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PMEGP: 40 लाख लोगों को रोजगार का अवसर देने वाले इस कार्यक्रम को मोदी सरकार ने दिया विस्तार

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15वें वित्त आयोग की अवधि यानी पांच साल के लिए वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26 तक बढ़ाया गया है. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) का लक्ष्य देश भर के युवाओं को गैर-कृषि क्षेत्रों में सूक्ष्म उपक्रमों की स्थापना के जरिये रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है.

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नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) को वर्ष 2025-26 तक बढ़ा दिया गया है. इस पर कुल 13,554.42 करोड़ रुपये सरकार खर्च करेगी. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सोमवार को यह जानकारी दी. सूक्ष्म, लघु एव मझोला उपक्रम (एमएसएमई) मंत्रालय ने कहा कि इस योजना से पांच वित्त वर्षों में 40 लाख लोगों के लिए सतत रोजगार के अवसरों का सृजन होगा.

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इस योजना को 15वें वित्त आयोग की अवधि यानी पांच साल के लिए वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26 तक बढ़ाया गया है. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) का लक्ष्य देश भर के युवाओं को गैर-कृषि क्षेत्रों में सूक्ष्म उपक्रमों की स्थापना के जरिये रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है. इस योजना की समयसीमा बढ़ाने के साथ इसमें कुछ और संशोधन भी किये गये हैं.

इसके तहत विनिर्माण इकाइयों के लिए अधिकतम परियोजना लागत को मौजूदा 25 लाख रुपये से बढ़ाकर 50 लाख रुपये किया गया है. वहीं, सेवा इकाइयों के लिए इसे 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया गया है. पीएमईजीपी में ग्रामोद्योग और ग्रामीण क्षेत्र की परिभाषा को भी बदला गया है.

पंचायती राज संस्थानों के तहत आने वाले क्षेत्रों को ग्रामीण क्षेत्र माना जायेगा. नगर निगमों के तहत आने वाले क्षेत्रों को शहरी क्षेत्र माना जायेगा. सभी क्रियान्वयन एजेंसियों को आवेदन लेने और उनके प्रसंस्करण की अनुमति होगी, बेशक आवेदन ग्रामीण क्षेत्र का हो गया शहरी क्षेत्र का. आकांक्षी जिलों और ‘ट्रांसजेंडर’ आवेदकों को विशेष श्रेणी में रखा जायेगा और वे अधिक सब्सिडी पाने के पात्र होंगे.

योजना में किये गये संशोधन

  • विनिर्माण इकाइयों के लिए अधिकतम परियोजना लागत को 25 लाख से बढ़ाकर 50 लाख रुपये किया गया

  • सेवा इकाइयों के लिए परियोजना लागत को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया गया

  • पीएमईजीपी में ग्रामोद्योग और ग्रामीण क्षेत्र की परिभाषा को भी बदला गया है

  • पंचायती राज संस्थानों के तहत आने वाले क्षेत्रों को ग्रामीण क्षेत्र माना जायेगा

  • नगर निगम के तहत आने वाले क्षेत्रों को शहरी क्षेत्र माना जायेगा

  • आकांक्षी जिलों और ‘ट्रांसजेंडर’ आवेदकों को विशेष श्रेणी में रखा जायेगा. उन्हें अधिक सब्सिडी मिलेगी

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