नयी दिल्ली: वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को एक अप्रैल 2017 से लागू करने की दिशा में कदम बढाते हुये केंद्र और राज्य आज जीएसटी दर तय करने और दूसरे विधायी कार्यों को पूरा करने की समयसारीणी को लेकर सहमत हो गये. हालांकि, इस नई व्यवस्था के तहत कर लगाने की न्यूनतम कारोबार सीमा तय करने […]
नयी दिल्ली: वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को एक अप्रैल 2017 से लागू करने की दिशा में कदम बढाते हुये केंद्र और राज्य आज जीएसटी दर तय करने और दूसरे विधायी कार्यों को पूरा करने की समयसारीणी को लेकर सहमत हो गये. हालांकि, इस नई व्यवस्था के तहत कर लगाने की न्यूनतम कारोबार सीमा तय करने को लेकर उनके बीच मतभेद बरकरार हैं. नवगठित जीएसटी परिषद की आज हुई पहली बैठक में तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने अपनी बात रखने के लिये ज्यादा तवज्जो देने की बात कही. उन्होंने एक राज्य एक मत के सिद्धांत को उपयुक्त नहीं माना और कहा कि इस व्यवस्था में छोटे राज्यों को भी विनिर्माण आधार वाले बडे राज्यों के बराबर ही मत का अधिकार होगा.
हालांकि, राज्यों की इस मांग को बहुमत का साथ नहीं मिला, लेकिन इस पहली बैठक में इस बात को लेकर सहमति नहीं बन पाई कि वस्तु एवं सेवाकर से छूट की कारोबार सीमा कितनी होनी चाहिये। कुछ राज्य 10 लाख रपये सालाना तक का कारोबार करने वाले व्यापारियों को इससे छूट देने के पक्ष में थे जबकि दिल्ली सहित कई राज्यों ने यह सीमा 25 लाख रपये वार्षिक रखे जाने की बात कही. ज्यादातर राज्य उंची छूट सीमा के पक्ष में थे. राज्यों के अनुसार कुल कर संग्रह में व्यापारियों से मिलने वाले कर का योगदान मात्र 2 प्रतिशत तक ही होता है. जीएसटी परिषद की बैठक कल भी जारी रहेगी.
वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली इस परिषद में 29 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि शामिल हैं. आज शुरु हुई बैठक में जीएसटी के बारे में नियमों का मसौदा वितरित किया गया। बैठक में जीएसटी छूट सीमा तय करने और क्षतिपूर्ति नियमों पर विचार विमर्श हुआ. वित्त मंत्री अरण जेटली ने बैठक के बाद संवाददाताओं को जानकारी देते हुये कहा कि एक अप्रैल 2017 से जीएसटी लागू करने की समयसीमा को ध्यान में रखते हुए विभिन्न कायोंर् के लिये समयसारिणी तय की गयी.
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