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सरकार की नजर अब किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर, सीईए सुब्रमण्यम ने यह कहकर चौंकाया

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नयी दिल्ली : नोटबंदी के बाद और देश के पांच राज्यों में चुनाव का आगाज होने के साथ ही देश के गरीब-किसानों को साधने की फिराक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी के शुरुआत में ही पेश केंद्रीय आम बजट में किसानों के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाओं की घोषणा की है. इसके साथ ही, सरकार […]

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नयी दिल्ली : नोटबंदी के बाद और देश के पांच राज्यों में चुनाव का आगाज होने के साथ ही देश के गरीब-किसानों को साधने की फिराक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी के शुरुआत में ही पेश केंद्रीय आम बजट में किसानों के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाओं की घोषणा की है. इसके साथ ही, सरकार ने पिछले वित्त वर्ष 2016-17 के आम बजट में भी किसानों की आमदनी को दोगुनी करने के लिए अनेक योजनाओं का ऐलान किया था, मगर अब सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) ने गुरुवार को किसानों के लिए सरकार की ओर तय होने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर विवादित बयान देकर सबको चौंका दिया है. गुरुवार को उन्होंने चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा कि किसानों के लिए खाद्यान्न पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) हमेशा जारी नहीं रहना चाहिए, बल्कि कोई एक्सपायरी डेट होनी चाहिए.

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गुरुवार को यहां एक कार्यक्रम में मुख्य आर्थिक सलाहकार सुब्रमण्यम ने कहा कि एमएसपी का इस्तेमाल किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए किया गया. यह सफल रहा. अब हमारे यहां खाद्यान्न या अनाज आदि की कोई कमी नहीं है. सुब्रमणियम ने कहा कि लेकिन इन सब चीजों के साथ दिक्कत यह है कि इनमें से अनेक कारगर रहीं, वे हमेशा नहीं रहनी चाहिए. कोई तो एक्सपायरी डेट होनी चाहिए.

क्या है न्यूनतम समर्थन मूल्य

न्यूनतम समर्थन मूल्य भारत सरकार की ओर से कृषि उत्पादकों को कृषि उत्पादों के मूल्यों में किसी तीव्र गिरावट के विरुद्ध सुरक्षित किये जाने वाले बाजार हस्तक्षेप का एक रूप है. सरकार की ओर से कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की अनुशंसाओं के आधार पर कुछ फसलों के बुआई सत्र की शुरुआत में न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की जाती है. यह सरकार द्वारा उत्पादकों-किसानों को अत्यधिक उत्पादन वर्षों में मूल्यों में अत्यधिक गिरावट के विरुद्ध सुरक्षित करने के लिए तय किया गया मूल्य है. न्यूनतम समर्थन मूल्य का मुख्य उद्देश्य किसानों का मजबूरन सस्ते कीमत पर फसल बिक्री करने से बचाना और सार्वजनिक वितरण के लिए खाद्यान्न की अधिप्राप्ति करना है.

यदि किसी फसल के लिए बाजार मूल्य बंपर उत्पादन होने या बाजार में अधिकता होने के कारण घोषित मूल्य की तुलना में अत्यधिक गिर जाते हैं, तो सरकारी एजेंसियां किसानों द्वारा प्रस्तुत की गयी संपूर्ण मात्रा को घोषित किये गये न्यूनतम मूल्य पर खरीद लेती है. फिलहाल, सरकार की ओर से 25 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की जाती है, जिनमें सात अनाज (धान, गेहूं, जौ, ज्वार, बाजरा, मक्का और रागी ), पांच तरह की दालें (चना, अरहर, मूंग, उड़द और मसूर ), आठ तिलहन (मूंगफली, सरसों, तोरिया, सोयाबीन के बीज, कुसुंभी और खुरसाणी), नारियल, कच्चा कपास, कच्चा जूट, गन्ना और वर्जीनिया फ्लू उपचारित तंबाकू आदि सम्म्लित हैं.

न्यूनतम समर्थन मूल्य के सकारात्मक प्रभाव

न्यूनतम समर्थन मूल्य की नयी तकनीक को किसानों में लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका रहती है. यह एक सामाजिक कदम के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि इसके माध्यम से निर्धन लोगों के बीच आय का हस्तांतरण होता है. न्यूनतम समर्थन मूल्य से कृषि के व्यापार शर्तो को उचित स्तर पर बनाये रखा जा सकता है. इसके माध्यम से क्रॉपिंग पैटर्न को ऐच्छिक दिशा में ले जाया जा सकता है. भारत में खाद्य सुरक्षा से निपटने के लिए गेहूं, चावल आदि की दिशा में क्रॉपिंग पैटर्न में बदलाव आया है. न्यूनतम समर्थन मूल्य के माध्यम से खाद्यान्न और अन्य फसलों की बाजार कीमत को स्थिर रखा जा सकता है.

न्यूनतम समर्थन मूल्य के नकारात्मक प्रभाव

न्यूनतम समर्थन मूल्य के कारण मोटे अनाज और कुछ दालों पर विपरीत असर पड़ा है. इसका लाभ कुछ विशेष क्षेत्र और कुछ विशेष लोगों को अधिक मिला है. सरकार की ओर से कुछ विशेष राज्यों मसलन, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र आदि में अधिग्रहण के कार्यक्रम को विशेष वरियता दी गयी है. इससे प्रादेशिक असंतुलन के बढ़ने के साथ ही आय की विषमताओं में बढ़ोतरी हुई है. न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ उठाने के लिए सार्वजनिक संस्थाओं की पर्याप्त मात्रा देश भर में उपलब्धता अनिवार्य है. लेकिन यह देखा यह जा रहा है कि सार्वजनिक संस्थाओं कि कमी के कारण अधिग्रहण का कार्य मंडी स्तर पर आढ़तियों को दे दिया जाता है. इससे छोटे किसान शोषण के शिकार हो जाते हैं.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

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