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Delhi university:शिक्षा के माध्यम से खुलते हैं प्रगति के द्वार : जगदीप धनखड़

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Delhi university:मुक्त शिक्षण विद्यालय (एसओएल), मुक्त शिक्षण परिसर के 62वें स्थापना दिवस के मौके पर “विकसित भारत के निर्माण में मुक्त शिक्षा का योगदान” विषय पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मुक्त शिक्षा को सराहा.  शिक्षा उस ताले की कुंजी है जिसके माध्यम से प्रगति के द्वार खुलते हैं. शिक्षा समाज […]

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Delhi university:मुक्त शिक्षण विद्यालय (एसओएल), मुक्त शिक्षण परिसर के 62वें स्थापना दिवस के मौके पर “विकसित भारत के निर्माण में मुक्त शिक्षा का योगदान” विषय पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मुक्त शिक्षा को सराहा. 

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शिक्षा उस ताले की कुंजी है जिसके माध्यम से प्रगति के द्वार खुलते हैं. शिक्षा समाज में सबसे बड़े बदलाव का केंद्र है. शिक्षा लोगों तक जानकारी पहुंचाने का काम करती है. ऐसा नहीं है कि शिक्षा सिर्फ कॉलेज में पढ़कर हासिल की जा सकती है. शिक्षा को जन-जन तक पहुंचाने में मुक्त शिक्षा का योगदान अद्वितीय है. यह हमारी सांस्कृतिक विरासत भी है. दिल्ली विश्वविद्यालय के दूरस्थ एवं सतत शिक्षा विभाग, मुक्त शिक्षण विद्यालय (एसओएल), मुक्त शिक्षण परिसर के 62वें स्थापना दिवस के मौके पर “विकसित भारत के निर्माण में मुक्त शिक्षा का योगदान” विषय पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलाधिपति जगदीप धनखड़ ने यह बात कही. 

प्राचीन काल से भारत रहा है शिक्षा का केंद्र

धनखड़ ने कहा कि प्राचीन भारत शिक्षा और ज्ञान का गुरु रहा है और उसी समय से दुनिया भारत की ओर देखती रही है. पांचवीं से 13वीं शताब्दी तक हमारी पहचान शिक्षा और ज्ञान के प्रमुख केंद्र की थी. 13वीं शताब्दी के बाद परिवर्तन क्यों आया और आज भारत क्यों करवट ले रहा है, इसे समझने की जरूरत है. उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्राचीन शिक्षा पद्धति में दो बातें प्रमुख थी. औपचारिक शिक्षा और अनौपचारिक शिक्षा. गुरुकुल औपचारिक शिक्षा के माध्यम थे तो परिवार अनौपचारिक शिक्षा के माध्यम थे. आज ये काम संस्थागत तरीके से एसओएल कर रहा है. 

शिक्षा से ही वर्ष 2047 तक भारत बनेगा विकसित 

जगदीप धनखड़ ने कहा कि सदियों बाद मौजूदा समय में देश तेज गति से आगे बढ़ रहा है. वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का काम बहुत बड़ा है और इसमें सभी देशवासियों को योगदान देना होगा. एसओएल भी इसे एक नया आयाम दे रहा है. यह उन्हें शिक्षा देकर इसमें भागीदार बना रहा है, जो किसी कारण से चाह कर भी इसमें भागीदार नहीं हो पा रहे थे, उन्हें एसओएल ने मौका मुहैया कराया है. विकसित राष्ट्र के लिए शिक्षा ही एकमात्र माध्यम है. शिक्षा के कारण ही भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रहा है. आज भारत दुनिया के अग्रणी गिने चुने देशों में शामिल हो चुका है. 

8.5 सीजीपीए लाने वाली महिला विद्यार्थी की फीस होगी माफ

शैक्षणिक सत्र 2024-25 से एसओएल की जो भी महिला विद्यार्थी 8.5 सीजीपीए लाऐंगी उनकी आगामी वर्ष की पूरी फीस माफ की जाएगी. सरकार से कोई भी सहायता नहीं लेने के बावजूद पिछले शैक्षणिक सत्र में दो करोड़ रुपए की धनराशि से गरीब छात्रों को स्कॉलरशिप के तौर पर दी गयी. डीयू कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने कहा कि 1962 में एसओएल 900 छात्रों के साथ सिर्फ मानविकी और कॉमर्स जैसे दो विषयों के साथ शुरू किया गया था. आज 2024 में एसओएल में करीब 4 लाख से अधिक छात्र 17 से अधिक कोर्स में शिक्षा हासिल कर रहे हैं. 

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