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आधे भारत के लोगों को एसआईपी के प्रकारों की नहीं है जानकारी, 1 में ही भिड़े रहते हैं लोग

SIP: सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) एक ऐसा निवेश माध्यम है, जिसके जरिए आप म्यूचुअल फंड में नियमित अंतराल पर एक निश्चित राशि निवेश कर सकते हैं. यह निवेश मासिक, तिमाही या साप्ताहिक आधार पर किया जा सकता है.

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Types of SIP: एसआईपी निवेश का एक अनुशासित और सुविधाजनक तरीका है, जो वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है. इसके विभिन्न प्रकार और लचीलापन इसे हर प्रकार के निवेशकों के लिए उपयुक्त बनाते हैं. लंबी अवधि में सही फंड का चयन और नियमित निवेश एसआईपी को और अधिक फायदेमंद बनाता है. लेकिन, ज्यादातर लोगों या यूं कहें आधा भारत के लोगों को एसआईपी के प्रकार का पता नहीं है. वे एक ही नाम एसआईपी में भिड़े रहते हैं. आइए, जानते हैं कि एसआईपी के कितने प्रकार हैं और उनके फायदे क्या-क्या हैं?

एसआईपी क्या है?

सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) एक ऐसा निवेश माध्यम है, जिसके जरिए आप म्यूचुअल फंड में नियमित अंतराल पर एक निश्चित राशि निवेश कर सकते हैं. यह निवेश मासिक, तिमाही या साप्ताहिक आधार पर किया जा सकता है. यह निवेश का एक अनुशासित और सुविधाजनक तरीका है, जो लंबे समय में अच्छा रिटर्न देने के लिए जाना जाता है.

6 प्रकार का होता है एसआईपी

  • फ्लेक्सी एसआईपी (Flexi SIP): इसमें निवेशक को हर महीने अपनी निवेश राशि को बढ़ाने या घटाने की सुविधा मिलती है. यह सुविधा निवेशक की आय और खर्च के अनुसार लचीलापन प्रदान करती है.
  • टॉप-अप एसआईपी (Top-up SIP): इसमें निवेशक अपनी मासिक एसआईपी राशि को समय-समय पर बढ़ा सकता है. यह योजना उन निवेशकों के लिए फायदेमंद है, जो अपनी आय में वृद्धि के साथ अधिक निवेश करना चाहते हैं.
  • परपेचुअल एसआईपी (Perpetual SIP): यह एक ऐसा एसआईपी है, जिसका कोई निश्चित अंत समय नहीं होता. निवेशक इसे तब तक जारी रख सकता है, जब तक वह इसे मैन्युअली बंद न करे.
  • स्टेप-अप एसआईपी (Step-up SIP): इसमें निवेशक हर साल अपनी एसआईपी राशि को एक निश्चित प्रतिशत से बढ़ाने का विकल्प चुन सकते हैं.
  • गोल-बेस्ड एसआईपी (Goal-based SIP): इसे विशेष लक्ष्यों जैसे घर खरीदना, बच्चों की शिक्षा या रिटायरमेंट के लिए डिजाइन किया जाता है.
  • माइक्रो एसआईपी (Micro SIP): यह उन निवेशकों के लिए है, जो छोटी राशि से शुरुआत करना चाहते हैं. माइक्रो एसआईपी के तहत 500 रुपये या इससे कम की राशि से निवेश शुरू किया जा सकता है. यह छोटे निवेशकों और कम आय वर्ग के लिए एक बेहतरीन विकल्प है.

एसआईपी में निवेश की प्रक्रिया

  • लक्ष्य निर्धारित करें: सबसे पहले यह तय करें कि आप निवेश क्यों करना चाहते हैं, जैसे बच्चों की शिक्षा, घर खरीदना, या रिटायरमेंट आदि.
  • म्यूचुअल फंड का चयन करें: अपने जोखिम क्षमता और निवेश अवधि के आधार पर म्यूचुअल फंड का चयन करें.
  • रजिस्ट्रेशन: निवेशक को KYC प्रक्रिया पूरी करनी होती है. इसमें आधार कार्ड, पैन कार्ड और बैंक खाते की जानकारी की जरूरत होती है.
  • एसआईपी की राशि और अवधि तय करें: आपको यह तय करना होता है कि आप कितनी राशि और कितनी अवधि तक निवेश करना चाहते हैं.
  • ऑटोमैटिक पेमेंट सेट करें: अपने बैंक खाते से ऑटो-डेबिट की सुविधा सेट करें, ताकि हर महीने निवेश आसानी से हो सके.

एसआईपी के फायदे

  • रुपये की लागत औसत (Rupee Cost Averaging): बाजार के उतार-चढ़ाव से बचने में मदद मिलती है. जब बाजार नीचे होता है, तो अधिक यूनिट खरीदी जाती हैं और जब बाजार ऊपर होता है, तो कम यूनिट खरीदी जाती हैं.
  • पावर ऑफ कम्पाउंडिंग: लंबी अवधि में निवेश बढ़ता है और रिटर्न पर मिलने वाला ब्याज भी निवेश को बढ़ाता है.
  • निवेश की अनुशासनता: एसआईपी एक अनुशासित निवेश आदत विकसित करने में मदद करता है.
  • छोटे निवेश, बड़ा लाभ: इसमें छोटी-छोटी रकम से निवेश शुरू किया जा सकता है, जो धीरे-धीरे एक बड़ी राशि में बदल सकती है.

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एसआईपी से मिलने वाले रिटर्न

एसआईपी का रिटर्न बाजार की स्थिति और फंड के प्रदर्शन पर निर्भर करता है. ऐतिहासिक रूप से इक्विटी म्यूचुअल फंड ने 12-15% का औसत वार्षिक रिटर्न दिया है. उदाहरण के लिए, यदि आप 10 साल तक 5,000 रुपये प्रति माह निवेश करते हैं और रिटर्न 12% है, तो आपका कुल निवेश 6 लाख रुपये होगा. आपको लगभग 11.6 लाख रुपये मिलेंगे. लंबी अवधि में निवेश रिटर्न बढ़ाने में मदद करता है.

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