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Rate Cut: नए साल 2025 में ब्याज दरों में बंपर कटौती, जीडीपी तेज ग्रोथ

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Rate Cut: भारत की अर्थव्यवस्था 2025 में स्थिर और सकारात्मक विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है. हालांकि, वैश्विक अनिश्चितताएं, भू-राजनीतिक तनाव और घरेलू चुनौतियां इसे परखेंगी. सरकार और आरबीआई के संतुलित नीतिगत कदम न केवल आर्थिक स्थिरता बनाए रखेंगे, बल्कि भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में और अधिक मजबूत स्थिति में ले जाने का मार्ग प्रशस्त करेंगे. तभी ब्याज दरों में कटौती की संभावना बनती है.

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Rate Cut: भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में 2025 में एक नई शुरुआत की ओर बढ़ रहा है. हालांकि, सितंबर तिमाही में 5.4% की जीडीपी वृद्धि के साथ सात तिमाहियों के निचले स्तर को छूने के बाद अब अर्थव्यवस्था में पुनरुत्थान की उम्मीदें प्रबल हो रही हैं. विशेषज्ञों का मानना ​​है कि भारत की आर्थिक नींव मजबूत है, लेकिन घरेलू महंगाई, भू-राजनीतिक चुनौतियों, और निजी क्षेत्र के निवेश में बढ़ोतरी जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है. ऐसी स्थिति में साल 2025 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में तेज वृद्धि के साथ-साथ प्रमुख ब्याज दर रेपो रेट में कटौती की उम्मीद की जा रही है.

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सितंबर तिमाही की सुस्ती और वित्त मंत्री की प्रतिक्रिया

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 5.4% की जीडीपी वृद्धि को “अस्थायी झटका” बताते हुए भरोसा दिलाया कि आने वाली तिमाहियों में अर्थव्यवस्था मजबूत वृद्धि दर्ज करेगी. ग्रामीण मांग में वृद्धि और त्योहारी गतिविधियों ने हालिया महीनों में आर्थिक संकेतकों में सुधार दिखाया है.

आर्थिक वृद्धि के अनुमान और चुनौतियां

आरबीआई के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी वृद्धि दर 6.6% रहने का अनुमान है, जबकि वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में यह 6.9% तक पहुंचने की संभावना है. अप्रैल-जून 2025 की अवधि में वृद्धि 7.3% तक रहने का अनुमान लगाया गया है. हालांकि, मुद्रास्फीति पर नियंत्रण, निजी क्षेत्र में निवेश की गति बढ़ाने और वैश्विक भू-राजनीतिक तनावों का सामना करने की आवश्यकता बनी रहेगी. विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक अनिश्चितता और अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के नए राष्ट्रपति बनने से भारत सहित वैश्विक बाजार प्रभावित हो सकते हैं.

ब्याज दरों में कटौती पर उम्मीदें

आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति के बीच संतुलन साधने की चुनौती के बीच सभी की नजरें आरबीआई की फरवरी 2025 में होने वाली मौद्रिक नीति समिति की बैठक पर टिकी हैं. नए गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में यह बैठक एक फरवरी को वित्त वर्ष 2025-26 के बजट के तुरंत बाद होगी. ब्याज दरों में संभावित कटौती न केवल उपभोक्ता मांग को प्रोत्साहित करेगी, बल्कि व्यापारिक गतिविधियों को भी गति देगी.

7% से अधिक वृद्धि दर्ज कर सकती है अर्थव्यवस्था

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था 6.6% से 6.8% के अनुमानित दायरे से ऊपर उठकर 7% से अधिक वृद्धि दर्ज कर सकती है. इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि घरेलू आर्थिक परिदृश्य उज्ज्वल दिखता है, लेकिन भू-राजनीतिक संघर्ष और वैश्विक अनिश्चितताओं के चलते सतर्कता आवश्यक है.

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राजकोषीय अनुशासन और सरकार की प्राथमिकताएं

वित्त मंत्रालय ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि सरकार वित्त वर्ष 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.5% से कम रखने के लिए प्रतिबद्ध है. साथ ही, आगामी बजट में मध्यम अवधि के नए राजकोषीय ढांचे की घोषणा की संभावना है, जो वित्त आयोग की सिफारिशों को ध्यान में रखेगा.

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