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पानी से महंगाई को पस्त करेगी सरकार, माल ढुलाई के लिए बनाया तगड़ा प्लान

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Inflation: सरकार की जलवाहक योजना भारतीय लॉजिस्टिक्स सेक्टर को बदलने में अहम भूमिका निभा सकती है. इसके तहत सस्ते, तेज और हरित परिवहन की व्यवस्था संभव है. वस्तुओं की ढुलाई सस्ती होने का सीधा असर खुदरा बाजार में बिकने वाली रोजमर्रा की वस्तुओं पर देखने को मिल सकता है.

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Inflation: केंद्र की मोदी सरकार ने महंगाई को अब पानी के जरिए पस्त करेगी. इसके लिए उसने राष्ट्रीय जलमार्गों के इस्तेमाल से माल ढुलाई करके बाजारों में बिकने वाली आम आदमी के रोजमर्रा से जुड़ी जरूरी चीजों की कीमतों को काबू करने की योजना बनाई है. इस योजना के तहत सरकार की ओर से रविवार को जलवाहक योजना की शुरुआत की गई है. केंद्रीय बंदरगाह, पोत-परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने तीन मालवाहक जहाजों को हरी झंडी दिखाकर योजना शुरुआत की.

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पश्चिम बंगाल से गुवाहाटी तक सस्ती माल ढुलाई

केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि जलवाहक योजना राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (गंगा), 2 (ब्रह्मपुत्र) और 16 (बराक नदी) पर टिकाऊ और लागत प्रभावी परिवहन को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है. इसके तहत पश्चिम बंगाल से लेकर पटना, बनारस और गुवाहाटी तक जलमार्ग के जरिए माल की ढुलाई अब रेलवे की मालगाड़ी से भी सस्ती पड़ेगी.

जलवाहक योजना से रसद लागत में आएगी कमी

सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि जलवाहक योजना का उद्देश्य अंतर्देशीय जलमार्गों की व्यापार क्षमता को खोलने के साथ-साथ रसद लागत को कम करने के साथ सड़क और रेल नेटवर्क पर भीड़भाड़ कम करना है. उन्‍होंने बताया कि इस योजना के तहत जलमार्गों के जरिए 300 किलोमीटर से अधिक दूरी तक माल परिवहन करने वाले कार्गो मालिकों को ऑपरेशनल कॉस्ट पर 35% तक की क्षतिपूर्ति मिलेगी.

पानी के तीन जहाजों से माल ढुलाई शुरू

केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि जलवाहक योजना का उद्देश्य 95.4 करोड़ के निवेश के साथ 800 मिलियन टन किलोमीटर के मॉडल शिफ्ट को प्रोत्साहित करना है. इसके तहत, पहला जहाज-एमवी त्रिशूल दो डंब बार्ज अजय और दीखू के साथ-1500 टन सीमेंट कोलकाता के जीआर जेट्टी से गुवाहाटी के पांडु तक आईबीपीआर के माध्यम से ले जा रहा है. दूसरा जहाज-एमवी एएआई-1000 टन जिप्सम को पटना ले जा रहा है, जबकि तीसरा जहाज-एमवी होमी भाभा -200 टन कोयला वाराणसी ले जा रहा है.

जलवाहक योजना तीन साल के लिए वैध

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने जारी बयान में बताया कि जलवाहक योजना तीन वर्षों तक वैध रहेगी. इस योजना को प्रमुख माल ढुलाई कंपनियों, माल ढुलाई प्रेषकों और व्यापार निकायों के लिए सप्लाई चेन को अनुकूलित करने के लिए तैयार किया गया है. मंत्रायल के मुताबिक, इसको भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) और भारतीय शिपिंग निगम की सहायक कंपनी अंतर्देशीय और तटीय शिपिंग लिमिटेड (आईसीएसएल) की ओर से संयुक्त रूप से कार्यान्वित किया जाएगा.

जलवाहक योजना से संबंधित मुख्य बिंदु

  • ईंधन की खपत में आएगी कमी: जलमार्गों के जरिए कार्गो ढुलाई सड़क और रेल परिवहन की तुलना में अधिक किफायती है. इसके तहत ईंधन की खपत 20-30% तक कम हो सकती है.
  • राष्ट्रीय जलमार्गों का विकास: सरकार ने देशभर में 111 राष्ट्रीय जलमार्गों की पहचान की है, जिनमें से 23 जलमार्गों को प्राथमिकता दी गई है. इनमें से गंगा, ब्रह्मपुत्र, और गोदावरी जैसे बड़े जलमार्ग शामिल हैं.
  • पायलट प्रोजेक्ट: गंगा नदी पर हल्दिया से वाराणसी तक मालवाहन की व्यवस्था सफलतापूर्वक शुरू की गई है. इससे माल ढुलाई की लागत प्रति टन लगभग 50% तक घटाई जा रही है.

जलवाहक योजना के लाभ

  • रोजगार का सृजन: इस योजना से नदियों के किनारे रहने वाले लोगों के लिए नए रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे.
  • लॉजिस्टिक खर्च में कमी: जल परिवहन की कम लागत से उत्पादकों और निर्यातकों को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलेगा.
  • पर्यावरण संरक्षण: सड़क और रेल के मुकाबले जल परिवहन से प्रदूषण कम होता है.

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सरकार के सामने चुनौतियां

  • इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव: नदियों को माल ढुलाई के अनुकूल बनाने के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है.
  • रखरखाव और संचालन: जलमार्गों के रखरखाव के लिए दीर्घकालिक योजनाओं की आवश्यकता होगी.
  • मौसमी बाधाएं: मानसून और जल स्तर में उतार-चढ़ाव से जल परिवहन बाधित हो सकता है.

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