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‘GST मुआवजा देने के लिए राज्यों के नाम पर खुद 1.1 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लेगी मोदी सरकार’

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केंद्र और कुछ गैर भाजपा शासित राज्यों के बीच विवाद का विषय बने जीएसटी क्षतिपूर्ति के मुद्दे को सुलझाने की दिशा में पहल करते हुए केंद्र सरकार ने वस्तु एवं सेवाकर (GST) राजस्व में संभावित कमी की भरपाई के लिए राज्यों की तरफ से खुद 1.1 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लेने की घोषणा की है. वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को इस संबंध में वक्तव्य जारी किया है. कोविड-19 संकट के बीच अर्थव्यवस्था में नरमी से जीएसटी कलेक्शन में गिरावट दर्ज की गयी है. इससे राज्यों के बजट पर असर पड़ा है.

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नयी दिल्ली : केंद्र और कुछ गैर भाजपा शासित राज्यों के बीच विवाद का विषय बने जीएसटी क्षतिपूर्ति के मुद्दे को सुलझाने की दिशा में पहल करते हुए केंद्र सरकार ने वस्तु एवं सेवाकर (GST) राजस्व में संभावित कमी की भरपाई के लिए राज्यों की तरफ से खुद 1.1 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लेने की घोषणा की है. वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को इस संबंध में वक्तव्य जारी किया है. कोविड-19 संकट के बीच अर्थव्यवस्था में नरमी से जीएसटी कलेक्शन में गिरावट दर्ज की गयी है. इससे राज्यों के बजट पर असर पड़ा है.

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बता दें कि राज्यों ने वैट समेत अन्य स्थानीय कर्ज के एवज में जीएसटी को स्वीकार किया था. उन्होंने जुलाई 2017 में नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था इस शर्त पर स्वीकार की थी कि राजस्व संग्रह में किसी भी प्रकार की कमी होने पर उसकी भरपाई अगले 5 साल तक केंद्र सरकार करेगी. इस कमी को पूरा करने के लिए बाजार से कर्ज लेने का विकल्प राज्यों को दिया गया था, लेकिन कुछ राज्य इससे सहमत नहीं थे.

वित्त मंत्रालय ने बयान में कहा कि राज्यों को मौजूदा कर्ज सीमा के अलावा 1.1 लाख करोड़ रुपये का ऋण लेने को लेकर विशेष व्यवस्था की पेशकश की गयी थी. इसमें कहा गया है कि विशेष व्यवस्था के तहत जीएसटी राजस्व संग्रह में अनुमानित 1.1 लाख करोड़ रुपये (यह मानते हुए कि सभी राज्य इसमें शामिल होंगे) की राजस्व क्षतिपूर्ति के लिए भारत सरकार उपयुक्त किस्तों में कर्ज लेगी. मंत्रालय ने कहा कि इस तरह जो कर्ज लिया जाएगा, उसे जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर जारी करने के बदले में राज्यों को दिया जाता रहेगा.

हालांकि, विज्ञप्ति में यह नहीं बताया गया है कि इस कर्ज राशि पर मूल और ब्याज का भुगतान कौन करेगा? वित्त मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि राज्यों की खातिर केंद्र सरकार की ओर से कर्ज लेने पर पूरी राशि के लिए एक ही ब्याज दर को सुनिश्चित किया जा सकेगा और इस तरह के कर्ज का भुगतान करने में भी सुविधा होगी.

बयान में कहा गया है कि इस कर्ज से भारत सरकार के राजकोषीय घाटे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. जो राशि ली जाएगी, वह राज्य सरकारों की पूंजी प्राप्ति में परिलक्षित होगी और उनके राजकोषीय घाटों के वित्त पोषण का हिस्सा होगी. इसमें कहा गया है कि इस कदम से सरकारों (राज्य एवं केंद्र) के कर्ज में बढ़ोतरी नहीं होगी. जिन राज्यों को कर्ज की इस विशेष व्यवस्था से लाभ होगा, वे राज्य संभवत: राज्य सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 2 फीसदी अतिरिक्त कर्ज की सुविधा के तहत कम कर्ज उठाएंगे. आत्म निर्भर भारत पैकेज के तहत राज्यों को कर्ज लेने की सीमा उनके जीएसडीपी का 3 फीसदी से बढ़ाकर 5 फीसदी कर दी गई थी.

जीएसटी लागू करते हुए जुलाई 2017 में राज्यों को नई कर व्यवस्था के क्रियान्वन से अगले 5 साल तक 14 फीसदी वृद्धि के आधार पर राजस्व का वादा किया गया था. इसमें किसी प्रकार की कमी की भरपाई, विलासिता और समाज के नजरिये से अहितकर वस्तुओं पर जीएसटी उपकर लगाकर पूरा करने का प्रस्ताव किया गया था, लेकिन पिछले वित्त वर्ष से अर्थव्यवस्था में नरमी की वजह से जीएसटी संग्रह में कमी के चलते राज्यों की राजस्व क्षतिपूर्ति के लिए यह राशि कम पड़ रही है.

इसकी भरपाई के लिए केंद्र ने राज्यों को बाजार से कर्ज लेने का प्रस्ताव किया था. यह कर्ज भविष्य में उपकर से होने वाली प्राप्ति एवज में लिया जा सकता था. इससे पहले वित्त मंत्रालय ने कहा था कि 21 राज्यों ने कर्ज लेने के दो विकल्प में से पहले विकल्प का चयन किया है. हालांकि, कांग्रेस, वाम दल और तृणमूल कांग्रेस शासित राज्य सरकारों ने कर्ज लेने का कोई भी विकल्प स्वीकार नहीं किया था.

गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान कोविड-19 महामारी के चलते लागू लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था में गिरावट से जीएसटी संग्रह में बड़ी कमी आने का अनुमान है. चालू वित्त वर्ष के दौरान सभी राज्यों के राजस्व में यह कमी 2.35 लाख करोड़ रुपये तक रहने का अनुमान लगाया गया है.

राजस्व की भरपाई के लिए केंद्र सरकार ने अगस्त में राज्यों के समक्ष दो विकल्प रखे. राज्य या तो रिजर्व बैंक द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाले स्पेशल विंडो से 97,000 करोड़ रुपये (अब 1.1 लाख करोड़ रुपये) कर्ज लेकर भरपाई करें या फिर पूरी 2.35 लाख करोड़ रुपये की राशि को बाजार से उठाएं.

केन्द्र ने राज्यों को इस कर्ज के भुगतान के लिए विलासिता और गैर- प्राथमिकता वाली अहितकर वस्तुओं पर लगने वाले जीएसटी उपकर को 2022 के बाद भी जारी रखने का प्रस्ताव किया है, ताकि राज्य इससे प्राप्त राजस्व से अपने कर्ज का भुगतान कर सकें. कुछ राज्यों के आग्रह पर 97,000 करोड़ रुपये के अनुमान को बढ़ाकर 1.10 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है.

केन्द्र सरकार का मानना है कि चालू वित्त वर्ष में जीएसटी क्रियान्वयन की वजह से 1.10 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है, जबकि कोविड- 19 सहित अन्य कारणों से इस वित्त वर्ष में राज्यों के राजस्व में कुल 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी आने का अनुमान है. इसी सिलसिले में राजस्व भरपाई के लिए दो विकल्प राज्यों के समक्ष रखे गए थे.

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