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Snowball Earth: आजकल ग्लोबल वार्मिंग की चिंता सता रही, लेकिन एक समय धरती बन गयी थी बर्फ का गोला

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हमारी धरती आज हर रोज गर्म हो रही है. ग्लोबल वार्मिंग एक वैश्विक चिंता बन चुकी है, लेकिन पृथ्वी के निर्माण से लेकर अब तक पांच आइस एज आ चुके हैं. इस दौरान गर्मी का मौसम न के बराबर होता था. आखिरी आइस एज आज से 11 हजार 700 साल पहले समाप्त हुआ था. जानें इससे जुड़ी रोचक बातें.

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Snowball Earth: करीब 58 करोड़ साल पहले धरती पर मौजूद गर्म महासागरों में सबसे पहले जीवन आया था, जो कवक के रूप में था. करोड़ों वर्षों में विकास के कई चरणों से होकर गुजरते हुए, इससे सबसे पहले पेड़-पौधों का और फिर दूसरे जीवों का विकास हुआ. आज दुनिया अलग-अलग देशों-महादेशों में बंटी हुई है. इनमें से कुछ एक-दूसरे के करीब हैं, तो कुछ हजारों किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि एक समय तक ये सभी महादेश आपस में जुड़े हुए थे. यानी पूरी धरती पर सिर्फ एक विशालकाय जमीन थी और एक ही महासागर था. बाद में धरती के अंदर होने वाली हलचल, टेक्टोनिक प्लेटों के खिसकने, भूकंप आदि की वजह से यह विशाल जमीन कई टुकड़ों में बंट गयी. इससे अलग-अलग महादेशों का निर्माण हुआ. पृथ्वी के अंदर होने वाली हलचल और पृथ्वी के लगातार घूमते रहने के कारण ये सभी महादेश खिसकने लगे और एक दूसरे से दूर जाने लगे. यह प्रक्रिया आज तक चल रही है, लेकिन जमीन के खिसकने की गति इतनी धीमी है कि हमें इसका एहसास भी नहीं होता.

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धरती पर मौजूद थे विशालकाय जानवर

Ice Age Animals
Snowball earth: आजकल ग्लोबल वार्मिंग की चिंता सता रही, लेकिन एक समय धरती बन गयी थी बर्फ का गोला 2

आखिरी आइस एज के समय धरती पर विशालकाय जानवर (मैमल्स) पाये जाते थे. इनकी शारीरिक संरचना भी ऐसी ही थी, जो उन्हें बर्फ के बीच भी शिकार करने में मुश्किल नहीं आती थी. उदाहरण के लिए गैंडे अपनी सींग का इस्तेमाल बर्फ को हटाकर उसके बीच से खाना खोजने के लिए करते थे. आइस एज के दौरान पाये जाने वाले जानवरों के शरीर पर बेहद मोटे फर थे, जिस वजह से ये भयंकर सर्दी से भी खुद को बचा पाये. वैज्ञानिकों ने इन जानवरों को मेगाफौना नाम दिया है. ये मेगाफौना आइस एज की शुरुआत से पहले से ही बेहद ठंढी जगहों पर रहते आये थे, अत: इनपर इसका कोई असर नहीं हुआ. इन जानवरों में बड़े बड़े दांतों वाली बिल्लियां, छोटे चेहरे वाले भालू और डायर वुल्व्स भी शामिल थे, लेकिन जो जानवर गर्म वातावरण में रहने के आदि थे, उनका अस्तित्व इस आइस एज के दौरान खत्म हो गया.

बहुत ही मुश्किल हो गया था खाना-पीना

आइस एज के दौरान मांसाहारी जीव, तो दुसरे जीवों का शिकार कर उन्हें अपना भोजन बना लेते थे, लेकिन शाकाहारी जीवों के लिए पेड़-पौधे खोज पाना मुश्किल हो जाता था. हालांकि, ठंडे मौसम में भी कई पेड़ पौधे और घास के मैदान अपना अस्तित्व बचाने में कामयाब रहे. मैमथ और उन जैसे शाकाहारी जानवर स्टेपी के घास के मैदान और श्रबलैंड एरिया से अपना खाना प्राप्त करते थे. मैमथ हाथी की तरह ही दिखते थे, पर वे आज के हाथी से भी काफी बड़े होते थे. कई जगहों पर इनके अवशेष (जीवाश्म) प्राप्त हुए हैं. इन जगहों पर स्प्रूस, पाइन, बरच और विलो जैसे पेड़ पाये जाते थे.

उस समय कैसे बच पाये इंसान

अगर इंसानी जीवन की बात की जाये, तो इस दौरान जो मानव धरती पर पाये जाते थे, उसे होमो सेपियंस कहा जाता है. अपने शुरुआती विकास के समय इंसान के शरीर पर बड़े-बड़े बाल हुआ करते थे, लेकिन होमो सेपियंस काफी कुछ हमारे जैसे ही थे. ऐसे में इस कड़ाके की ठंड से खुद को बचाना उनके लिए भी बड़ी चुनौती थी, लेकिन वे जरूरत के मुताबिक खुद को ढालना और अपनी आवश्यकताओं के लिए आविष्कार करना जानते थे. वैज्ञानिकों को मिले साक्ष्यों के अनुसार, आज से 15000 साल पहले मानव समूहों में रहते थे, जो शिकार कर जीवनयापन करते थे. ये लोग मैमथ की हड्डियों से अपना घर बनाते थे और जानवरों के फर से पहनने के लिए कपड़े तैयार करते थे.

जब धरती बन गयी थी स्नोबॉल

सामान्य आइस एज के दौरान धरती के कुछ हिस्से ही बर्फ से ढंकते हैं, जिनमें खासकर हाइ एल्टीट्यूड के हिस्से होते हैं, लेकिन एक समय ऐसा भी आया था, जब पूरी धरती ही बर्फ का गोला बन गयी थी. यह वह दौर था, जब आइस एज अपने चरम पर था और धरती पर जीवन का अस्तित्व पूरी तरह संकट में था. माना जाता है कि यह स्थिति आज से करीब 72 करोड़ साल पहले पृथ्वी पर थी. इस समय पर केवल कुछ ही जगहें ऐसी थीं, जहां सूर्य की बेहद हल्की रोशनी पहुंचने के कारण पेड़-पौधे अपना अस्तित्व बचा सके. उस समय जो भी जीव धरती पर थे, वे भी ऐसी जगहों पर चले गये, जहां ठंड का असर काफी कम था.

कैसे विलुप्त हो गये डायनासौर

लुप्त हो चुके जीवों की बात करें तो सबसे पहले डायनासौर का नाम ही जुबान पर आता है, लेकिन ऐसा क्या हुआ कि ये विशालकाय जीव धरती से पूरी तरह गायब ही हो गये. वैज्ञानिक मानते हैं कि आज से लगभग साढ़े 6 करोड़ साल पहले धरती से आकर कई उल्का पिंड टकराये. इस टक्कर से जबरदस्त विस्फोट हुआ और धूल और राख की विशाल परत वातावरण में छा गयी. इस परत ने सूरज की किरणों का धरती तक आने का रास्ता ही बंद कर दिया, जिससे धरती धीरे धीरे ठंढी होने लगी और आइस एज की शुरुआत हुई. इस आइस एज ने डायनासौर को धरती से खत्म कर दिया.

इन युगों में आया आइस एज
धरती के निर्माण के बाद से अब तक के इतिहास में वैज्ञानिकों के अनुसार, पांच आइस एज आये हैं.

  • ह्यूरोनियन : 2.4 अरब साल से 2.1 अरब साल पहले तक
  • क्रायोजेनियन : 85 करोड़ साल पहले से 63 करोड़ साल पहले तक
  • एंडियन सहारन : 46 करोड़ साल पहले से 43 करोड़ साल पहले तक
  • कारू : 36 करोड़ साल पहले से 26 करोड़ साल पहले तक
  • क्वाटरनरी : 26 लाख साल पहले से अब तक (आखिरी आइस एज 11 हजार, 700 साल पहले इसी युग में था)

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