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Gratuity payment rules : अब कांट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मचारियों को भी मिलेगाा ग्रेच्युटी का पैसा, इस नियम के तहत मिलेगा लाभ

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Gratuity payment rules : लेकिन केंद्र सरकार ने अब ग्रेच्युटी भुगतान के नियमों में बड़ा बदलाव कर दिया है जिसकी वजह से कर्मचारियों की ग्रेच्युटी की चिंता समाप्त हो गयी है.

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  • न्यूनतम सेवा अवधि की शर्त समाप्त

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  • ग्रेच्युटी भुगतान के नियमों में हुआ बड़ा बदलाव

  • अंतिम सैलरी के आधार पर कैलकुलेशन

Gratuity payment rules : पीएफ और ग्रेच्युटी का पैसा कर्मचारियों का हक है. इसलिए हर कर्मचारी यह जानना चाहता है कि उसे ग्रेच्युटी का पैसा कितना और कैसे मिलेगा. चिंता खासकर तब और बढ़ जाती है जब सेवा की अवधि कम हो.

लेकिन केंद्र सरकार ने अब ग्रेच्युटी भुगतान के नियमों में बड़ा बदलाव कर दिया है जिसकी वजह से कर्मचारियों की ग्रेच्युटी की चिंता समाप्त हो गयी है.

न्यूनतम सेवा अवधि की शर्त समाप्त

न्यूनतम सेवा अवधि (Minimum service tenure) की अब कोई शर्त नहीं होगी. पहली बार, जो कर्मचारी एक निर्धारित अवधि के लिए काम कर रहा है, उसे एक नियमित कर्मचारी की तरह ही सामाजिक सुरक्षा का अधिकार दिया गया है. फिक्स्ड टर्म का मतलब कांट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मचारियों से है. निश्चित अवधि वाले कर्मचारियों की सेवा शर्तें, वेतन और छुट्टी भी नियमित कर्मचारियों की तरह ही होंगे. इसके अतिरिक्त निश्चित अवधि वाले कर्मचारियों को प्रो राटा ग्रेच्युटी का अधिकार भी दिया गया है.

ग्रेच्युटी क्या है?

ग्रेच्युटी (Gratuity) वो राशि है जिसे कंपनी या संस्थान अपने कर्मचारियों को देता है. इसके लिए आवश्यक शर्त है कि एक संस्थान में कर्मचारी कम से कम पांच साल तक नौकरी कर चुका हो. आमतौर पर ये रकम तब दी जाती है, जब कोई कर्मचारी नौकरी छोड़ता है या उसे नौकरी से हटाया जाता है या फिर वो रिटायर होता है. इसके अलावा अगर कर्मचारी की मौत हो जाये तो भी उसके नॉमिनी ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाता है.

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कैसे तय होती है ग्रेच्युटी की राशि

गेच्युटी पाने का हकदार वही व्यक्ति है जिसने किसी संस्थान में पांच साल पूरे किये हों. ग्रेच्युटी का राशि तय करने के लिए एक निश्चित फार्मूला है जिसके अंतिम सैलरी गुणा (15/26) x (कंपनी में कितने साल काम किया.

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Posted By : Rajneesh Anand

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