27.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 03:37 pm
27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

वैश्विक विकास सूचकांक में भारत का प्रदर्शन खराब, प्रति व्यक्ति में हुई बढ़ोतरी

Advertisement

तीन विकास संकेतकों के हमारे परीक्षण से यह पता चला है कि अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा भारत के लिए सामाजिक-विकास सूचकांक के अनुमानों में प्रणालीगत पूर्वाग्रह हैं. यह प्रति व्यक्ति आय बढ़ने के बावजूद विभिन्न सूचकांक के लगातार नीचे रहने की अधिक व्यापक समस्या का एक उदाहरण हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

नई दिल्ली : भारत की प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के बावजूद विभिन्न वैश्विक विकास सूचकांक में भारत का प्रदर्शन खराब बना रहा है. प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति (ईएसी-पीएम) के सदस्य संजीव सान्याल के सह-लेखन में छपे एक शोधपत्र में बताया गया है कि ऐसा अंतरराष्ट्रीय संगठनों के अनुमानों में प्रणालीगत पूर्वाग्रहों के चलते हुआ है. शोधपत्र में कहा गया है कि निवेश और व्यापार संबंधी निर्णयों में पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ईएसजी) मानदंडों के बढ़ते इस्तेमाल का मतलब होगा कि पक्षपातपूर्ण आंकड़े तेजी से निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावित करेंगे.

- Advertisement -

शोधपत्र में आगे कहा गया है कि इन सभी तीन विकास संकेतकों (बाल कुपोषण, महिला श्रम बल भागीदारी दर और जीवन प्रत्याशा) के हमारे परीक्षण से यह पता चला है कि अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा भारत के लिए सामाजिक-विकास सूचकांक के अनुमानों में प्रणालीगत पूर्वाग्रह हैं. शोधपत्र के मुताबिक, यह प्रति व्यक्ति आय बढ़ने के बावजूद विभिन्न सूचकांक के लगातार नीचे रहने की अधिक व्यापक समस्या का एक उदाहरण हैं. शोधपत्र में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के गलती भरे अनुमान उनकी अपनी वैचारिक अस्पष्टता, दोषपूर्ण मानक और घटिया कार्यप्रणाली के चलते हैं.

बता दें कि वर्ष 2022-23 के विभिन्न वैश्विक विकास सूचकांकों की एक सूची पिछले फरवरी महीने में ही जारी हुआ था. इन सूचकांकों में 2022 के वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत 107वें स्थान था. हालांकि, इस सूचकांक में बेलारूस पहले पायदान पर था. इसके अलावा, हैनले एंड पार्टनर्स की ओर से जारी हैनले पासपोर्ट सूचकांक-2023 में भारत 85वें स्थान पर था. इस सूचकांक में जपान पहले स्थान पर रहा है.

Also Read: भारत में भुखमरी की स्थिति चिंताजनक, वैश्विक भुखमरी सूचकांक में 101 वां स्थान, पाकिस्तान से भी हालात खराब
वैश्विक सूचकांकों में भारत की स्थिति

  • वैश्विक भुखमरी सूचकांक-2022 : 107वां स्थान

  • हैनले पासपोर्ट सूचकांक-2023 : 85वां स्थान

  • ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स-2022 : 40वां स्थान

  • ग्लोबल पेंशन इंडेक्स-2021 : 40वां स्थान

  • खाद्य सुरक्षा सूचकांक-2022 : 68वां स्थान

  • वैश्विक शांति सूचकांक-2021 : 135वां स्थान

  • चांडलर गुड गवर्नमेंट इंडेक्स-2021 : 49वां स्थान

  • विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक-2022 : 150वां स्थान

  • लोकतंत्र सूचकांक-2021 : 46वां स्थान

  • भ्रष्टाचार और धारणा सूचकांक-2021 : 85वां स्थान

  • संयुक्त राष्ट्र मानव विकास सूचकांक-2021 : 132वां स्थान

  • विश्व खुशहाली सूचकांक-2023 : 136वां स्थान

  • वैश्विक लैंगिक अंतर सूचकांक-2022 : 135वां स्थान

  • आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक-2021 : 121वां स्थान

  • वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक-2021 : सातवां स्थान

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें