1960 में प्रदर्शित फिल्म मुगल-ए-आजम में मधुर संगीत देनेवाले संगीत सम्राट नौशाद ने पहले इसका संगीत निर्देशन करने से इनकार कर दिया था. असल में निर्देशक के आसिफ तब नौशाद के घर गये थे. नौशाद हारमोनियम पर थे तभी आसिफ ने 50 हजार रुपये हारमोनियम पर फेंके और कहा कि मेरी फिल्म के लिए भी धुन तैयार करो.
बेहद नाराज हुए नौशाद ने नोटों का बंडल वापस करते बोले- ‘ऐसा उन लोगो के लिए करना, जो बिना एडवांस लिये काम नहीं करते. मैं आपकी फिल्म में संगीत नहीं दूंगा’. जब आसिफ को गलती का एहसास हुआ तब उनके मनाने पर नौशाद फिल्म का संगीत देने के लिए तैयार हुए और इतिहास रच डाला.