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रिजर्व बैंक मौद्रिक समीक्षा : ब्याज दरें 6.75 पर कायम, इस साल कटौती की उम्मीद नहीं

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मुंबई : आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने आज केंद्रीय बैंक की नीतिगत ब्याज दर अपरिवर्तित रखी पर साथ में यह संकेत दिया कि मौद्रिक नीति आगे भी नरम रखी जाएगी. उन्होंने कहा है कि मुद्रास्फीति ‘लक्ष्य के करीब पहुंच रही है’ ऐसे में दर कम करने का अवसर मिलेगा ताकि आर्थिक वृद्धि में मदद हो […]

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मुंबई : आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने आज केंद्रीय बैंक की नीतिगत ब्याज दर अपरिवर्तित रखी पर साथ में यह संकेत दिया कि मौद्रिक नीति आगे भी नरम रखी जाएगी. उन्होंने कहा है कि मुद्रास्फीति ‘लक्ष्य के करीब पहुंच रही है’ ऐसे में दर कम करने का अवसर मिलेगा ताकि आर्थिक वृद्धि में मदद हो सके. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ने बैंक की अल्पकालिक ब्याज दर रेपो को 6.75 प्रतिशत पर स्थिर रखा. इसी के अनुसार रिवर्स रेपो दर भी 7.75 प्रतिशत पर बरकरार है. रेपो और रिवर्स रेपो वे दरें है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों फौरी जरुरत के लिए नकदी उधार देता है या उनसे नकदी अपने पास जमा करता है.

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राजन ने हालांकि नीतिगत ब्याज दर में कटौती का रख बरकरार रखने का संकेत देते हुए कहा कि यदि बजट में वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए पर्याप्त ढांचागत सुधार किए जाते हैं तो वह आर्थिक वृद्धि बढाने के संबंध में सस्ता रिण मुहैया कराने के लिए कदम बढा सकता है. आरबीआई ने कहा है कि ‘रिजर्व बैंक ने इस समीक्षा में नीतिगत दर अपरिवर्तित रखी है पर उसका रुख नरम बना रहेगा और वह मुद्रास्फीति की स्थिति के आंकडों का इंतजार करेगा.’

राजन ने चालू वित्त वर्ष की छठी और अंतिम द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा की घोषणा करते हुए कहा, ‘आगामी बजट में खर्चों पर नियंत्रण के साथ आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन देने वाले ढांचागत सुधारों से आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने वाली मौद्रिक नीति की और गुंजाइश पैदा होगी और यह भी सुनिश्चित किया जा सकेगा कि 2016-17 के अंत तक मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत के अनुमानित दायरे में रहे.’

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मुद्रास्फीति इस समय मौद्रिक नीति के लक्ष्यों के अनुरुप ही चल रही है. तुलनात्मक आधार का प्रतिकूल प्रभाव कम होने और फल-सब्जी तथा कच्चे तेल की कमी कीमतों के नीचे बने रहने से ‘जनवरी 2016 तक मुद्रास्फीति को छह प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य प्राप्त हो जाना चाहिए.’ लेकिन उन्होंने इस संबंध में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुपालन के असर के प्रति आगाह भी किया है.

उन्होंने कहा, ‘मानसून सामान्य रहा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों और विनिमय दर के मौजूदा स्तर पर बरकार रहे तो मुद्रास्फीति 2016-16 के अंत तक पांच प्रतिशत के आस-पास होगी. रिजर्व बैंक का अनुमान है कि 2016-17 में मुद्रास्फीति में स्थिरता रहेगी और यह वित्त वर्ष के अंत में 5 प्रतिशत के ही ईद गिर्द रहेगी. लेकिन समीक्षा में कहा गया है कि मुद्रास्फीति के वर्तमान अनुमानों में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुपालन के प्रभाव को नहीं जोडा गया है पर इसका एक दो साल तक मुद्रास्फीति बढाने वाला प्रभाव होगा.

राजन ने कहा, ‘आयोग की सिफारिशों के अनुपालन को लेकर स्थिति और स्पष्ट होने के बाद रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति के आगे के इन अनुमानों को समयोजित करेगा’ वृद्धि में धीरे-धीरे तेजी आने की उम्मीद जताते हुए गवर्नर ने कहा कि अगले वित्त वर्ष में उल्लेखनीय मुश्किलों के बावजूद उनका अनुमान है कि सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रहेगी। यह अनुमान सामान्य मानसून, व्यापार की शर्तों में बडे अनुकूल सुधार, घरेलू वास्तविक आय में सुधार और कंपनियों की लागत में कमी पर आधारित है.

उन्होंने बैलेंस-शीट समायोजन के इस चरण में घरेलू निजी निवेश की मांग में नरमी, अटकी हुई परियोजनाओं से जुडी चिंताओं के फिर से उभार, उद्योगों की इस्तेमाल नहीं हो पा रही क्षमता, विदेशी मांग की नरमी की परिस्थिति और निर्यात वृद्धि में गिरावट को घरेलू अर्थव्यवस्था की प्रमुख चुनौती दिया है. राजन ने स्टार्टअप को मदद करने की पेशकश की है और कहा है कि रिजर्व बैंक कारोबार सुगमता के लिए पहल करेगा और एक प्रणाली में बनाने में योगदान करेगा जो इस क्षेत्र की वृद्धि के लिए अनुकूल हो और इसे विदेशी उद्यम पूंजी या निजी इक्विटी कोष से कर्ज प्राप्त करने के लिए अनुकूल ढांचा मिले.

मौद्रिक समीक्षा की मुख्य बातें

आरबीआई की छठी द्वैमासिक मौद्रिक नीति की मुख्य बातें इस प्रकार हैं:

– रेपो दर 6.75 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रही.

– नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) चार प्रतिशत पर अपरिवर्तित.

– नकदी की सीमांत अस्थाई सुविधा और बैंक दर 7.75 प्रतिशत पर.

– राजकोषीय पक्ष से मदद मिली तो मौद्रिक नीति उदार बनी रहेगी.

– बजट में सुधार से ब्याज दर में कटौती की गुंजाइश पैदा होगी.

– वित्त वर्ष 2016-17 में मुद्रास्फीति करीब पांच प्रतिशत रहेगी.

– भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिरता का केंद्र माना जा रहा है.

– वित्त वर्ष 2015-16 में वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत, 2016-17 में 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान.

– आरबीआई स्टार्टअप वित्तपोषण के लिए विशेष व्यवस्था बनाएगा.

– रबी फसल में धीरे-धीरे सुधार का अनुमान.

– वित्त वर्ष 2016-17 की पहली द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा पांच अप्रैल को पेश होगी

कब-कब रिजर्व बैंक ने की ब्याज दरों में कटौती

साल 2015 में रिजर्व बैंक ने मौद्रिक समीक्षा में चार बार ब्‍याज दरों मं कटौती की है. 2015 की शुरुआत में रेपो रेट 8 फीसदी था. रिजर्व बैंक ने 15 जनवरी 2015 को साल की पहली कटौती करते हुए 0.25 फीसदी बेसिस अंक की कटौती की घोषणा की. इसके साथ ही रेपो रेट 7.75 फीसदी हो गया. हालांकि पहली कटौती के बाद अधिकतर बैंकों ने इसका फायदा अपने ग्राहकों को नहीं दिया. बाद में रिजर्व बैंक ने 4 मार्च 2015 को रेपो रेट में दूसरी कटौती की. इस बार भी केंद्रीय बैंक ने 25 बेसिस अंक की कटौती की. इस कटौती के बाद रेपो रेट 7.50 हो गया. रेपो रेट में तीसरी कटौती रिजर्व बैंक की 2 जून को हुई मौद्रिक समीक्षा में की गयी. इस समय भी रेपो रेट में 25 बेसिस अंक की कटौती की गयी. इस कटौती के बाद रेपो रेट 7.25 फीसदी रह गया. साल की अंतिम कटौती 29 सितंबर 2015 को की गयर. रघुराम राजन ने एक अप्रत्‍याशित फैसला लेते हुए इस बार 50 बेसिस अंक की कटौती कर दी. इस कटौती के बाद रेपो रेट 6.75 फीसदी रह गया है.

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