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ट्राई ने नेट न्यूट्रेलिटी के पक्ष में लिया फैसला, फेसबुक को लगा तगड़ा झटका

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नयी दिल्ली : टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने आज अहम फैसला लेते हुए नेट न्यूट्रेलिटी के पक्ष में अपना फैसला सुना दिया. इस फैसले से फेसबुक की उस मुहिम को बड़ा झटका लगा. फेसबुक फ्री बेसिक के नाम से एक मुहिम चला रहा था जिसमें नेट न्यूट्रेलिटी के विरोध में लोगों को जोड़ने […]

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नयी दिल्ली : टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने आज अहम फैसला लेते हुए नेट न्यूट्रेलिटी के पक्ष में अपना फैसला सुना दिया. इस फैसले से फेसबुक की उस मुहिम को बड़ा झटका लगा. फेसबुक फ्री बेसिक के नाम से एक मुहिम चला रहा था जिसमें नेट न्यूट्रेलिटी के विरोध में लोगों को जोड़ने की कोशिश की जा रही थी. इसके लिए फेसबुक ने लोगों को ट्राई तक अपनी बात पहुंचाने के लिए फेसबुक पर सुविधाएं भी दी थी. लेकिन इस पूरी मुहिम का फायदा फेसबुक को नहीं मिला. ट्राई के इस फैसले के बाद अब मोबाइल कंपनियां अलग- अलग टैरिफ की पेशकश नहीं कर पायेंगी जिसमें इंटरनेट के कुछ खास वेबसाइट को खोलने के लिए सुविधाएं मिलती थी.

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टेलीकॉम कंपनियां भी फ्री बेसिक के पक्ष में भी इसमें उन्होंने उपभोक्ताओं को खास ऑफर देने की योजना बनायी थी. ट्राई के इस फैसले के बाद कंपनियों की योजनाएं अब बेकार हो गयी. मार्क जुकरबर्ग ने भारत आकर फ्री बेसिक से मिलने वाली सुविधाओं को सार्वजनिक रूप से जाहिर किया था जिसमें उन्होंने बताया था कि गांव के लोगों को इंटरनेट का इस्तेमाल करने का मौका मिलेगा और ग्रामीण भारत भी शहरों की तरह इंटरनेट का इस्तेमाल करके विकास कर पायेगा. फेसबुक की योजना थी कि ग्रामीणों को मुफ्त इंटरनेट का इस्तेमाल करने दिया जायेगा.
नेट न्यूट्रेलिटी और फ्री बेसिक को लेकर सोशल मीडिया पर भी एक नयी जंग छिड़ गयी थी लोगों ने ट्राई को अपनी – अपनी राय से अवगत कराने के लिए एक बड़ा अभियान चलाया था. ट्राई भी लोगों की इस प्रतिक्रिया के बाद दबाव में थी और पूरे रिसर्च के बाद ट्राई ने यह फैसला लिया है. ट्राई के चेयरमैन आरएस शर्मा ने इस संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि अगर कोई सर्विस प्रोवाइडर इसे नहीं मानता है तो उससे टैरिफ प्लान वापस लेने कहा जाएगा. निर्देश के उल्लंघन की तारीख से ही उस पर 50 हजार रुपये रोजाना की दर से अधिकतम 50 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा. ट्राई के इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर नेट न्यूट्रेलिटी को लेकर एक बार फिर बहस शुरू हो गयी है.
कुछ दूरसंचार कंपनियां म्यूजिक, मूवी जैसी सेवाएं या एप्प अपने ग्राहकों को रियायती दरों पर उपलब्ध करा रही है. इस बारे में शर्मा ने कहा,‘ विशिष्ट उत्पादों या सेवाओं की बात मत करिए. इंटरनेट पर जो कुछ उपलब्ध है उसके लिए अलग अलग मूल्य नहीं होना चाहिए. ‘ साफ्टवेयर फ्रीडम ला सेंटर की कार्यकारी निदेशक मिशी चौधरी ने ट्राई के ताजा नियम को ‘ सही दिशा में उठाया गया बडा कदम’ करार दिया है. उल्लेखनीय है कि नेट निरपेक्षता की बहस में डेटा सेवाओं के लिए भिन्न या अलग अलग शुल्क दर रखने का मुद्दा सबसे प्रमुख विवादों में से एक है.
दूरसंचार कंपनी एयरटेल ने दिसंबर 2014 में इंटरनेट के जरिए की जाने वाली काल के लिए अलग शुल्क लगाने का फैसला किया. हालांकि लोगों के भारी विरोध के चलते उसे इसे वापस लेना पडा. हालांकि एयरटेल के इस कदम के बाद देश में नेट निरपेक्षता की बहस ने जोर पकड लिया . एयरटेल ने बाद में एयरटेल जीरो तथा फेसबुक ने इंटरनेट डा आर्ग (अब फ्री बेसिक्स) की घोषणा की जिन्होंने बहस को और बढा दिया.
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकार (ट्राई) के चेयरमैन आर एस शर्मा ने उक्त नियमों (डेटा सेवाओं के लिए भेदकारी शुल्क निषेध नियमन,2016 ) का ब्यौरा यहां जारी किया. उन्होंने कहा,‘कोई भी सेवा प्रदाता डाटा सामग्री (कंटेंट) के आधार पर डेटा सेवाओं के लिए भिन्न शुल्क न तो वसूलेगा और न ही कोई ऐसी पेशकश करेगा.
ट्राई ने हालांकि दूरसंचार कंपनियों को आपात सेवाओं के लिए शुल्क दर में कटौती की अनुमति दी है. शर्मा ने कहा,‘ हमने आपात सेवाओं को परिभाषित नहीं किया है. लेकिन इस तरह की सेवाओं के मामले में कंपनियों को सात दिन में ट्राई को सूचित करना होगा.इसे लेकर अब राजनीतिक प्रतिक्रियाओं का दौर भी शुरू हो चुका है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, नेट न्यूट्रेलिटी के पक्ष में लिया गया फैसला इंटरनेट उपभोक्ताओं की जीत है.

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