नयी दिल्ली: रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने आज स्वीकार किया कि उनके कार्यकाल के दौरान केंद्रीय बैंक की ‘कार्यवाही या निष्क्रियता’ मौजूदा फंसे कर्ज की समस्या का एक कारण हो सकता है. उन्होंने कहा कि उन्हें उन मुद्दों का समाधान करना चाहिए था.सुब्बाराव ने यहां आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘हममें से […]
नयी दिल्ली: रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने आज स्वीकार किया कि उनके कार्यकाल के दौरान केंद्रीय बैंक की ‘कार्यवाही या निष्क्रियता’ मौजूदा फंसे कर्ज की समस्या का एक कारण हो सकता है. उन्होंने कहा कि उन्हें उन मुद्दों का समाधान करना चाहिए था.सुब्बाराव ने यहां आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘हममें से किसी ने नहीं सोचा था कि एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति या फंसा कर्ज) इतनी बडी समस्या हो जाएगी. पीछे मुडकर देखूं तो मेरा मानना है कि मुझे एनपीए की समस्या का समाधान करना चाहिए था.यहां तक के जब मैं अपनी किताब लिख रहा था, मैं बहुत आश्वस्त नहीं था कि मैंने सार्वजनिक परिचर्चा में कुछ जोडा है.
इसके अलावा मैं यह कहूंगा कि मौजूदा बैंकिंग संकट मेरे कार्यकाल के दौरान रिजर्व बैंक की कार्यवाही या निष्क्रियता का नतीजा है.” उन्होंने कहा, ‘‘..अब जब मैं पीछे मुडकर देखता हूं तो मुझे लगता है कि मुझे उन मुद्दों का समाधान करना चाहिए था.” यह पूछे जाने पर कि क्या दुनिया में लेहमैन ब्रदर्स जैसा संकट फिर से होगा, पूर्व गवर्नर ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि लेहमैन संकट जैसा मामला संभवत: नहीं होगा लेकिन अन्य संकट निश्चित रुप से संभव है.” सुब्बाराव ने हाल में ‘हू मूव्ड माई इंटरेस्ट रेट’ नाम से किताब लिखी है.उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय से रिजर्व जाने के बाद चीजों को देखने का नजरिया बदल गया
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