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result : न आंकें बच्चों की एबिलिटी, परफॉर्मेंस पुअर हो तो उन्हें मोटिवेट करें; औरों से तुलना न करें

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result : बोर्ड एग्जाम खत्म होने के बाद रिजल्ट आने के बाद बच्चों की तुलना दूसरे से नहीं करें. अपने बच्चों को मोटिवेट रखें,

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result : बोर्ड एग्जाम्स खत्म होने के बाद अब छात्रों व उनके पैरेंट्स को रिजल्ट का इंतजार है. सीबीएसई व अन्य बोर्ड शीघ्र ही रिजल्ट जारी करने वाले हैं. रिजल्ट को लेकर उत्सुकता बढ़ती जा रही है. ज्यादातर पैरेंट्स की यही आकांक्षा रहती है कि उनके बेटे य बेटी बेस्ट करें. सबसे अच्छा नंबर लाएं. टॉपर हों. पर अक्सर ऐसा होता नहीं है. कहीं न कहीं कोई कमी रह जाती है. इस सिचुएशन में बच्चों की तुलना औरों से न करें. उन्हें दिलासा दें. मोटिवेट करें, कि सबकुछ खत्म नहीं हुआ है. अभी आगे भी मौके आएंगे. रिजल्ट के परफॉरमेंस से बच्चों की एबिलिटी को नहीं आंका जा सकता. कई बार रिजल्ट आशानुकूल नहीं भी आ सकते हैं. ऐसे समय में पैरेंट्स को धैर्य का परिचय देना पड़ता है. इस स्थिति में आपके बच्चों को आपके सपोर्ट की जरूरत होती है.

result : बेस्ट करने का प्रेशर न बनाएं

कई पैरेंट्स रिजल्ट में पुअर परफॉर्मेंस का ठीकरा बच्चों पर फोड़ने लगते हैं. ताना मारना. डांट लगाना. दूसरे बच्चों से उनकी तुलना करना. ऐसे व्यवहार एक परिपक्व पैरेंट्स की निशानी नहीं है. रिजल्ट मनोनुकूल नहीं आने पर बच्चे निराशा की स्थिति में पहुंच जाते हैं. ऐसे में ऐसा कोई काम न करें, जिससे बच्चों का मनोबल टूटे और वह भविष्य के लिए तैयार न हो पाए. कहा जाता है कि रिजल्ट आपक बच्चों का भविष्य को तय नहीं करता है. यह महज एक नंबर है.

सभी बच्चों की अपनी-अपनी क्षमता होती है. बच्चों को बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित तो करें पर यह दबाव न डालें कि तुम्हें बेस्ट करना ही है. ज्यादा प्रेशर उसे तनावग्रस्त कर सकता है. ऐसे में रिजल्ट मनोनुकूल न आए तो वह हीन भावना का शिकार हो सकता है. हो सकता है कि अपनी असफलता को ही चैलेंज मानकर वह भविष्य में बेहतर करने की ठान ले. वह एक बार गिरता है या उसे ठोकर लगती है तो वह आगे के लिए सतर्क हो सकता है. वह पहले से ज्यादा एफर्ट लगाकर पढ़ाई कर सकता है. और बेहतर रिजल्ट दे सकता है. पर इसके लिए उसे आपके सपोर्ट और मोटिवेशन की जरूरत होगी.

result : रिजल्ट वीक हो तो यह करें

  • रिजल्ट घोषित किए जाने के दौरान सबसे बड़ी चुनौती होती है घर में पॉजिटिव माहौल की. रिजल्ट अच्छा आए या बुरा, अपनी पॉजिटिविटी न खोने दें. माहौल को सकारात्मक बनाए रखें.
  • उसे डांटें नहीं, बल्कि सहारा दें. समझाएं कि यह अंत नहीं बल्कि आरंभ है. जीवन में सफलता के साथ असफलता भी मिलती है. निराश नहीं होना है.
  • कई बार पैरेंट्स रिजल्ट से पहले बच्चों से प्रॉमिस करते हैं कि अच्छा रिजल्ट आने पर गिफ्ट देंगे. रिजल्ट अच्छा नहीं हो तो भी प्रॉमिस से मुकरें नहीं. इससे बच्चे में निगेटिविटी आएगी. अपना वादा जरूर निभाएं.
  • हमारे इतिहास में ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं कि महान हस्तियों ने भी अपने जीवन में असफलताओं का सामना किया है. और उससे उपर उठकर और सीख लेते हुए उन्होंने जीवन में उच्च मुकाम हासिल किए. ऐसे उदाहरणों से बच्चों को मोटिवेट करें.

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