही वापस जाना है. हां मैं काम के लिए ट्रैव्हल करता रहूंगा लेकिन मैं रहूंगा बिहार में ही .
सात महीने हो गए मम्मी पापा की शक्ल देखे. जल्द ही अपने घर जाऊंगा. पापा को गले लगाना है. मां के हाथ का खाना खाना है. मेरे घर के आसपास बहुत सारे पेड़ और बगीचे हैं. हमारे नहीं है लेकिन वहां टहलना मुझे बहुत सुकून देता है तो वो सब करूँगा।

आनेवाले प्रोजेक्ट्स क्या हैं?
एक दो बड़े प्रोजेक्टस आनेवाले हैं लेकिन मैं अभी कुछ नहीं कह सकता हूं जब तक सब तय ना हो जाए.

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