26.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

SIP में जमा पैसों की कैसे करेंगे निकासी, कितना लगेगा टैक्स, पता है?

Advertisement

SIP: सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) में म्यूचुअल फंड यूनिट्स को भुनाने के लिए टैक्स ट्रीटमेंट निर्धारित करने में पहले आओ, पहले पाओ (एफआईएफओ) नियम को अपनाया जाता है. एसआई के जरिए पहले खरीदी गई यूनिट्स और एक साल से अधिक समय तक रखी गई यूनिट्स को लॉन्ग-टर्म होल्डिंग माना जाता है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

SIP: एसआईपी (सिस्टमैटिक इन्वेस्ट प्लान) के जरिए म्यूचुअल फंडों में निवेश करने का तरीका तो आपको असेट्स मैनेजमेंट करने वाली कंपनियां बता देंगी, लेकिन उसमें लग पैसों की निकासी कैसे करेंगे? क्या आपको पता है कि एसआईपी में निवेश पर मिलने वाले रिटर्न पर कितना टैक्स लगेगा? अगर नहीं जानते हैं, तो जान जाइए. मान लीजिए कि एसआईपी में पैसा लगाने के बाद आप करोड़पति बन जाएंगे, तो एक करोड़ रुपये पर कितना टैक्स लगेगा और आप उसे कैसे निकालेंगे? आइए इसके बारे में जानते हैं…

- Advertisement -

एसआईपी में कैसे करें निवेश

एसआईपी में निवेश करने के लिए बाजार में रिसर्च करके किसी बेहतरी म्यूचुअल फंड की तलाश कर उसे चुनें, जो आपकी जेब और जोखिम सहने की क्षमता के अनुकूल हो. इसके बाद निवेश करने के लिए जरूरी दस्तावेज तैयार करें. इन जरूरी दस्तावेजों में पैन कार्ड, एड्रेस प्रूफ, चेक-बुक और पासपोर्ट साइज फोटो होना जरूरी है. अपने बैंक खाते का केवाईसी अपडेट करा लें. इसके बाद, म्यूचुअल फंड एक्सपर्ट या असेट मैनेजमेंट करने वाली कंपनियों या बैंकों से संपर्क करें. इतना करने के बाद आप एसआईपी के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश करना शुरू कर देंगे.

एसआईपी में जमा पैसों की निकासी कैसे करें?

एसआईपी में जमा पैसों और उसके रिटर्न की निकासी ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से किया जा सकता है. एसआईपी से पैसों की निकासी को तकनीकी तौर पर रिडम्शन कहा जाता है. भारतीय म्यूचुअल फंड एसोसिएशन के अनुसार, एसआईपी के जरिए लॉन्ग टर्म के लिए म्यूचुअल फंडों में पैसा जमा करने वाले निवेशक ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से रिडम्शन कर सकते हैं.

ऑफलाइन निकासी : ऑफलाइन निकासी के लिए यूनिट होल्डर को एएमसी या रजिस्ट्रार के कार्यालय में जाकर साइन किया हुआ रिडम्शन रिक्वेस्ट फॉर्म जमा करना होगा. इसमें यूनिट होल्‍ड का नाम, फोलियो नंबर, स्‍कीम का नाम, कितनी यूनिट रिडीम करनी है, प्‍लान की पूरी जानकारी देनी होगी. रिडम्‍शन प्रक्रिया पूरी होने के बाद आपका पैसा आपके बैंक खाते में आ जाएगा.

ऑनलाइन निकासी : एसआईपी में जमा पैसों की ऑनलाइन निकासी के लिए यूनिट होल्‍डर को संबंधित म्‍यूचुअल फंड के ‘ऑनलाइन ट्रांजैक्‍शन’ पेज पर लॉग-इन करना होगा. फोलियो नंबर या पैन (स्थायी खाता नंबर) के जरिए लॉग-इन करना होगा. इसके बाद उन्हें स्‍कीम और यूनिट्स या अमाउंट की संख्‍या देनी होगी. इसके बाद आपका पैसा आपके खाते में आ जाएगा.

क्या एसआईपी में जमा पैसों पर मिलने वाले रिटर्न पर भी टैक्स लगता है?

आईसीआईसीआई बैंक की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, म्यूचुअल फंड से मिलने वाला रिटर्न भी दूसरी परिसंपत्तियों की टैक्स के अधीन है. म्यूचुअल फंड पर टैक्सेशन में वित्तीय साधनों में निवेश से जुड़े दायित्व शामिल हैं. यूनिट्स की बिक्री से होने वाले पूंजीगत लाभ को होल्डिंग अवधि के आधार पर शॉर्ट-टर्म या लॉन्ग-टर्म के रूप में वर्गीकृत किया जाता है. म्यूचुअल फंड में 3 साल से कम समय के लिए पैसा रखा जाता है और इस पर मिलने वाले रिटर्न को शॉर्ट-टर्म गेन माना जाता है. इस पर निवेशकों के लिए लागू आयकर सामान्य नियमों के तहत सामान्य दर पर टैक्स लगाया जाता है. वहीं, 3 साल से अधिक समय के लिए रखी गई यूनिट्स से होने वाले लाभ को लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) माना जाता है और फिर रिटर्न पर एलटीसीजी के नियमों के आधार पर टैक्स का निर्धारण किया जाता है.

म्यूचुअल फंड कराधान को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन-कौन हैं?

म्यूचुअल फंड कराधान को प्रभावित करने वाले चार प्रमुख कारक हैं, जिनके आधार पर टैक्स निर्धारित किया जाता है. इन चार प्रमुख कारकों में फंड की कैटेगरी, पूंजीगत लाभ, लाभांश और होल्डिंग अवधि शामिल हैं. आम तौर पर म्यूचुअल फंड को कराधान के लिए दो कैटेगरी इक्विटी फंड और डेट ओरिएंटेड फंड के रूप बांटा गया है. पूंजीगत लाभ मिलता है, जब किसी पूंजीगत परिसंपत्ति को उसकी लागत से अधिक कीमत पर बेचा जाता है. लाभांश उसे कहते हैं, म्यूचुअल फंड हाउसेज अपने निवेशकों के बीच कमाए गए लाभ को लाभांश के तौर पर बांटते हैं. होल्डिंग अवधि निवेशकों की ओर यूनिट्स को लेने की अवधि को कहते हैं, जो पूंजीगत लाभ पर टैक्स की रेट को प्रभावित करती है. लॉन्ग-टर्म वाले होल्डिंग पर टैक्स रेट कम हो जाती है.

लाभांश पर टैक्स

वित्त अधिनियम 2020 के अनुसार, जिसने डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (डीडीटी) को वापस ले लेने की स्थिति में निवेशकों के हाथों में म्यूचुअल फंड से मिलने वाले लाभांश से होने वाली आमदनी पूरी तरह से टैक्सेबल मानी गई है. इस आमदनी आयकर नियमों के तहत स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) का भुगतान करना पड़ता है. अगर किसी वित्तीय वर्ष में कुल लाभांश का भुगतान 5,000 रुपये से अधिक है, तो असेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) की ओर से 10% टीडीएस कटौती की जाती है. निवेशक आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करते समय इस टीडीएस का दावा कर सकते हैं.

इक्विटी फंड पर टैक्स

इक्विटी फंड में लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) पर बिना इंडेक्सेशन लाभ के 1 लाख रुपये से अधिक के लाभ पर 10% टैक्स लगेगा. वहीं, इक्विटी फंड में शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (एसटीसीजी) पर निवेशक के आयकर स्लैब पर ध्यान दिए बिना लाभ पर 15% कर लगेगा. 2023 के केंद्रीय बजट के बाद डेट फंड्स पर कोई इंडेक्सेशन लाभ नहीं होगा. डेट फंड्स से एलटीसीजी और एसटीसीजी पर निवेशक के लागू आयकर स्लैब दर के अनुसार कर लगाया जाता है.

इसे भी पढ़ें: नमकीन और कैंसर की दवा हो गई सस्ती, अब हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम की बारी

हाइब्रिड फंड पर टैक्स

इक्विटी-केंद्रित हाइब्रिड फंड्स में इंडेक्सेशन के बिना 1 लाख रुपये से अधिक के एलटीसीजी पर 10% और एसटीसीजी पर 15% टैक्स लगता है. डेट-केंद्रित हाइब्रिड फंड्स में इंडेक्सेशन लाभ के साथ 20% एलटीसीजी टैक्स और निवेशक के आयकर स्लैब के अनुसार एसटीसीजी टैक्स लगता है.

इसे भी पढ़ें: सीबीआई के चंगुल में आया सोना तस्करों का सरगना, यूएई से लाया गया भारत

एसआईपी में पूंजीगत लाभ पर टैक्स

सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) में म्यूचुअल फंड यूनिट्स को भुनाने के लिए टैक्स ट्रीटमेंट निर्धारित करने में पहले आओ, पहले पाओ (एफआईएफओ) नियम को अपनाया जाता है. एसआई के जरिए पहले खरीदी गई यूनिट्स और एक साल से अधिक समय तक रखी गई यूनिट्स को लॉन्ग-टर्म होल्डिंग माना जाता है. इसमें 1 लाख रुपये से कम के लाभ पर कोई टैक्स नहीं लगता. दूसरे महीने से शुरू होने वाली यूनिट्स पर फ्लैट 15% एसटीसीजी टैक्स लगता है.

इसे भी पढ़ें: टाटा स्टील का शेयर टूटा, ब्रोकरेज फर्मों ने क्यों घटाई रेटिंग?

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें