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पेट्रोल, डीजल को लेकर सरकार का बड़ा फैसला, पढ़ें

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नयी दिल्ली : सरकार संभवत: निकट भविष्य में पेट्रोल, डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती नहीं करेगी. मुख्य आर्थिक सलाकार द्वारा सौंपे गये दृष्टि पत्र में सलाह दी गयी है कि जब तेल कीमतें 15 डॉलर प्रति बैरल तक चढ़े, तो यहां कीमतों के मोरचे पर यथास्थिति कायम रखी जाये. मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम […]

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नयी दिल्ली : सरकार संभवत: निकट भविष्य में पेट्रोल, डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती नहीं करेगी. मुख्य आर्थिक सलाकार द्वारा सौंपे गये दृष्टि पत्र में सलाह दी गयी है कि जब तेल कीमतें 15 डॉलर प्रति बैरल तक चढ़े, तो यहां कीमतों के मोरचे पर यथास्थिति कायम रखी जाये. मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने पिछले महीने कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के परिदृश्य पर वित्त मंत्रालय को दृष्टि पत्र सौंपा था. सूत्रों ने कहा कि सीईए ने कच्चे तेल के दाम 65 डॉलर प्रति बैरल पहुंचने तक यथास्थिति कायम रखने का सुझाव दिया है.

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फिलहाल तेल 49 डॉलर प्रति बैरल

उनके मुताबिक फिलहाल तेल 49 डॉलर प्रति बैरल पर है. उनका मानना है कि 65 डॉलर प्रति बैरल से अधिक पर पड़ने वाले बोझ को उपभोक्ताओं तथा सरकार को मिलकर उठाना चाहिए. उपभोक्ताओं को जहां ऊंची खुदरा कीमतों का भुगतान करना चाहिए वहीं सरकार दोनों वाहन ईंधनों पर उत्पाद शुल्क में कटौती करनी चाहिए. सीईए ने दृष्टि पत्र में कहा कि यदि जुलाई से साल के अंत तक कच्चे तेल का दाम औसतन 65 डॉलर प्रति बैरल रहता है, तो वित्त वर्ष के लिए आधा बोझ 46,000 करोड रुपये या सकल घरेलू उत्पाद का 0.3 प्रतिशत बैठेगा.

रिपोर्ट में दिया गया सुझाव

इसमें कहा गया है कि यदि 50:50 का बोझ उठाने की व्यवस्था का पालन किया जाता है, तो कच्चे तेल पर प्रत्येक अतिरिक्त 5 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी पर खुदरा कीमतों में 2 से 2.1 रुपये की बढ़ोतरी होगी. उत्पाद शुल्क में प्रत्येक एक रुपये की कटौती पर पूरे साल के लिए सरकार को पेट्रोल पर 3,500 करोड़ रुपये तथा डीजल पर 9,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा. सूत्रों के अनुसार सीईए का मानना है कि इस रुख का राजनीतिक असर भी होता है. लोगों के बीच यह अवधारणा बनती है कि जब कीमतें घट रही हैं तो सरकार उत्पाद शुल्क बढ़ा देती है, लेकिन दाम बढ़ने पर वह उत्पाद शुल्क घटाती नहीं है.

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