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इनकम बढ़ने पर एसआईपी में निवेश करना अक्लमंदी या ईएमआई बढ़ाना फायदेमंद? जानें आपके लिए कौन बेहतर

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SIP vs EMI: आमदनी बढ़ने पर लक्ष्य और जरूरतों के आधार पर निर्णय लेना चाहिए. यदि आपकी लोन की लागत कम है और आप लंबी अवधि में सुरक्षित निवेश चाह रहे हैं, तो एसआईपी सबसे लाभकारी हो सकता है.

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SIP vs EMI: वेतन में सालाना बढ़ोतरी होने के बाद नौकरी-पेशा आदमी बचत करने का प्लान बनाना शुरू कर देता है. कुछ लोग पर्सनल लोन, कार लोन या होम लोन भी लिये हुए रहते हैं. जिनके पास लोन है, वे ईएमआई की रकम बढ़ाकर लोन से जल्द निजात पाना चाहते हैं. वहीं, जिनके पास किसी प्रकार का लोन नहीं होता, वे निवेश का प्लान बनाते हैं. जब आपकी आय बढ़ती है, तो आपके पास एसआईपी (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) या लोन का ईएमआई (इक्वेटेड मंथली इंस्टॉलमेंट) बढ़ाने के विकल्प मौजूद होते हैं. इन दोनों विकल्पों के फायदे और नुकसान अलग-अलग होते हैं. आइए, जानते हैं कि इन दोनों विकल्पों के फायदे और नुकसान क्या-क्या है?

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एसआईपी में निवेश के फायदे

अनुशासित तरीके के साथ निवेश करने पर एसआईपी निवेशकों को एक निश्चित राशि नियमित रूप से निवेश करने की सुविधा प्रदान करता है, जो इक्विटी और म्यूचुअल फंड में जोखिम को संतुलित करने में मदद करता है. शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच एसआईपी के माध्यम से नियमित निवेश से निवेश की लागत औसत हो जाती है, जिससे निवेशक बाजार के उच्चतम और निम्नतम स्तरों पर निवेश कर सकते हैं. एसआईपी से उत्पन्न धन निकासी के लिए आसानी से उपलब्ध होता है, जो आपकी आकस्मिक जरूरतों को पूरा करने के लिए मदद करता है.

एसआईपी में निवेश के नुकसान

एसआईपी में निवेश के नुकसान अधिक नहीं है. यह तुरंत लाभ नहीं देता, क्योंकि यह लंबी अवधि के निवेश की ओर बढ़ता है. इसमें भी शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव का जोखिम होता है.

लोन की ईएमआई बढ़ाने के फायदे

यदि आपके पास उच्च ब्याज दर पर कोई लोन है, तो आप अपनी आमदनी में वृद्धि का इस्तेमाल करके कर्ज को जल्दी चुकाकर ब्याज लागत बचा सकते हैं. जल्दी कर्ज चुकाने से आपकी कुल लोन की अवधि घटेगी और आपको ब्याज भुगतान में बचत होगी.

लोन ईएमआई बढ़ाने के नुकसान

ईएमआई बढ़ाने से कुल लोन की लागत बढ़ सकती है, यदि लोन की अवधि अपेक्षाकृत लंबी हो. आमदनी में वृद्धि का इस्तेमाल कर्ज चुकाने में कर लिया जाता है, जिससे भविष्य में आकस्मिक खर्चों के लिए पैसों की कमी हो सकती है.

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सुझाव

आमदनी बढ़ने पर लक्ष्य और जरूरतों के आधार पर निर्णय लेना चाहिए. यदि आपकी लोन की लागत कम है और आप लंबी अवधि में सुरक्षित निवेश चाह रहे हैं, तो एसआईपी सबसे लाभकारी हो सकता है. वहीं, यदि आपका लोन उच्च ब्याज दर पर है और आप कर्जमुक्त होने पर फोकस कर रहे हैं, तो लोन ईएमआई बढ़ाना एक बेहतर विकल्प हो सकता है.

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Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

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