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जानिए, बजट से पहले ये कारक कैसे बदल सकते हैं बाजार की चाल

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नयी दिल्ली : देश भर के लोगों की नजरें इस समय भाजपा नीत राजग सरकार के वित्त मंत्री अरुण जेटली की ओर से संसद में पेश किये जाने वाले वित्त वर्ष 2017-18 के आम बजट पर टिकी हुई हैं. लोग अपने-अपने नफा-नुकसान को लेकर असमंजस में हैं. यही वजह है कि बीते एक महीने के […]

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नयी दिल्ली : देश भर के लोगों की नजरें इस समय भाजपा नीत राजग सरकार के वित्त मंत्री अरुण जेटली की ओर से संसद में पेश किये जाने वाले वित्त वर्ष 2017-18 के आम बजट पर टिकी हुई हैं. लोग अपने-अपने नफा-नुकसान को लेकर असमंजस में हैं. यही वजह है कि बीते एक महीने के दौरान बजट में कुछ बेहतर होने की आस में बंबई शेयर बाजार का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स ने करीब 2000 अंकों तक बढ़त बनायी है. हालांकि, वैश्विक बाजारों के सकारात्मक रुख के कारण पिछले सप्ताह सेंसेक्स करीब 3.1 फीसदी की बढ़त के साथ बंद हुआ, जबकि निफ्टी ने भी करीब 3.5 फीसदी की बढ़त दर्ज करायी.

इतना ही नहीं, विदेशी निवेशकों ने भी बजट में कुछ बेहतर होने की आस में इस महीने शेयर बाजारों में करीब 2,139 करोड़ रुपये का निवेश किया. हालांकि, विदेशी निवेशकों का यह निवेश पिछले साल के नवंबर महीने में करीब 18,224 करोड़ और दिसंबर महीने में 8,176 करोड़ रुपये की निकासी से कहीं बेहतर माना जा रहा है.

हालांकि, अंग्रेजी के अखबार इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर में यह कहा गया है कि यह सप्ताह निवेशकों के लिए काफी व्यस्तता भरा सप्ताह हो सकता है. फिर भी बाजार की अस्थिरता से इनकार भी नहीं किया जा सकता है. वहीं, विश्लेषकों का यह भी कहना है कि लंबी अवधि से बाजार में अस्थिरता का माहौल बरकरार है और निवेशकों को बाजार में गिरावट का लाभ उठाते हुए निवेश करना चाहिए.

खुदरा वितरण क्षेत्र की कंपनी रिलिगेयर सिक्योरिटी के प्रेसिडेंट जयंत मांगलिक का कहना है कि हाल ही में हुई वृद्धि के बाद बाजार में हम ठहराव देख सकते हैं, लेकिन संभावना यह भी है कि केंद्रीय बजट के बाद इसमें कुछ सुधार होने के आसार हैं. उन्होंने कारोबारियों और निवेशकों को सुझाव देते हुए कहा है कि बाजार में समेकित मुनाफावसूली के ताजा हालातों पर नजर बनाये रखते हुए हमें बाजार में सुधार का इंतजार करना चाहिए.
इन तमाम कारकों के अलावा पांच ऐसे अन्य कारक भी हैं, जो इस सप्ताह बाजार की चाल की दिशा बदल सकते हैं :

गार के स्पष्टीकरण से आंशिक तौर पर बाजार हो सकता है प्रभावित : गौर करने वाली बात यह है कि विदेशी निवेशक कभी भी बाजार की अनिश्चितता और अस्थिरता को पसंद नहीं करते. बीते सप्ताह शुक्रवार को आयकर विभाग की ओर से जेनरल एंटी एवॉयडेंस रूल (गार) को लेकर दिया गया स्पष्टीकरण सही दिशा में उठाया गया कदम है. आयकर विभाग का यह कदम विदेशी निवेशकों को राहत पहुंचा सकता है, जो पी-नोट्स के जरिये भारतीय शेयर बाजार में निवेश करते हैं. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने बीते शुक्रवार को यह साफ कर दिया है कि गार वैसे विदेशी निवेशकों के लिए नुकसानदायक नहीं होगा, जो अपने निवेश को कर अपवंचना के लिए उपयोग नहीं करने की बात को साबित कर देते हों.

आर्थिक सर्वे और केंद्रीय बजट 2017 : इसी सप्ताह सरकार की ओर से आर्थिक सर्वे और केंद्रीय बजट भी पेश किया जानना है. वित्त मंत्री की ओर से मंगलवार 31 जनवरी को आर्थिक सर्वे और बुधवार 1 फरवरी को केंद्रीय आम बजट 2017 पेश किया जायेगा. बाजार के कुछ विश्लेषकों का यह मानना है कि वित्त मंत्री द्वारा आम बजट पेश किये जाने के बाद नोटबंदी के बाद से ही परेशानियों का सामना कर रहे देश के लोगों को राहत मिल सकती है. संभावना यह भी जाहिर की जा रही है कि केंद्रीय बजट पेश करने के बाद विदेशी निवेशकों के निवेश में भी गिरावट आने की आशंका न के बराबर है.

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्रीय बजट से देश के लोगों को काफी सारी उम्मीदें बंधी हैं. हो सकता है कि इस बजट में आम आदमी को कर रियायत प्रदान की जाये. इसके साथ ही, बुनियादी ढांचा विकास और रक्षा क्षेत्र के बजट में बढ़ोतरी की भी संभावना है. संभावना यह भी जाहिर की जा रही है कि बजट के पहले सरकार की ओर से वित्तीय घाटे के लक्ष्य को लेकर की जाने वाली कुछ घोषणाओं के बाद निफ्टी 50 में रैली आ सकती है. मुख्य तौर पर सरकार की यह घोषणाएं निवेशकों की अवधारणा को काफी हद तक प्रभावित कर सकती हैं.

जनवरी महीने में हुई वाहनों की बिक्री : बाजार पर जनवरी महीने में ऑटो सेक्टर के घोषित नतीजों का भी असर दिखाई पड़ने की संभावना है और ये भी उसकी चाल पर असर डाल सकते हैं. खासकर शेयर बाजारों पर मारुति-सुजुकी, हीरो मोटो कॉर्प और अशोक लीलैंड के नतीजों का भी असर पड़ सकता है.

अमेरिकी फेडरल की ब्याज दरों पर टिकी है नजर : भारतीय शेयर बाजारों की नजर अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की ओर से तय की जाने वाली ब्याज दरों पर भी टिकी हुई है. अमेरिकी अर्थव्यवस्था की समीक्षा और 2017 में ब्याज दरों को तय करने के लिए 31 जनवरी और 1 फरवरी को फेडरल रिजर्व की बैठक होगी. इसका असर भी शेयर बाजारों पर देखने को मिलेगा.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

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