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लोकसभा चुनाव 2024 : तृणमूल के गढ़ में पुराने और नये उम्मीदवारों के बीच मुकाबला

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अल्पसंख्यक बहुल बशीरहाट लोकसभा सीट और विशेष तौर पर संदेशखाली खंड में होने वाली चुनावी जंग पर पूरे देश की निगाह है. यहां स्थानीय तृणमूल नेताओं द्वारा महिलाओं पर अत्याचार और भूमि हड़पने के आरोपों के कारण सियासत काफी गर्मा गयी थी.

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एजेंसियां, कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस का पारंपरिक गढ़ माने जाने वाले दक्षिण बंगाल में शनिवार को मतदान है, जहां इस बार के चुनाव में पार्टी के लिए अपनी धाक जमाये रखने के साथ-साथ ”नये और पुराने” नेताओं के बीच मुकाबला दिलचस्प होने जा रहा है. साथ ही, महिलाओं पर अत्याचारों और जमीन कब्जाने के आरोपों के कारण राष्ट्रीय सुर्खियां बने बशीरहाट के संदेशखाली पर भी लोगों की निगाहें रहेंगी. लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण में शनिवार को पश्चिम बंगाल की दमदम, बारासात, बशीरहाट, जयनगर, मथुरापुर, डायमंड हार्बर, जादवपुर, कोलकाता दक्षिण और कोलकाता उत्तर सीट पर मतदान है. इन सभी सीट पर 2019 लोकसभा चुनाव में तृणमूल ने जीत हासिल की थी. इन नौ लोकसभा क्षेत्रों के परिणाम दक्षिण बंगाल क्षेत्र में तृणमूल के प्रभुत्व के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे. तृणमूल कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी और वाम-कांग्रेस गठबंधन से मिल रही चुनौतियों के बीच इस क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाये रखने की कोशिश में जुटी है.

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1.63 करोड़ मतदाता करेंगे वोटिंग

इस चरण में कुल 1.63 करोड़ मतदाता है, जिनमें 83.19 लाख पुरुष, 80.20 लाख महिलाएं और 538 तृतीय लिंगी हैं. इस चरण के लिए 17,470 मतदान केंद्र बनाये गये हैं. सातवें चरण में कुल 124 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं, जिनमें कोलकाता दक्षिण सीट पर सबसे अधिक 17 उम्मीदवार, जादवपुर सीट पर 16 और बशीरहाट तथा कोलकाता उत्तर संसदीय सीट पर 15-15 उम्मीदवार हैं. दमदम लोकसभा सीट से 14 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि बारासात, डायमंड हार्बर तथा मथुरापुर (अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित) सीट पर 12-12 उम्मीदवार हैं. जयनगर संसदीय क्षेत्र (अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित) में 11 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. इस चरण में कई सीट पर मुकाबला दिलचस्प होने वाला है.

अभिषेक बनर्जी डायमंड हार्बर से उम्मीदवार

तृणमूल के कद्दावर नेता अभिषेक बनर्जी डायमंड हार्बर से चुनाव लड़ रहे हैं. पार्टी इस सीट को ”आदर्श निर्वाचन क्षेत्र” के रूप में प्रस्तुत करती है, जबकि विपक्ष इसे ”हिंसा की प्रयोगशाला” के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास करता है. यही वजह है कि सातवें चरण में इस सीट पर होने वाला चुनाव दिलचस्प हो गया है. दो बार के सांसद अभिषेक बनर्जी का मुकाबला मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के प्रतिकुर रहमान और भाजपा के अभिजीत दास से है.

बशीरहाट लोकसभा सीट पर देशभर की नजरें

अल्पसंख्यक बहुल बशीरहाट लोकसभा सीट और विशेष तौर पर संदेशखाली खंड में होने वाली चुनावी जंग पर पूरे देश की निगाह है. यहां स्थानीय तृणमूल नेताओं द्वारा महिलाओं पर अत्याचार और भूमि हड़पने के आरोपों के कारण सियासत काफी गर्मा गयी थी. भाजपा ने इन मुद्दों पर मुखर होकर प्रदर्शन करने वाली स्थानीय महिला रेखा पात्रा को तृणमूल के कद्दावर नेता हाजी नुरुल इस्लाम के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा. प्रधानमंत्री मोदी ने पात्रा के चुनाव प्रचार से पहले खुद उनसे मुलाकात की थी और उनका मनोबल बढ़ाया था.

कोलकाता उत्तर सीट पर त्रिकोणात्मक मुकाबला

कोलकाता उत्तर सीट से तीन बार के तृणमूल सांसद और अनुभवी नेता सुदीप बंद्योपाध्याय का मुकाबला चार बार के तृणमूल विधायक तपस रॉय से है. रॉय ने हाल में भाजपा का दामन थामा है. दमदम लोकसभा सीट पर चुनावी हालात पांच साल पहले की तुलना में काफी बदल गये हैं. ऐसे में, इस सीट पर मौजूदा तृणमूल सांसद सौगत रॉय के लिए भाजपा से कड़ी चुनौती के बाद भी संभावना अच्छी हो सकती है. माकपा ने पार्टी की केंद्रीय समिति के सदस्य और राज्य की राजनीति से जुड़े सुजान चक्रवर्ती को चुनाव मैदान में उतारा है, जिससे त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है.

जादवपुर सीट टीएमसी के लिए नाक का सवाल

तृणमूल के लिए ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जानी वाली जादवपुर सीट भी उसके लिए नाक का सवाल बनी हुई है. ममता बनर्जी ने 1984 में माकपा के दिग्गज नेता सोमनाथ चटर्जी को हराकर अपना पहला चुनाव जीता था और राज्य की राजनीति में अपनी पहचान बनायी थी. दक्षिण बंगाल क्षेत्र पारंपरिक रूप से तृणमूल का गढ़ रहा है, जिसमें पार्टी ने 2021 के विधानसभा चुनाव में दक्षिण 24 परगना की 31 में से 30, उत्तर 24 परगना की 33 में से 29 और कोलकाता की सभी 16 सीट पर जीत हासिल की थी.

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