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National Milk Day 2024 : जानें भारत में आज के दिन क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय दुग्ध दिवस

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भारत में हर साल 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया जाता है. यह देश की अर्थव्यवस्था और पोषण में डेयरी क्षेत्र और उसके किसानों के योगदान का सम्मान करने का दिन है...

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National Milk Day 2024 : दुग्ध उत्पादन में भारत पूरे विश्व में पहले स्थान पर है, वैश्विक दूध उत्पादन में इसका योगदान 24 फीसदी है. हमारे यहां सालाना 18.61 करोड़ टन दूध का उत्पादन होता है यही वजह है कि डेयरी उद्योग भारत राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और खाद्य आपूर्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में इस उपलब्धि को हासिल करने में भारत ने एक लंबा सफर तय किया है और इस सफर में डॉ वर्गीस कुरियन की अहम भूमिका रही है. इसलिए डॉ कुरियन को भारत में श्वेत क्रांति का जनक (फादर ऑफ द वाइट रिवोल्युशन) कहा जाता है.

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जानें क्यों चुना गया 26 नवंबर का दिन

देश के विकास में दूध और डेयरी उद्योग के महत्वपूर्ण योगदान का सम्मान करने के लिए भारत में हर साल 26 नवंबर को राष्ट्रीय दूध दिवस मनाया जाता है. यह दिन भारत में श्वेत क्रांति के जनक डॉ वर्गीस कुरियन की जयंती के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने भारत को विश्व स्तर पर दूध के सबसे बड़े उत्पादक के तौर पर जगह बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. राष्ट्रीय दुग्ध दिवस पोषण के एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में दूध के महत्व और ग्रामीण भारत के आर्थिक विकास में दुग्ध उत्पादन की भूमिका को दर्शाने का दिन है. यह दिन उन डेयरी किसानों और पेशेवरों को भी मान्यता देता है, जो भारत के डेयरी उद्योग की सफलता में योगदान देते हैं.राष्ट्रीय दुग्ध दिवस डॉ वर्गीस कुरियन की उपलब्धियों और ऑपरेशन फ्लड पहल की स्थापना में उनके काम पर प्रकाश डालता है, जिसने भारत में दूध उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला में क्रांति ला दी, जिससे देश डेयरी उत्पादन में आत्मनिर्भर बन गया.

क्या है इस दिन को मनाने का महत्व

भारतीय घरों में दूध का उपयोग मुख्य भोजन के एक प्रकार के तौर पर होता है और पोषण के लिए भी यह बेहद आवश्यक है, खासतौर पर बच्चों के लिए. यह दिन दूध के सेवन के लाभों और अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने में इसकी भूमिका के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देता है. आर्थिक दृष्टिकोण से भी यह अहम है, क्योंकि डेयरी उद्योग भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बड़े पैमानें पर योगदान देता है और लाखों छोटे एवं सीमांत किसानों की आजीविका का अहम साधन है. राष्ट्रीय दुग्ध दिवस उन नीतियों और नवाचारों पर चर्चा करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है, जो डेयरी क्षेत्र को और मजबूत कर सकते हैं.

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ऐसे हुई इस दिन को मनाने की शुरुआत

पहली बार राष्ट्रीय दुग्ध दिवस 26 नवंबर, 2014 को मनाया गया था, जब भारतीय डेयरी एसोसिएशन (आईडीए) ने देश भर के विभिन्न डेयरी संस्थानों के साथ मिलकर डॉ कुरियन की जयंती का सम्मान करने का फैसला लिया था. डॉ कुरियन ने भारत के सबसे बड़े डेयरी ब्रांड अमूल का नेतृत्व किया और गुजरात सहकारी दूध विपणन महासंघ (जीसीएमएमएफ) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी. वर्ष 1970 में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा शुरू किये गये ऑपरेशन फ्लड के तहत उनकी पहल ने भारत को दूध की कमी वाले देश से दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक देश में बदल दिया.ऑपरेशन फ्लड की सफलता को दुनिया के सबसे बड़े कृषि आंदोलनों में से एक माना जाता है. इसने न केवल दूध को जनता के लिए अधिक सुलभ बनाया, बल्कि लाखों ग्रामीण डेयरी किसानों,विशेषकर ग्रामीण महिलाओं को आय का एक स्थिर स्रोत प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के विशाल आयोजन में किसानों, दुग्ध संघों, डेयरी सहकारी समितियों आदि सहित देश भर की भागीदारी शामिल है.

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