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‘मार्च 2021 तक 12.5 फीसदी तक बढ़ सकता है देश के बैंकों का एनपीए’

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रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि दबाव परीक्षण यह संकेत देता है कि सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का सकल एनपीए अनुपात मार्च 2020 के 8.5 फीसदी से बढ़कर मार्च 2021 में 12.5 फीसदी तक हो सकता है. यह आकलन तुलनात्मक परिदृश्य के आधार पर किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, अगर वृहत आर्थिक माहौल और खराब होता है, तो ऐसे में बहुत गंभीर दबाव वाले परिदृश्य में अनुपात बढ़कर 14.7 फीसदी हो सकता है.

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मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में यह कहा गया है कि बैंकों की सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (ग्रॉस एनपीए) तुलनात्मक परिदृश्य के अंतर्गत चालू वित्त वर्ष के अंत तक बढ़कर 12.5 फीसदी हो सकती है. यह मार्च 2020 में 8.5 फीसदी थी. रिपोर्ट के अनुसार, बहुत गंभीर दबाव वाले परिदृश्य में सकल एनपीए मार्च 2021 तक 14.7 फीसदी तक जा सकता है.

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रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि दबाव परीक्षण यह संकेत देता है कि सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का सकल एनपीए अनुपात मार्च 2020 के 8.5 फीसदी से बढ़कर मार्च 2021 में 12.5 फीसदी तक हो सकता है. यह आकलन तुलनात्मक परिदृश्य के आधार पर किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, अगर वृहत आर्थिक माहौल और खराब होता है, तो ऐसे में बहुत गंभीर दबाव वाले परिदृश्य में अनुपात बढ़कर 14.7 फीसदी हो सकता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि वृहत आर्थिक झटकों की पृष्ठभूमि में देश के बैंकों की मजबूती का परीक्षण किया गया. यह परीक्षण वृहत दबाव वाले परीक्षण के जरिये किया गया. इसमें इस बात का आकलन किया गया है कि जो भी झटके या दबाव होंगे, उसका बैंकों के बही-खातों पर क्या असर होगा. इसके अलावा, सकल एनपीए और जोखिम भारांश संपत्ति अनुपात के रूप में पूंजी (सीआरएआर) का आकलन किया गया. इसमें तुलनात्मक आधार के साथ तीन परिस्थितियों (मध्यम, गंभीर और बहुत गंभीर) के अंतर्गत परिदृश्य की गणना की गयी.

रिपोर्ट के अनुसार, तुलनात्मक परिदृश्य का आकलन जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि, जीडीपी के अनुपात के रूप में सकल राजकोषीय घाटा और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति समेत अन्य वृहत आर्थिक चरों के अनुमानित मूल्यों के आधार पर किया गया है.

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Posted By : Vishwat Sen

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