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गुजरात के अहमदाबाद में मिलता है सबसे सस्ता घर, चुकाना पड़ती है होम लोन की सबसे कम ईएमआई

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किफायती आवास सूचकांक इस बात की ओर संकेत करता है कि किसी शहर में रहने वाले परिवार को आमदनी के अनुपात में कितनी रकम ईएमआई के तौर पर देनी पड़ती है.

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नई दिल्ली : भारत के गुजरात के अहमदाबाद में घर सबसे सस्ता मिलता है. दिलचस्प बात यह भी है कि यहां पर घर खरीदने वालों को होम लोन की मासिक किस्त भी काफी सस्ती है. वहीं, देश की औद्योगिक राजधानी मुंबई में आवास सबसे महंगा है. कुल आमदनी के अनुपात में भुगतान किए जा रहे मासिक किस्त (ईएमआई) के आधार पर गुजरात का अहमदाबाद देश के आठ प्रमुख शहरों में घर खरीदने के लिहाज से सबसे सस्ता या किफायती बाजार है.

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नाइट फ्रैंक की ओर से बुधवार को जारी किफायती आवास सूचकांक रिपोर्ट-2021 में इस बात का जिक्र किया गया है कि कि भारत के बाजार किफायती घरों की खरीद-बिक्री के मामले में पिछले एक दशक की सबसे अच्छी स्थिति में हैं. घरों की कीमतों में आई गिरावट और होम लोन की ब्याज दरों में कटौती होने से साल 2021 में सस्तके घरों की खरीद-बिक्री बढ़ी है.

किफायती आवास सूचकांक इस बात की ओर संकेत करता है कि किसी शहर में रहने वाले परिवार को आमदनी के अनुपात में कितनी रकम ईएमआई के तौर पर देनी पड़ती है. मसलन, यह अनुपात 40 फीसदी होने का मतलब है कि उस शहर के एक परिवार को अपनी आमदनी का 40 फीसदी हिस्सा ईएमआई के रूप में चुकाना पड़ता है. इस सूचकांक के निर्धारण में 50 फीसदी से अधिक आय एवं किस्त अनुपात होने पर उस शहर को रहने के लिहाज से किफायती नहीं माना जाता है.

दिल्ली में किफायती आवास अनुपात में सुधार

नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर इलाके में आवास किफायत अनुपात सबसे ज्यादा सुधरा है. साल 2020 में यह 38 फीसदी था, लेकिन इस साल यह 28 फीसदी पर आ गया. एक साल के दौरान करीब 10 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है. इस सूची में अहमदाबाद सबसे सस्ते आवास बाजार के तौर पर सामने आया है. वहां पर एक परिवार को अपनी मासिक आमदनी का सिर्फ 20 फीसदी ही घर की किस्त या होम लोन के रूप में चुकाना पड़ाता है.

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किफायती घर के मामले में पुणे दूसरे स्थान पर

वहीं, इस सूची में पुणे 24 फीसदी के अनुपात के साथ सूची में दूसरे स्थान पर है. जबकि, मुंबई में आमदनी एवं मासिक किस्त का अनुपात 53 फीसदी होने से यह सबसे महंगा आवास बाजार बन गया है. हैदराबाद में 29 फीसदी, बेंगलूरु में 26 फीसदी और चेन्नई एवं कोलकाता में 25-25 फीसदी का अनुपात है.

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