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Explainer: VPN के नए नियम को लेकर क्यों परेशान है कंपनियां? यहां जानें पूरा मामला

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Explainer: भारत 270 मिलियन उपयोगकर्ताओं के साथ वीपीएन अपनाने में शीर्ष 20 देशों में शामिल है. यही वजह है कि नए कानून को लेकर वीपीएन सेवा प्रदाता परेशान हैं.

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Explainer: केंद्र सरकार के वीपीएन संबंधी नए नियमों को लेकर कुछ प्रमुख वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क सेवा प्रदाताओं ने हाल ही में घोषणा की है कि वे भारत से अपना सर्वर हटा देंगे. प्रमुख वीपीएन कंपनी Surfshark, Express और Nord समेत कई अन्य कंपनियों ने कहा है कि वे भारत की साइबर एजेंसी कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (CERTIn) के 28 अप्रैल के निर्देश पर भारत में अपने सर्वर बंद कर रही हैं.

वीपीएन अपनाने में शीर्ष 20 देशों में शामिल है भारत

एटलस वीपीएन (AtlasVPN) वैश्विक सूचकांक के अनुसार, भारत 270 मिलियन उपयोगकर्ताओं के साथ वीपीएन अपनाने में शीर्ष 20 देशों में शामिल है. यही वजह है कि वीपीएन सेवा प्रदाता परेशान हैं. नए नियम का हवाला देते हुए प्रमुख वीपीएन कंपनियों का कहना है कि अगर सरकार अपने फैसले नहीं बदलती या कोई और विकल्प नहीं देती है तो उन्हें भारत से अपना कारोबार समेटने पर मजबूर होना पड़ेगा.

जानिए क्या है वीपीएन को लेकर नया नियम

नए साइबर सुरक्षा मानदंडों का हवाला देते हुए वीपीएन सेवा प्रदाताओं के साथ-साथ डेटा केंद्रों और क्लाउड सेवा प्रदाताओं को 5 साल की अवधि के लिए अपने कंटमर्स के नाम, ईमेल आईडी, संपर्क नंबर और आईपी पते जैसी जानकारी संग्रहीत करने के लिए कहा गया है. कहा गया है कि डेटा केंद्र, क्लाउड सेवा प्रदाता और वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क सर्विस (VPN Service) प्रदान करने वाली कंपनियों को निम्नलिखित सटीक जानकारी दर्ज करने की आवश्यकता होगी, जिसे किसी भी तरह के पंजीकरण को रद्द करने या वापस लेने के बाद कानून द्वारा अनिवार्य रूप से 5 साल या उससे अधिक अवधि के लिए बनाए रखा जाना चाहिए.

जानें किन पर लागू नहीं होगा नया नियम

सरकार की ओर से जारी किए गए नए निर्देश सभी सेवा प्रदाताओं, मध्यवर्ती संस्थाएं, डेटा केंद्रों, निकाय कॉरपोरेट और सरकारी संगठनों पर लागू होते हैं. हालांकि, 12 मई को CERT-In की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि ग्राहक लॉग बनाए रखने के नियम केवल व्यक्तिगत वीपीएन ग्राहकों के लिए लागू होंगे, न कि उद्यम या कॉर्पोरेट वीपीएन पर.

कंपनियों की ओर से सामने आई ये प्रतिक्रियाएं

नए नियम पर नॉर्डवीपीएन के प्रवक्ता ने कहा है कि हम सख्त गोपनीयता नीतियों का पालन करते हैं. हम अपने ग्राहकों की गोपनीयता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. इसलिए, हम अब भारत में अपना सर्वर रखने में सक्षम नहीं हैं. वहीं, एक्सप्रेस वीपीएन ने CERT-In मानदंडों को वीपीएन के उद्देश्य के साथ असंगत करार दिया. इधर, Proton वीपीएन ने एक ट्वीट में कहा कि नए सीईआरटी-इन मानदंड गोपनीयता पर हमला है और वह अपनी नो-लॉग पॉलिसी को जारी रखेगा. वहीं, Surfshark ने कहा है कि नया कानून लागू होने से पहले वह भारत में अपनी भौतिक सेवाओं को बंद कर देगा.

वीपीएन कंपनियों के भारत छोड़ने पर सरकार ने कही ये बात

उद्योग जगत के दबाव के बावजूद इस मुद्दे पर सरकार का अब तक का रुख अडिग है. MoS इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी, राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि जो वीपीएन कंपनियां साइबर सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन नहीं करती हैं, वे भारत छोड़ने के लिए स्वतंत्र हैं. यदि आपके पास लॉग नहीं हैं, तो लॉग को बनाए रखना शुरू करें.

जानिए यूजर्स पर क्या होगा असर

बताया जा रहा है कि अगर नए नियम लागू होता हैं तो यूजर्स को वीपीएन सर्विस लेने के लिए कठोर केवाईसी नियमों का पालन करना होगा. इसमें वीपीएन इस्तेमाल का कारण बताना भी शामिल हो सकता है. इधर, इंटरनेट की आजादी से जुड़े एक्टिविस्टों का मानना है कि इससे संभवत: यूजर्स का निजी डेटा सरकार के सामने एक्सपोज हो जाएगा.

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