16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Repo Rate : ब्याज दरों में 0.25% बढ़ोतरी का ऐलान करता है RBI, तो जानें आप कितना होंगे प्रभावित

Advertisement

रेपो रेट वह ब्याज दर है, जिस पर भारत में राष्ट्रीयकृत सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंक आरबीआई से पैसा उधार लेते हैं. महंगाई में इजाफा होने के बाद आरबीआई रेपो रेट में इजाफा करता है, महंगाई दर में गिरावट होने पर इसे कम करता है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

मुंबई : द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा के तहत नीतिगत ब्याज दर रेपो रेट को तय करने के भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक जारी है. संभावना जाहिर की जा रही है कि महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास गुरुवार को रेपो रेट में तकरीबन 0.25 फीसदी अथवा 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी का ऐलान कर सकते हैं. अब अगर गवर्नर शक्तिकांत दास ब्याज दरों में बढ़ोतरी का फैसला करते हैं, तो इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा, क्योंकि रेपो रेट बढ़ने के साथ ही लोन (होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन) महंगा हो जाएगा. इससे आम आदमी खर्च घटेगा और बाजार में नकदी का प्रवाह कम होगा. आइए जानते हैं कि आरबीआई की रेपो रेट से आम आदमी सीधे तौर पर कैसे प्रभावित होता है…

- Advertisement -

क्या है रेपो रेट

रेपो रेट वह ब्याज दर है, जिस पर भारत में राष्ट्रीयकृत सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंक आरबीआई से पैसा उधार लेते हैं. महंगाई में इजाफा होने के बाद आरबीआई रेपो रेट में इजाफा करता है, महंगाई दर में गिरावट होने पर इसे कम करता है. वहीं रिवर्स रेपो दर वह ब्याज दर है जिस पर सरकारी और निजी क्षेत्र बैंक आरबीआई के पास अपनी जमा राशि रखते हैं. रेपो रेट का मतलब यह है कि जब वाणिज्यिक बैंकों को धन की कमी का सामना करना पड़ता है, तो वे आरबीआई द्वारा अनुमोदित प्रतिभूतियों जैसे ट्रेजरी बिल (उनकी वैधानिक तरलता अनुपात सीमा से अधिक) को बेचकर आरबीआई से एक दिन के लिए लोन लेते हैं.

किस आधार पर लोन देते हैं बैंक

भारत के सरकारी और निजी क्षेत्र के व्यावसायिक बैंक रेपो रेट के आधार पर ही आम लोगों को खुदरा लोन उपलब्ध कराते हैं. यदि आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है, तो बैंकों के लिए इससे उधार लेना मुश्किल हो जाता है, अर्थव्यवस्था में नकदी के प्रवाह को कम करता है, महंगाई को रोकता है. रेपो रेट में कमी से अर्थव्यवस्था में नकदी के प्रवाह में वृद्धि होती है, क्योंकि लोन सस्ता हो जाता है और अर्थव्यवस्था में खर्च बढ़ जाता है. यह मंदी को दूर करने का एक तरीका है.

क्या है द्विमासिक समीक्षा

आरबीआई इसे कम करने या बढ़ाने के लिए प्रत्येक दो महीने के अंतराल पर द्विमासिक समीक्षा करता है. यह समीक्षा आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में की जाती है. एमपीसी की बैठक आम तौर पर तीन दिनों के लिए आयोजित होता है, लेकिन विशेष परिस्थिति में यह एक दिन में भी समाप्त हो जाता है. इसी प्रकार, द्विमासिक समीक्षा तो आम तौर पर दो महीने के अंतराल पर की जाती है, लेकिन विशेष परिस्थितियों में यह एक महीने के अंतराल में कर दी जाती है. जैसे, मई 2022 में की गई थी. इससे पहले, आरबीआई ने अप्रैल महीने में नीतिगत ब्याज दर को तय करने के लिए द्विमासिक समीक्षा की थी. इस हिसाब से तो जून में द्विमासिक समीक्षा होनी चाहिए थी, लेकिन आरबीआई ने अर्थव्यवस्था में नकदी के प्रवाह को रोकने और लोन को महंगा करके खर्च को कम करने के लिए मई में ही नीतिगत ब्याज दरों की समीक्षा के लिए एमपीसी की बैठक बुला ली और ब्याज दरों में 0.40 फीसदी या 40 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर दी.

कौन तय करता है ब्याज दर

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ही रेपो दरों को तय करती है. मौद्रिक नीति समिति में इस समय में 16 सदस्य हैं. इस समिति के पदेन अध्यक्ष खुद आरबीआई गवर्नर होते हैं, जो मौजूदा समय में शक्तिकांत दास हैं. यह समिति महंगाई और राजकोषीय अनुमानों के आधार पर रेपो दर तय करती है. रेपो रेट तय करने के लिए गठित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का प्राथमिक उद्देश्य महंगाई को नियंत्रण में रखना और यह सुनिश्चित करना है कि यह लक्ष्य सीमा के अंदर रहे.

Also Read: RBI की एमपीसी बैठक से पहले बाजार में गिरावट, 6 अप्रैल को रेपो रेट की होगी घोषणा

आम आदमी कैसे होता प्रभावित

आरबीआई ने बाजार से पैसे की अतिरिक्त आपूर्ति को दूर करने के लिए रेपो रेपो में वृद्धि की है. यदि आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है, तो इसका अर्थ है कि वाणिज्यिक बैंकों को अधिक ब्याज देना पड़ेगा. इसके लिए वे रेपो रेट के रूप में बढ़ाई गई दरों को आम लोगों के लोन में ट्रांसफर कर देते हैं. इसका मतलब है कि बैंक होम लोन, पर्सनल लोन, कार लोन की ब्याज दरों में इजाफा कर देते हैं. साथ ही, बैंकों के पास ज्यादा से ज्यादा डिपोजिट आए, इसके लिए वे बचत खाता, फिक्स डिपोजिट एवं टर्म डिपोजिट की ब्याज दरों में भी इजाफा कर देते हैं, ताकि लोग ज्यादा ब्याज के लालच में अधिक से अधिक बैंकों में अपने पैसों को जमा कराएं. इससे बाजार में नकदी का प्रवाह कम हो जाता है.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें