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PMI : मार्च में 3 तीन महीने के हाई लेवल पर पहुंची मैन्यूफैचरिंग सेक्टर की गतिविधियां

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मार्च के पीएमआई आंकड़े के अनुसार, लगातार 21वें महीने के लिए समग्र परिचालन स्थितियों में सुधार हुआ है. पीएमआई में आंकड़ा 50 से ऊपर रहने का अर्थ यह है कि कारोबारी गतिविधियों में विस्तार हुआ है, जबकि 50 से नीचे रहने का मतलब इसमें गिरावट हुई है.

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नई दिल्ली : सोमवार को जारी एक मासिक सर्वेक्षण में यह कहा गया है कि नए ऑर्डर तथा उत्पादन में विस्तार होने और मांग में जुझारूपन के साथ लागत दबाव में कमी आने के बीच भारत के विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां मार्च महीने के दौरान तीन महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं. एसएंडपी ग्लोबल के अनुसार, भारत में विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) मार्च महीने में बढ़कर 56.4 पर पहुंच गया. इससे पहले फरवरी में यह 55.3 पर था, जो 2023 में अब तक परिचालन परिस्थितियों में सबसे मजबूत सुधार दर्शाता है.

समग्र परिचालन स्थितियों में लगातार 21वें महीने सुधार

मार्च के पीएमआई आंकड़े के अनुसार, लगातार 21वें महीने के लिए समग्र परिचालन स्थितियों में सुधार हुआ है. पीएमआई में आंकड़ा 50 से ऊपर रहने का अर्थ यह है कि कारोबारी गतिविधियों में विस्तार हुआ है, जबकि 50 से नीचे रहने का मतलब इसमें गिरावट हुई है. एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में अर्थशास्त्र की सहायक निदेशक पॉलियाना डी लीमा ने कहा कि मार्च में भारतीय सामानों की अंतर्निहित मांग मजबूत रही. उत्पादन में लगातार विस्तार हो रहा है और कंपनियों ने अपना भंडार बढ़ाने के प्रयास तेज कर दिए हैं.

लागत संबंधी महंगाई में आई गिरावट

एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस के एक सर्वे के मुताबिक, लागत संबंधी महंगाई मार्च में ढाई साल के अपने दूसरे सबसे निचले स्तर पर आ गई और इसकी वजह आपूर्ति शृंखला पर दबाव कम होना तथा कच्ची सामग्री की उपलब्धता बढ़ना है. रिपोर्ट कहती है कि 96 फीसदी कंपनियों को फरवरी के बाद से लागत दबाव में कोई परिवर्तन महसूस नहीं हुआ है.

Also Read: नए ऑर्डर और मजबूत मांग से दिसंबर में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में रिकॉर्ड बढ़त, PMI 13 महीने के हाई लेवल पर

पिछले साल के मुकाबले कीमतों में बढ़ोतरी दर्ज

लीमा ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में बिक्री के दाम और बढ़े हैं लेकिन मुद्रास्फीति की दर सामान्य है और लगभग फरवरी जितनी ही है. बिक्री बढ़ाने की खातिर शुल्क जस के तस रखे गए हैं. रोजगार के मोर्चे पर व्यापार में मामूली वृद्धि होने की वजह से कंपनियों ने नई भर्तियां नहीं की. उन्होंने कहा कि कंपनियों और आपूर्तिकर्ताओं के पास पर्याप्त क्षमता है. काम का दबाव ज्यादा नहीं होने से मार्च में रोजगार सृजन प्रभावित हुआ.

भाषा इनपुट

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