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RBI on G-Sec: निवेशकों को रिजर्व बैंक ने दिया नए साल का तोहफा! गवर्नमेंट सिक्योरिटी से कमा सकेंगे पैसा

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RBI on G-Sec: रिजर्व बैंक ने निवेशकों को को सरकारी प्रतिभूतियों में कर्ज लेने और देने की मंजूरी दे दी है. बताया जा रहा है कि बैंक ने बॉन्ड बाजार को मजबूती देने के लिए ये निर्देश जारी किया है.

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RBI on G-Sec: नये साल पर देश के शीर्ष बैंक भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा निवेशकों को न्यू ईयर गिफ्ट दिया गया है. शीर्ष बैंक ने अपने नियम में बड़ा बदलाव करते हुए निवेशकों को को सरकारी प्रतिभूतियों में कर्ज लेने और देने की मंजूरी दे दी है. बताया जा रहा है कि बैंक ने बॉन्ड बाजार को मजबूती देने के लिए ये निर्देश जारी किया है. प्रतिभूतियों पर कर्ज देने और उधार लेने से संबंधित एक सुव्यवस्थित बाजार सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) के बाजार को सघन करने के साथ उसे तरलता देने का काम करेगा. इससे प्रतिभूतियों के प्रभावी मूल्य की तलाश में मदद मिलेगी. हालांकि, इससे ट्रेजरी बिल को बाहर रखा गया है. आदेश के बाद, अब केंद्र सरकार के द्वारा जारी किए जाने वाले जी-सेक अब लेंडिंग व बॉरोइंग के लिए एलिजिबल होंगे. यह काम गवर्नमेंट सिक्योरिटीज लेंडिंग ट्रांजेक्शन के तहत होगा.

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फरवरी में तैयार हुआ था मसौदा

आरबीआई फरवरी में सरकारी प्रतिभूति ऋण दिशानिर्देश, 2023 का मसौदा लेकर आया था. इस मसौदे पर आई टिप्पणियों के आधार पर निर्देशों को अंतिम रूप दिया गया है. एक अधिसूचना के मुताबिक, केंद्र सरकार की तरफ से जारी जी-सेक (ट्रेजरी बिलों को छोड़कर) सरकारी प्रतिभूति उधारी (जीएसएल) लेनदेन के तहत कर्ज देने/ उधार लेने के लिए पात्र होंगे. अधिसूचना के अनुसार, आरबीआई की तरलता समायोजन सुविधा सहित रेपो लेनदेन के तहत प्राप्त या किसी अन्य जीएसएल लेनदेन के तहत उधार ली गई प्रतिभूतियां भी जीएसएल लेनदेन के तहत उधार देने के लिए पात्र होंगी. इसके अलावा ट्रेजरी बिल एवं राज्य सरकारों के बॉन्ड सहित सरकारी प्रतिभूतियां जीएसएल लेनदेन के तहत बंधक रखने के लिए पात्र होंगी. आरबीआई ने कहा कि जीएसएल लेनदेन की न्यूनतम अवधि एक दिन होगी और अधिकतम अवधि शॉर्ट सेलिंग से बचने के लिए निर्धारित अधिकतम अवधि होगी. सरकारी प्रतिभूतियों को उधार देने और उधार लेने से ‘विशेष रेपो’ के लिए मौजूदा बाजार में वृद्धि होने की उम्मीद है. इससे निवेशकों को निष्क्रिय प्रतिभूतियों को लगाने और पोर्टफोलियो रिटर्न बढ़ाने का अवसर देकर प्रतिभूति ऋण बाजार में व्यापक भागीदारी की सुविधा मिलने की उम्मीद है.

क्या होगा असर

भारतीय रिजर्व बैंक के ताजे आदेश से बाजार में बॉन्ड कारोबार पर असर पड़ेगा. लेंडिंग व बॉरोइंग में लचीलापन आने से गवर्नमेंट सिक्योरिटीज के बाजार को गहराई मिलेगी, साथ ही, लिक्विडिटी भी बेहतर होगी. बैंक के इस कदम से सरकारी प्रतिभूतियों की बेहतर प्राइस डिस्कवरी में भी मदद मिलेगी.

क्या होता है गवर्नमेंट सिक्योरिटी

गवर्नमेंट सिक्योरिटी या जी-सेक केंद्र सरकार या राज्य सरकारों द्वारा जारी एक व्यापार योग्य साधन है. सरकारी प्रतिभूतियां वित्तीय बाजार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जो सरकार के लिए जनता से धन उधार लेने के साधन के रूप में कार्य करती हैं. इन प्रतिभूतियों को सुरक्षित निवेश माना जाता है, क्योंकि सरकार की साख और स्थिरता इनका समर्थन करती है. सरकारी प्रतिभूतियां, जिन्हें जी-सेक के रूप में भी जाना जाता है, सरकार द्वारा अपनी वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जारी किए गए ऋण उपकरणों को संदर्भित करती हैं. ये प्रतिभूतियां सरकार की पुनर्भुगतान की गारंटी द्वारा समर्थित हैं और इन्हें जोखिम-मुक्त निवेश माना जाता है. वे निश्चित आय बाजार का एक अभिन्न अंग हैं और सरकारी प्रतिभूति बाजार में कारोबार किया जाता है. गवर्नमेंट सिक्योरिटी, सरकार के लिए अपनी व्यय आवश्यकताओं को पूरा करने, बजट घाटे को पाटने और विकासात्मक परियोजनाओं को निधि देने के लिए जनता से धन जुटाने के साधन के रूप में काम करती हैं. जो निवेशक इन प्रतिभूतियों को खरीदते हैं, वे नियमित ब्याज भुगतान और परिपक्वता पर मूल राशि के बदले में सरकार को पैसा उधार देते हैं.

गवर्नमेंट सिक्योरिटी इतने प्रकार के होते हैं:

  • ट्रेजरी बिल (अल्पकालिक सरकारी प्रतिभूतियां)

  • दिनांकित प्रतिभूतियाँ (दीर्घकालिक सरकारी प्रतिभूतियाँ)

  • नकद प्रबंधन बिल (सीएमबी)

  • राज्य विकास ऋण

  • ट्रेजरी मुद्रास्फीति-संरक्षित प्रतिभूतियाँ (TIPS)

  • शून्य-कूपन बांड

  • पूंजी अनुक्रमित बांड

  • फ्लोटिंग रेट बांड

  • बचत बांड

  • राजकोष टिप्पण

  • ट्रेजरी बॉन्ड

(भाषा इनपुट के साथ)

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