19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

राजन ने जीडीपी में गिरावट पर सरकार को चेताया, कहा- आत्मसंतोष से बाहर निकलें

Advertisement

नयी दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 23.9 प्रतिशत की गिरावट को चिंताजनक बताया है. उन्होंने कहा है कि नौकरशाही को अब आत्मसंतोष से बाहर निकलकर कुछ अर्थपूर्ण कार्रवाई करनी होगी. उन्होंने कहा कि मौजूदा संकट के दौरान एक अधिक विचारवान और सक्रिय सरकार की जरूरत है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

नयी दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 23.9 प्रतिशत की गिरावट को चिंताजनक बताया है. उन्होंने कहा है कि नौकरशाही को अब आत्मसंतोष से बाहर निकलकर कुछ अर्थपूर्ण कार्रवाई करनी होगी. उन्होंने कहा कि मौजूदा संकट के दौरान एक अधिक विचारवान और सक्रिय सरकार की जरूरत है.

- Advertisement -

राजन ने कहा, ‘दुर्भाग्य से शुरुआत में जो गतिविधियां एकदम तेजी से बढ़ी थीं, अब फिर ठंडी पड़ गई हैं.’ राजन ने अपने लिंक्डइन पेज पर पोस्ट में लिखा है, ‘आर्थिक वृद्धि में इतनी बड़ी गिरावट हम सभी के लिए चेतावनी है. भारत में जीडीपी में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आई है. (असंगठित क्षेत्र के आंकड़े आने के बाद यह गिरावट और अधिक हो सकती है). वहीं कोविड-19 से सबसे अधिक प्रभावित देशों इटली में इसमें 12.4 प्रतिशत और अमेरिका में 9.5 प्रतिशत की गिरावट आई है.’

उन्होंने कहा कि इतने खराब जीडीपी आंकड़ों की एक अच्छी बात यह हो सकती है कि अधिकारी तंत्र अब आत्मसंतोष की स्थिति से बाहर निकलेगा और कुछ अर्थपूर्ण गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करेगा. राजन फिलाहल शिकॉगो विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं. उन्होंने कहा कि भारत में कोविड-19 के मामले अब भी बढ़ रहे हैं. ऐसे में रेस्तरां जैसी सेवाओं पर विवेकाधीन खर्च और उससे जुड़ा रोजगार उस समय तक कम रहेगा, जब तक कि वायरस को नियंत्रित नहीं कर लिया जाता.

Also Read: नोटबंदी ने शुरू की अर्थव्यवस्था की बर्बादी, GDP के गिरावट पर राहुल ने मोदी सरकार पर ऐसे साधा निशाना

राजन ने कहा कि सरकार संभवत: इस समय अधिक कुछ करने से इसलिए बच रही है, ताकि भविष्य के संभावित प्रोत्साहन के लिए संसाधन बचाए जा सकें. उन्होंने राय जताई कि यह आत्मघाती रणनीति है. मौजूदा परिदृश्य में सरकार की ओर से समर्थन या राहत के महत्व को रेखांकित करते हुए राजन ने कहा, ‘राहत उपायों के बगैर अर्थव्यस्था की वृद्धि की क्षमता को गंभीर चोट पहुंचेगी.’

मुश्किल घड़ी में ही अर्थव्यवस्था को सहारे की जरूरत

उन्होंने कहा कि ब्राजील ने राहत उपायों पर काफी राशि खर्च की है. यही वजह है कि मध्यम अवधि की वृद्धि के मामले में वहां गिरावट भारत से काफी कम रहने की संभावना है.’ एक उदाहरण देते हुए राजन ने कहा कि यदि हम अर्थव्यवस्था को मरीज के रूप में लें, तो मरीज को उस समय सबसे अधिक राहत की जरूरत होती है जबकि वह बिस्तर पर है और बीमारी से लड़ रहा है.

उन्होंने कहा, ‘बिना राहत या सहायता के परिवार भोजन नहीं कर पायेंगे, अपने बच्चों को स्कूल से निकाल लेंगे और उन्हें काम करने या भीख मांगने भेज देंगे. अपना सोना गिरवी रखेंगे. ईएमआई और किराये का भुगतान नहीं करेंगे. ऐसे में जब तक बीमारी को नियंत्रित किया जायेगा, मरीज खुद ढांचा बन जायेगा.’ रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने कहा कि अब आर्थिक प्रोत्साहन को ‘टॉनिक’ के रूप में देखें. ‘जब बीमारी समाप्त हो जायेगी, तो मरीज तेजी से अपने बिस्तर से निकल सकेगा. लेकिन यदि मरीज की हालत बहुत ज्यादा खराब हो जायेगी, तो प्रोत्साहन से उसे कोई लाभ नहीं होगा. राजन ने कहा कि वाहन जैसे क्षेत्रों में हालिया सुधार वी-आकार के सुधार (जितनी तेजी से गिरावट आई, उतनी ही तेजी से उबरना) का प्रमाण नहीं है.

बिना अतिरिक्त खर्च के अर्थव्यवस्था को बढ़ाने का हो प्रयास

उन्होंने कहा, ‘यह दबी मांग है. क्षतिग्रस्त, आंशिक रूप से काम कर रही अर्थव्यवस्था में जब हम वास्तविक मांग के स्तर पर पहुंचेंगे, यह समाप्त हो जाएगी.’ राजन ने कहा कि महामारी से पहले ही अर्थव्यवस्था में सुस्ती थी और सरकार की वित्तीय स्थिति पर भी दबाव था. ऐसे में अधिकारियों का मानना है कि वे राहत और प्रोत्साहन दोनों पर खर्च नहीं कर सकते. उन्होंने कहा, ‘यह सोच निराशावादी है. सरकार को हरसंभव तरीके से अपने संसाधनों को बढ़ाना होगा और उसे जितना संभव हो, समझदारी से खर्च करना होगा.’

उन्होंने कहा कि सरकार को हर वह कदम उठाना होगा, जिससे अर्थव्यवस्था को बिना अतिरिक्त खर्च के आगे बढ़ाया जा सके. रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने कहा कि भारत को न केवल देश के युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने बल्कि ऐसे पड़ोसियों को शांत रखने के लिए भी मजबूत वृद्धि की जरूरत है, जिनके साथ तनाव बढ़ रहा है.

उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में श्रम संरक्षण कानून में स्थगन जैसे ‘अधपके’ सुधारों से न तो उद्योगों और न ही श्रमिकों का उत्साह बढ़ेगा. बल्कि इससे सुधार का नाम खराब होगा. राजन ने सुझाव दिया कि सुधारों को प्रोत्साहन का हिस्सा बनाया जा सकता है. यदि उनका क्रियान्वयन तत्काल न भी हो, इसकी समयसीमा तय की जा सकती है. इससे भी निवेशकों की धारणा मजबूत हो सकेगी. राजन ने कहा कि दुनिया भारत से पहले महामारी से उबरेगी. ऐसे में निर्यात के जरिए भी भारत आगे बढ़ सकता है.

Posted By: Amlesh Nandan.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें