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EPS के बदल गए हैं नियम, जानिए कौन-कौन हो सकता है इस पेंशन स्कीम में शामिल और कैसे करेंगे गुणा-भाग

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Employee pension scheme (EPS) : कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) एक सामाजिक सुरक्षा योजना है. इसका संचालन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) करता है. योजना के तहत 58 साल की उम्र में रिटायर होने के बाद संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को पेंशन मिलती है. हालांकि, इस योजना का लाभ सिर्फ तभी लिया जा सकता है, जब कर्मचारी ने कम से कम 10 साल तक नौकरी की हो. इसमें लगातार नौकरी करना जरूरी नहीं है.

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Employee pension scheme (EPS) : कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) एक सामाजिक सुरक्षा योजना है. इसका संचालन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) करता है. योजना के तहत 58 साल की उम्र में रिटायर होने के बाद संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को पेंशन मिलती है. हालांकि, इस योजना का लाभ सिर्फ तभी लिया जा सकता है, जब कर्मचारी ने कम से कम 10 साल तक नौकरी की हो. इसमें लगातार नौकरी करना जरूरी नहीं है.

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ईपीएफओ की ओर से ईपीएस को वर्ष 1995 में लॉन्च किया गया था, जिसमें तत्कालीन और नए ईपीएफ सदस्यों को शामिल होने की अनुमति थी, लेकिन बाद में इस योजना में बदलाव कर दिया गया. नये नियम के अनुसार, यदि कोई कर्मचारी 1 सितंबर 2014 के बाद कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) योजना में शामिल हुआ है और उसकी सैलेरी 15000 रु से अधिक है, तो वह ईपीएस खाता नहीं खोल सकता.

सरकार की तरफ से 22 अगस्त 2014 को जारी की गयी अधिसूचना के माध्यम से ईपीएफ और ईपीएस योजनाओं से संबंधित नियमों में संशोधन का ऐलान किया था. 1 सितंबर, 2014 से प्रभावी नियमों के मुताबिक योजना में दो बदलाव किए गए.

नियम में ऐसे किया गया है बदलाव

भविष्य निधि (पीएफ) योजना में शामिल होने के लिए मासिक वेतन सीमा को 6,500 रुपये प्रति महीने से बढ़ाकर 15,000 रुपये प्रति महीने कर दिया गया है. दूसरा, उन लोगों को पेंशन योजना में शामिल होने से रोक दिया गया, जिनका मासिक वेतन योजना में शामिल होने के समय 15,000 रुपये से अधिक था. ईपीएस योजना के उद्देश्य से सैलेरी में मूल वेतन और महंगाई भत्ता (डीए) को जोड़ा जाता है. इसलिए संशोधित नियमों के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति का मूल वेतन और डीए मिला कर 15,000 रुपये प्रति महीने से अधिक है, तो वह ईपीएस योजना में शामिल होने के लिए पात्र नहीं होगा.

ईपीएस से कैसे जुड़ेंगे?

  • आपको ईपीएफओ का सदस्य होना जरूरी है.

  • 10 साल नौकरी किया जाना अनिवार्य हो.

  • 58 साल की आयु जरूरी है.

  • आप 50 वर्ष की आयु होने पर कम दर पर अपना ईपीएस निकाल सकते हैं.

  • आप दो साल यानी 60 साल की उम्र तक के लिए अपनी पेंशन को टाल सकते हैं, जिसके बाद आपको हर साल 4 फीसदी की अतिरिक्त दर से पेंशन मिलेगी.

ईपीएस के क्या हैं फायदे?

  • योजना का सदस्य 58 साल की उम्र में रिटायर होने के बाद पेंशन लाभ के लिए पात्र हो जाता है.

  • यदि कोई सदस्य 58 साल की उम्र से पहले 10 साल तक सेवा में नहीं रहा हो, तो वह फॉर्म 10सी भरकर 58 साल की उम्र होने पर पूरी राशि निकाल सकता है, मगर उसे सेवानिवृत्ति के बाद मासिक पेंशन नहीं मिलेगी.

  • ईपीएफओ का कोई सदस्य जो दुर्भाग्यवश पूरी तरह और स्थायी रूप से विकलांग हो जाए, तो उसे मासिक पेंशन मिलेगी, चाहे उसने जरूरी 10 साल नौकरी नहीं किया हो.

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कैसे करें गुणा-भाग?

  • रिटायरमेंट के बाद आपको ईपीएस योजना के तहत मासिक पेंशन कितना मिलेगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपका पेंशन योग्य वेतन कितना है और

  • आपने कितने साल तक पेंशन योग्य सेवा दी है. किसी भी पीएफ खाताधारक सदस्य की मासिक पेंशन राशि का कैलकुलेशन पेंशन = सैलरी X नौकरी के साल/70 के आधार पर किया जाता है.

  • किसी भी पीएफ खाताधारक का पेंशन योग्य वेतन उसके पिछले 12 महीनों के मासिक वेतन का औसत होता है. वहीं, ईपीएफओ सदस्य की वास्तविक सेवा अवधि ही पेंशन योग्य सेवा के रूप में मानी जाती है. पेंशन योग्य सेवा अवधि की गणना के समय विभिन्न नियोक्ताओं और कंपनियों में की गई नौकरी की अवधि को जोड़ा जाता है.

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Posted By : Vishwat Sen

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