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‘बेहतर भारत के निर्माण की खातिर उद्योग जगत को सीएसआर पर करना चाहिए खर्च’

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एक बहुराष्ट्रीय कंपनी ने सीएसआर गतिविधियों के तहत पिछले दो साल में 500 करोड़ के करीब भी खर्च नहीं किया था. उसे नोटिस जारी किया गया. उसके बाद वह इस मद पर पैसे को खर्च कर ‘खुश' थी, लेकिन अब जब सरकार ने जब कुछ प्रावधानों को आराधिक गलती की श्रेणी से हटा दिया है, तो वह उस राशि को खर्च करने में फिर कतरा रही है.

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नयी दिल्ली : वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने सोमवार को कहा कि उद्योग जगत को कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) कोष के खर्च को लेकर किसी प्रकार की झिझक नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इससे देश को मौजूदा और आगामी पीढ़ी के लिए बेहतर स्थान बनाने में मदद मिलेगी. कॉरपोरेट मामलों की भी जिम्मेदारी संभाल रहे ठाकुर ने यह भी कहा कि सीएसआर कानून के कुछ प्रावधानों को आपराधिक श्रेणी से हटाने को लेकर सरकार ने उसमें में कई बदलाव किये हैं.

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उन्होंने किसी का नाम लिये बिना कहा कि एक बहुराष्ट्रीय कंपनी ने सीएसआर गतिविधियों के तहत पिछले दो साल में 500 करोड़ के करीब भी खर्च नहीं किया था. उसे नोटिस जारी किया गया. उसके बाद वह इस मद पर पैसे को खर्च कर ‘खुश’ थी, लेकिन अब जब सरकार ने जब कुछ प्रावधानों को आराधिक गलती की श्रेणी से हटा दिया है, तो वह उस राशि को खर्च करने में फिर कतरा रही है.

उन्होंने उद्योग मंडल फिक्की के सीएसआर पर आयोजित वेबिनार में कहा कि एक तरफ हम कंपनियों की मदद करते हैं, ताकि उन्हें आपराधिक प्रावधानों का सामना नहीं करना पड़े. वहीं, अगर कंपनी करोड़ों रुपये कमा रही हैं, करोड़ों को छोड़िये, अरबों कमा रही है, आखिर वे उसका एक हिस्सा सीएसआर गतिविधियों पर यानी भारतीयों पर क्यों नहीं खर्च करना चाहती.

ठाकुर ने कहा, ‘यही कारण है कि उस समय सरकार सीएसआर में इस प्रकार की धाराओं को जोड़ने के लिए मजबूर हुई थी. इसीलिए मेरा आप सभी से आग्रह है कि हमारी देश के प्रति जिम्मेदारी है, लोगों के प्रति जिम्मेदारी है और मुझे भरोसा है कि आप सभी ने जिस उदारता के साथ योगदान दिया है, उसे आगे भी जारी रखेंगे तथा लोगों को गरीबी से बाहर लाएंगे. भारत को मौजूदा और अगली पीढ़ी के लिए बेहतर स्थान बनाएंगे.

मंत्री ने उद्योग से नदियों के प्रदूषण को रोकने के लिए, इसके लिए जागरूकता पैदा करने और कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ अभियान में सरकार की मदद करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि ‘लॉकडाउन’ के बाद यमुना और गंगा जैसी नदियों में प्रदूषण का स्तर निम्न है. इसका मतलब प्रदूषण घटा है. इससे यह साबित हेाता है कि प्रदूषण का मुख्य कारण उद्योग है. ठाकुर ने कहा कि यह प्रकृति से मिला एक संकेत है. इसीलिए ध्यान केवल मुनाफे पर नहीं, बल्कि समाज में विभिन्न तरीके से योगदान पर भी होना चाहिए.

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Posted By : Vishwat Sen

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