नयी दिल्ली : सरकार अधिक राजस्व जुटाने तथा राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.9 प्रतिशत के लक्ष्य में रखने के लिए पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में मार्च से पहले एक और बढो़तरी कर सकती है. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि राजकोषीय घाटे का 3.9 प्रतिशत का लक्ष्य अटल है और […]
नयी दिल्ली : सरकार अधिक राजस्व जुटाने तथा राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.9 प्रतिशत के लक्ष्य में रखने के लिए पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में मार्च से पहले एक और बढो़तरी कर सकती है. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि राजकोषीय घाटे का 3.9 प्रतिशत का लक्ष्य अटल है और सरकार के पास इसके लिए कई विकल्प मौजूद हैं.
इनमें एक विकल्प पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बढा़ने का भी है. सरकार पहले ही जल्दी-जल्दी पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में तीन बार बढो़तरी कर चुकी है. इससे उसे चालू वित्त वर्ष में 10,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व जुटाने में मदद मिलेगी.
इससे विनिवेश लक्ष्य से पीछे रहने और प्रत्यक्ष कर संग्रहण में कुछ कमी की भरपाई हो पाएगी. सूत्रों ने कहा कि यदि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम कुछ गुंजाइश देते हैं तो यह किया जा सकता है. सरकार राजस्व बढाने के लिए यह कदम उठा सकती है.
पिछले सप्ताह सरकार ने पेट्रोल पर 37 पैसे लीटर और डीजल पर दो रपये लीटर उत्पाद शुल्क की बढो़तरी की थी. इससे सरकार करीब 4,400 करोड़ रुपये जुटा पाएगी. चीन की अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता के बीच कच्चे तेल की कीमतें घटकर अब 12 साल के निचले स्तर 32 डालर प्रति बैरल पर आ गई हैं.
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